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आरटीआई से खुलासा : मनमाने तरीके से बदले गए पेसा के नियम

गत 3 फरवरी, 2022 को मिली पांच पृष्ठों की जानकारी बेहद हैरान करने वाली है। इसके अनुसार देश में आदिवासियों की सर्वाधिक आबादी वाले राज्य में उनसे जुड़े एक महत्वपूर्ण नियम को लागू करने से पहले आम नागरिकों से सुझाव एवं आपत्तियां आमंत्रित नहीं की गईं। यही नहीं, निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के साथ भी इस बारे में चर्चा किया जाना तक आवश्यक नहीं समझा गया। बता रहे हैं मनीष भट्ट मनु

आदिवासियों में अपने हक-हुकूक के लिए बढ़ती चेतना और अधिकारों के लिए लामबंदी के मध्य उन्हें लुभाने का प्रयास भाजपा लगातार कर रही है। इसी कड़ी में बिरसा मुंडा के जन्म दिवस के अवसर पर पिछले वर्ष 15 नवंबर, 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भोपाल में प्रतिवर्ष जनजातीय गौरव दिवस मनाने का ऐलान किया। प्रधानमंत्री के हर कदम से अपनी ताल मिलाना जरुरी समझने वाले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक कदम आगे बढ़ते हुए टंट्या भील उर्फ टंट्या मामा के बलिदान दिवस 4 दिसंबर, 2021 को पेसा के नियम लागू करने का ऐलान भी कर दिया। हालांकि, आदिवासी कल्याण के लिए कार्यरत संगठनों और व्यक्तियों द्वारा तब भी मध्य प्रदेश सरकार की मंशा पर सवाल उठाए गए थे, जिनका जवाब उस समय प्रदेश सरकार द्वारा दिया जाना उचित नहीं समझा गया। अब सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत हासिल जानकारियों से भी चौंकाने वाला खुलासे हुए हैं।

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लेखक के बारे में

मनीष भट्ट मनु

घुमक्कड़ पत्रकार के रूप में भोपाल निवासी मनीष भट्ट मनु हिंदी दैनिक ‘देशबंधु’ से लंबे समय तक संबद्ध रहे हैं। आदिवासी विषयों पर इनके आलेख व रपटें विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से प्रकाशित होते रहे हैं।

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