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भीमराव आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर में भूमिहारों का दबदबा, कुलपति पर लगे आरोप

विश्वविद्यालय के कुलपति दिनेशचंद्र राय के खिलाफ राजभवन को विगत मार्च महीने में 11 पेज का एक शिकायती पत्र दिया गया। शिकायतकर्ता रजनीश कुमार सिंह ने इस पत्र में 43 में से 17 कालेजों में पदस्थापित प्रिंसिपल के नाम और उनकी जाति का उल्लेख करते हुए लिखा है। पढ़ें, हेमंत कुमार की यह रपट

बिहार में एक है बाबासाहब भीमराव आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर। पहले इसे बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के नाम से जाना जाता था। वर्ष 1992 में जब इसका नामांतरण किया गया। तब लालू प्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री थे। नामांतरण की खबर मिलते ही हंगामा मच गया था। बयानबाजी और धरना व प्रदर्शन होने लगे थे। जाहिर तौर पर ये वे लोग थे, जिनको आधुनिक भारत के महान नेताओं में से एक डॉ. भीमराव आंबेडकर का नाम पसंद नहीं था।

खैर, आज उसी भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के 40 फीसदी कालेजों में केवल भूमिहार जाति के प्राचार्य पदस्थापित किये गए हैं। कुलपति डॉ. दिनेशचंद्र राय के अधीनस्थ कार्यालय में अधिकारियों के दस पदों पर भी भूमिहारों को पदस्थापित किया जाता है तो विश्वविद्यालय के भीतर से कोई आवाज नहीं उठती है। राजभवन तक संज्ञान नहीं लेता है। शिकायत करने वाले की पहचान राजभवन से ही ‘लीक’ कर दिये जाने के आरोप लगते हैं। लेकिन विश्वविद्यालय का शिक्षक समूह या उनका संगठन कुलपति के ‘परम जाति स्नेह’ पर सवाल खड़ा नहीं करता है।

विश्वविद्यालय के कुलपति दिनेशचंद्र राय के खिलाफ राजभवन को विगत मार्च महीने में 11 पेज का एक शिकायती पत्र दिया गया। शिकायतकर्ता रजनीश कुमार सिंह ने इस पत्र में 43 में से 17 कालेजों में पदस्थापित प्रिंसिपल के नाम और उनकी जाति का उल्लेख करते हुए लिखा है। शिकायतकर्ता ने कुलपति के अधीनस्थ कार्यालय में तैनात पदाधिकारियों की भी जाति उजागर की है जिसमें बताया गया है कि कुलपति के अलावा दस अन्य पदाधिकारी भी भूमिहार जाति से हैं।

कुलपति कार्यालय में प्रमुख पदों पर तैनात भूमिहार जाति के पदाधिकारी

क्रमनामपद
1डॉ. अजीत कुमारलोकपाल 
2डॉ. विनय शंकर राय प्रॉक्टर
3डॉ. मधु सिहसी.सी.डी.सी.
4डॉ. राजीव कुमारमहाविद्यालय निरीक्षक (कला एवं वाणिज्य) 
5डॉ. रेणु बालाउप परीक्षा नियंत्रक
6आनंद दुबेउप परीक्षा नियंत्रक
7राकेश कुमार सिंहविश्वविद्यालय इंजीनियर
8डॉ. दिलीप कुमारस्टेट ऑफिसर
9राजेश कुमारकार्यपालक अभियंता
10डॉ. सत्य प्रकाश रायलीगल ऑफिसर

शिकायतकर्ता रजनीश कुमार सिंह ने इसे रेखांकित किया है कि विश्वविद्यालय में उप परीक्षा नियंत्रक का कोई पद नहीं होता है। लेकिन कुलपति द्वारा एक जाति विशेष का ख्याल रखने के लिए यह पद बनाया गया है। ऐसे ही लोकपाल की बहाली में विश्वविद्यालय के नियम-परिनियम की पूर्णतः अनदेखी करते हुए डॉ. अजीत कुमार को लोकपाल के रूप में मनोनीत कर दिया। शिकायतकर्ता का कहना है कि राज भवन में शिकायत होने के बावजूद डॉ. अजीत कुमार (लोकपाल) की नियुक्ति को आज तक वापस नहीं लिया गया है। ‘भूमिहार’ इस भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं, इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि अधिकांश अंगीभूत कॉलेजों के प्रिंसिपल भी इसी जाति के हैं। शिकायतकर्ता ने राजभवन को लिखे अपने पत्र में यह सूची दी है–

