नई दिल्ली। मंडल आयोग की सिफारिशें, जिनके अंतर्गत ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना था, के लागू होने के बीस साल बाद भी के मंत्रालयों, विभागों व संस्थानों में ओबीसी कर्मचारियों का प्रतिशत 12 से भी कम है।
यह जानकारी, द टाइम्स ऑफ इंडिया के 26 दिसंबर, 2015 के अंक में एक आरटीआई के हवाले से प्रकाशित हुई है। 1 जनवरी, 2015 तक के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, ए. बी, सी व डी समूह के 79,483 पदों पर नियुक्त व्यक्तियों में से केवल 9,040 ओबीसी हैं।
आश्चर्यजनक रूप से, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, जो आरटीआई अपील का उत्तरदाता था और जो नियुक्तियों के लिए जि़म्मेदार है, का इस मामले में प्रदर्शन अत्यंत खराब है। इस विभाग के कर्मचारियों में से 12.91 प्रतिशत अनुसूचित जाति के, 4 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के और 6.67 प्रतिशत ओबीसी हैं। विभाग में कुल कर्मचारियों की संख्या 6,879 है।
आंकड़ों से पता चलता है कि राष्ट्रपति सचिवालय में समूह ए का एक भी ओबीसी अधिकारी नहीं है। केंद्रीय लोकसेवा आयोग के 651 कर्मचारियों में से 9 प्रतिशत से भी कम ओबीसी हैं। उच्च शिक्षा विभाग में समूह ए के अधिकारियों में से केवल 5 प्रतिशत ओबीसी हैं और अन्य कर्मचारियों में इनका प्रतिशत मात्र 10 है।
वैज्ञानिक व औद्योगिक शोध विभाग में समूह ए का मात्र एक अधिकारी ओबीसी है।
आरक्षित श्रेणियों में नियुक्तियों के सम्बन्ध में केंद्र सरकार के प्रदर्शन पर नजऱ रखने के लिए, मुरलीधरन हर वर्ष आरटीई के अंतर्गत प्रश्न पूछते आये हैं। वे कहते हैं कि ‘विभागों को इस सम्बन्ध में आंकड़े जारी करने चाहिए परन्तु वे ऐसा नहीं करते।’ गौरतलब है कि सामाजिक न्याय सहित 40 मंत्रालयों और 48 विभागों ने चेन्नई में वैज्ञानिक ई. मुरलीधरन द्वारा आरटीआई के तहत चाही गयी जानकारीउपलब्ध नहीं कराई।
(फारवर्ड प्रेस के जनवरी, 2016 अंक में प्रकाशित )