इस लेख में अरविन्द जैन बता रहे हैं कि वैध-अवैध बच्चों के बीच यही कानूनी भेदभाव (सुरक्षा कवच) ही तो है, जो विवाह संस्था को विश्व-भर में, अभी तक बनाए-बचाए हुए है। वैध संतान की सुनिश्चितता के लिए- यौन शुचिता, सतीत्व, नैतिकता, मर्यादा और इसके लिए स्त्री देह पर पूर्ण स्वामित्व तथा नियंत्रण बनाए रखना, पुरुष का ‘परम धर्म’ माना (समझा) जाता है