विश्वविद्यालय के अंगीभूत कालेजों में पदस्थापित भूमिहार प्राचार्यों की सूची

क्रमकॉलेजप्राचार्य का नाम
1सी.एन. कॉलेंज, साहेबगंज, मुजफ्फरपुरडॉ. सी.एस. राय
2जे.बी.एस.डी. कॉलेज, बकुची, मुजफ्फरपुरप्रो. राज कुमार सिंह, 
3जे.एल.एन.एम. कॉलेज, घोड़ासहन, पूर्वी चंपारणडॉ. पंकज राय
4एम.डी.डी.एम. कॉलेज, मुजफ्फरपुरडॉ. कनुप्रिया
5एम.जे.के. कॉलेज, बेतिया, पश्चिम चंपारणडॉ. आर.के. चौधरी
6एम.पी.एस. साईंस कॉलेज, मुजफ्फरपुरडॉ. नलिन बिलोचन
7एम.एस. कॉलेज, मोतिहारीप्रो. ब्रिगेंद्र कुमार
8आर.सी. कॉलेज सकरा, मुजफ्फरपुरप्रो. अमिता शर्मा
9आर.डी.एस. कॉलेज, मुजफ्फरपुरडॉ. अनिवा सिह
10आर.पी.एस. कॉलेज, चकबाजो, वैशालीडॉ. अमित कुमार
11आर.एस.एस. महिला कॉलेज, सीतामढ़ीडॉ. रेणु ठाकुर
12आर.एस.एस. साइंस कॉलेज, सीतामढ़ीडॉ. त्रिविक्रम नारायण सिंह
13एस.आर.ए.पी. कॉलेज, बाराचकिया, पूर्वी चंपारणडॉ. बीरेंद्र कुमार सिंह
14एस.आर.पी.एस. कॉलेज, जैतपुर, मुजफ्फरपुरप्रो. राकेश कुमार सिंह
15लंगट सिंह महाविद्यालय, मुजफ्फरपुरडॉ. ओम प्रकाश राय
16आर.बी.बी.एम. कॉलेज, मुजफ्फरपुरडॉ. ममता रानी
17टी.पी. वर्मा कॉलेज, नरकटियागंज, पश्चिमी चंपारणडॉ. सुरेंद्र राय

शिकायतकर्ता के अनुसार, कुलपति के पद पर जब डॉ. दिनेश राय ने पदभार ग्रहण किया था तब डॉ. ममता रानी, प्राचार्या, रामवृक्ष बेनीपुरी महिला महाविद्यालय, मुजफ्फरपुर और डॉ. ओम प्रकाश राय, प्राचार्य, लंगट सिंह महाविद्यालय, मुजफ्फरपुर का कार्यकाल प्राचार्य के पद पर 5 वर्ष से अधिक हो गया था। फिर भी दोनों प्राचार्यों को उसी महाविद्यालय में प्राचार्य के पद पर बने रहने दिया गया है। ये दोनों भी भूमिहार जाति से आते हैं।

बाबासाहब भीमराव आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर की मुख्य इमारत

वहीं दूसरी ओर शिकायकर्ता ने अपने पत्र में दलित व पिछड़े वर्ग के लोगों के साथ अत्याचार व भेदभाव किए जाने का उदाहरण दिया है। इसके मुताबिक, डॉ. राममनोहर स्मारक लोहिया महाविद्यालय, मुजफ्फरपुर की प्राचार्या प्रोफेसर डॉ. कुमारी रेखा (अत्यंत पिछड़ा वर्ग) को वित्तीय कामकाज से प्रतिबंधित कर दिया गया है। जबकि उनपर कोई आरोप नहीं है। उनके ऊपर 16 सितंबर, 2024 से प्रतिबंध लगा रखा है। यह मुजफ्फरपुर शहर में एकमात्र महाविद्यालय है, जिसमें अधिकांश छात्र व छात्राएं दलित, शोषित, पिछड़े वर्ग के हैं। प्राचार्या के वित्तीय अधिकार पर प्रतिबंध लगा होने के कारण महाविद्यालय के सभी अनिवार्य कार्यों का संचालन बाधित है।

बहरहाल, गंगा मुक्ति आंदोलन के अगुआ अनिल प्रकाश कहते हैं कि जब बिहार विश्वविद्यालय का नामकरण भीमराव आंबेडकर के नाम पर किया गया था, तब कैंपस में वर्चस्ववादी जातिवादी तत्वों का बोलबाला था, क्योंकि वहां अपर कास्ट के लोगों की भरमार थी। नामांतरण के बाद दबदबे की परिपाटी पर रोक लगी। लेकिन भाजपा के दबदबे वाली नीतीश सरकार में वर्चस्वादी जातिवादी तत्वों की वापसी हुई है। तभी तो एक कुलपति एकतरफा स्वजातीय लोगों को भरे जा रहा है। लेकिन कहीं से कोई आवाज नहीं उठ रही है।

(संपादन : राजन/नवल/अनिल)


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लेखक के बारे में

हेमंत कुमार

लेखक बिहार के वरिष्ठ पत्रकार हैं

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