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एक दिन अलहदा दीक्षा भूमि पर

स्तूप के भीतर बुद्ध की भव्य प्रतिमा थी ही, लेकिन डॉ. आंबेडकर के स्मृति अवशेष देखकर लगा जैसे इतिहास सजीव हो गया हो। लोगों की श्रद्धा और उनकी आंखों में चमक देखकर मन भर आया। वहां ज्यादा देर रुकना संभव नहीं था। लेकिन वह क्षण अमूल्य था। पढ़ें, भंवर मेघवंशी का यह यात्रा वृत्तांत

एक दिन अलहदा दीक्षा भूमि पर
स्तूप के भीतर बुद्ध की भव्य प्रतिमा थी ही, लेकिन डॉ. आंबेडकर के स्मृति अवशेष देखकर लगा जैसे इतिहास सजीव हो गया हो। लोगों...
दलितों-अति पिछड़ों की सबसे बड़ी समस्या आवास और जमीन की है : धीरेंद्र झा
“भाजपा अति पिछड़ों के सवालों को वास्तविक रूप में एड्रेस नहीं कर रही है। उनके संपूर्ण जीवन का जो सवाल है, उसमें उनके आत्मसम्मान...
दलितों पर अत्याचार : क्या उम्मीद अब सिर्फ़ राहुल गांधी पर रह गई है?
आज जब हरियाणा में एक दलित आईपीएस अधिकारी सांस्थानिक हत्या का शिकार हो जाता है, जब सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जातीय तानों का...
जाति के विनाश के संबंध में जस्टिस विनोद दिवाकर के फैसले के महत्वपूर्ण अंश
जस्टिस दिवाकर ने कहा कि जाति की समस्या केवल समाज या धर्म में नहीं है, बल्कि राज्य के मानसिक ढांचे में भी है। क़ानूनी...
सीजेआई गवई पर हुए हमले का देश भर में विरोध
दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के एक वकील सुभाष चंद्रन के.आर. ने अटार्नी जनरल आर. वेंकटारमणी को पत्र लिखकर आरोपी राकेश किशोर के खिलाफ न्यायालय...
रामेश्वर अहीर, रामनरेश राम और जगदीश मास्टर के गांव एकवारी में एक दिन
जिस चौराहे पर मदन साह की दुकान है, वहां से दक्षिण में एक पतली सड़क जाती है। इस टोले में कोइरी जाति के लोग...
‘होमबाउंड’ : दमित वर्गों की व्यथा को उजागर करता अनूठा प्रयास
नीरज घेवाण और उनकी टीम ने पत्रकार बशारत पीर द्वारा लिखित और ‘न्यूयार्क टाइम्स’ में प्रकाशित एक सच्ची कहानी के आधार पर एक शानदार...
एक और मास्टर साहेब सुनरदेव पासवान के गांव में, जहां महफूज है दलितों और पिछड़ों का साझा संघर्ष
बिहार में भूमि व मजदूरी हेतु 1960 के दशक में हुए आंदोलन के प्रणेताओं में से एक जगदीश मास्टर ‘मास्टर साहब’ के नाम से...
दसाईं परब : आदिवासी समाज की विलुप्त होती धरोहर और स्मृति का नृत्य
आज भी संताल समाज के गांवों में यह खोज यात्रा एक तरह की सामूहिक स्मृति यात्रा है, जिसमें सभी लोग भागीदार होते हैं। लोग...
कब तक अपने पुरखों की हत्या का जश्न देखते रहेंगे मूलनिवासी?
क्या हमने कभी विचार किया है कि बाजार से जुड़ कर आज कल जो दुर्गा पंडाल बनते हैं, भव्य प्रतिमाएं बनती हैं, सप्ताह-दस दिन...
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में दलित साहित्य
दलित साहित्य के सौंदर्यशास्त्र का विकास दलित समाज, उसकी चेतना, संस्कृति और विचारधारा पर निर्भर करता है, जो एक लंबी प्रक्रिया में होते हुए...
बानू मुश्ताक की कहानियों में विद्रोही महिलाएं
सभी मुस्लिम महिलाओं को लाचार और बतौर वस्तु देखी जाने वाली बताने की बजाय, लेखिका हमारा परिचय ऐसी महिला किरदारों से कराती हैं जो...
योनि और सत्ता पर संवाद करतीं कविताएं
पितृसत्ता की जड़ें समाज के हर वर्ग में अत्यंत गहरी हो चुकी हैं। फिर चाहे वह प्रगतिशीलता के आवरण में लिपटा तथाकथित प्रगतिशील सभ्य...
रोज केरकेट्टा का साहित्य और उनका जीवन
स्वभाव से मृदु भाषी रहीं डॉ. रोज केरकेट्टा ने सरलता से अपने लेखन और संवाद में खड़ी बोली हिंदी को थोड़ा झुका दिया था।...
भक्ति आंदोलन का पुनर्पाठ वाया कंवल भारती
आलोचक कंवल भारती भक्ति आंदोलन की एक नई लौकिक और भौतिक संदर्भों में व्याख्या करते हैं। इनका अभिधात्मक व्याख्या स्वरूप इनके पत्रकार व्यक्तित्व का...
वायकोम सत्याग्रह : सामाजिक अधिकारों के लिए पेरियार का निर्णायक संघर्ष
गांधी, पेरियार को भी वायकोम सत्याग्रह से दूर रखना चाहते थे। कांग्रेस गांधी के प्रभाव में थी, किंतु पेरियार का निर्णय अटल था। वे...
बी.पी. मंडल का ऐतिहासिक संबोधन– “कोसी नदी बिहार की धरती पर स्वर्ग उतार सकती है”
औपनिवेशिक बिहार प्रांत में बाढ़ के संदर्भ में कई परामर्श कमिटियां गठित हुईं। बाढ़ सम्मलेन भी हुए। लेकिन सभी कमिटियों के गठन, सम्मलेन और...
जब महामना रामस्वरूप वर्मा ने अजीत सिंह को उनके बीस हजार का चेक लौटा दिया
वर्मा जी अक्सर टेलीफोन किया करते थे। जब तक मैं उन्हें हैलो कहता उसके पहले वे सिंह साहब नमस्कार के द्वारा अभिवादन करते थे।...
जब हमीरपुर में रामस्वरूप वर्मा जी को जान से मारने की ब्राह्मण-ठाकुरों की साजिश नाकाम हुई
हमलोग वहां बस से ही गए थे। विरोधियों की योजना यह थी कि वर्मा जी जैसे ही बस में चढ़ें, बस का चालक तेजी...
जगजीवन राम को कैसे प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया गया?
जयप्रकाश नारायण को संसदीय दल के नेता का चुनाव करवा देना चाहिए था। इस संबंध में प्रख्यात पत्रकार कुलदीप नैय्यर ने अपनी पुस्तक ‘एक...