कहना गैर वाजिब नहीं कि आज भी उच्च शिक्षण संस्थानों में दलित-बहुजनों की भागीदारी न्यून है। सबसे अधिक खराब स्थिति उच्च विज्ञान शिक्षण संस्थानों की है जहां दलित-बहुजनों की भागीदारी इतनी कम है कि यह सवाल स्वाभाविक तौर पर सामने आता है कि क्या इन संस्थाओं पर केवल द्विज वर्गों का अधिकार है?
सबसे पहले यह समझने का प्रयास करते हैं कि आखिर उच्च विज्ञान शिक्षण संस्थाओं में दलित-बहुजन कितने हैं और यदि हैं तो किस रूप में हैं? इस संबंध में पांडिचेरी विश्वविद्यालय के शोधार्थी भरत किशोर मेहर ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) के कैंपसों से सवाल किए और जो जवाब सामने आया है, वह चौंकाने वाला तो नहीं है, लेकिन यह स्थापित जरूर करता है कि इन संस्थाओं को मनु के ग्रंथों में उद्धृत गुरूओं का आश्रम बना दिया गया है जहां शिक्षा पाने का अधिकार केवल द्विजों का है। आईआईएसईआर की स्थापना संसद द्वारा 2010 में एक विशेष कानून के माध्यम से की गई थी।
उदाहरण के लिए आईआईएसईआर, मोहाली में आरक्षण का प्रावधान ही नहीं है। वहीं कोलकाता कैंपस में एससी और ओबीसी के 3-3 पद रिक्त पड़े हैं। भोपाल कैंपस में आरक्षित वर्ग के 33 पद रिक्त हैं। जबकि पूना कैंपस में 5 पद एससी, 2 पद सटी और 7 पद ओबीसी के लिए रिक्त हैं। वहीं बहरामपुर, उड़ीसा कैंपस में एससी व एसटी के लिए एक-एक पद और तिरूपति में कोई रिक्ति ही नहीं है। (देखें सारणी 1)

दरअसल, भरत किशोर मेहर ने आईआईएसईआर के विभिन्न कैंपसों यथा मोहाली, कोलकाता, भोपाल, पूना, बहरामपुर, तिरूपति और तिरूअनंतपुरम से सूचना के अधिकार कानून के तहत आरक्षण संबंधित सवाल पूछे। बतौर उदाहरण आईआईएसईआर, तिरूपति से उनका पहला सवाल यह था कि संस्थान के सभी विभागों में प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर के कितने रिक्त पद एससी, एसटी, ओबीसी व सामान्य श्रेणी के लिए आरक्षित हैं? उनके इस सवाल के के जवाब में संस्थान द्वारा जानकारी दी गयी कि कोई भी पद आरक्षित नहीं है। यानी संस्थान में आरक्षण लागू ही नहीं है।
सारणी – 1 : शिक्षकों के रिक्त पद
कैंपस | एससी | एसटी | ओबीसी | सामान्य |
---|---|---|---|---|
आईआईएसईआर, मोहाली | कोई आरक्षण नहीं | |||
आईआईएसईआर, कोलकाता | 3 | 0 | 3 | 0 (अस्पष्ट) |
आईआईएसईआर, भोपाल | 33 रिक्तियां, भारत सरकार के अनुरूप आरक्षण लागू | |||
आईआईएसईआर, पूना | 5 | 2 | 6 +1 (एसोसिएट प्रोफेसर, मानव विज्ञान) | |
आईआईएसईआर, बहरामपुर, उड़ीसा | 1 | 1 | 0 | 8 |
आईआईएसईआर, तिरूपति | 0 | 0 | 0 | 0 |
आईआईएसईआर, तिरूअनंतपुरम् | 0 | 3 | 5 | 1 |
वहीं भरत किशोर मेहर ने दूसरे सवाल में यह जानना चाहा था कि संस्थान के सभी विभागों में कार्यरत प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसरों वर्गवार (एससी, एसटी, ओबीसी, सामान्य) कितने हैं।
इस सवाल के जवाब में जो आंकड़े दिए गए हैं, उसके मुताबिक जीव विज्ञान विभाग में केवल एक प्रोफसर कार्यरत है और वह भी सामान्य श्रेणी का है। गणित व रसायन विभाग का हाल भी जीव विज्ञान विभाग की तरह ही है और यहां भी केवल सामान्य श्रेणी का एक प्रोफेसर कार्यरत है। भौतिकी विभाग, पृथ्वी व वातावरण विज्ञान में कोई प्रोफेसर नहीं है। असिस्टेंट प्रोफेसरों के संबंध में बताया गया है कि जीव विज्ञान विभाग में ओबीसी का केवल एक असिस्टेंट प्रोफेसर कार्यरत है जबकि अनारक्षित यानी सामान्य वर्ग या फिर सवर्ण तबके के दस। वहीं रसायन विभाग में एससी व ओबीसी वर्ग के तीन-तीन व सामान्य कैटेगरी के 9 असिस्टेंट प्रोफेसर तैनात हैं। भौतिकी विभाग में ओबीसी के तीन और सामान्य श्रेणी के 7, गणित में एससी, एसटी व ओबीसी के शून्य व सामान्य 8 और पृथ्वी तथा वातावरण विज्ञान में सामान्य श्रेणी का केवल एक असिस्टेंट प्रोफेसर कार्यरत है।
सारणी – 2 : पदस्थापित प्रोफेसर
कैंपस | एससी | एसटी | ओबीसी | सामान्य |
---|---|---|---|---|
आईआईएसईआर, मोहाली | 0 | 0 | 0 | 10 |
आईआईएसईआर, कोलकाता | 0 | 0 | 2 | 40 |
आईआईएसईआर, भोपाल | 4* | 1* | 4* | 115* |
आईआईएसईआर, पूना | # | # | # | # |
आईआईएसईआर, बहरामपुर, उड़ीसा | 0 | 0 | 0 | 2 |
आईआईएसईआर, तिरूपति | 0 | 0 | 0 | 3 |
* आंकड़े में प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसर दोनों शामिल हैं
# संख्या उपलब्ध नहीं कराया गया
इस प्रकार हम पाते हैं कि आईआईएसईआर तिरूपति के पांच विभागों में कुल तीन प्रोफेसर हैं और ये सभी सामान्य वर्ग के हैं। वहीं असिस्टेंट प्रोफेसरों की बात करें तो कुल 45 असिस्टेंट प्रोफेसरों में 3 एससी और 7 ओबीसी हैं। शेष 35 सामान्य श्रेणी के हैं।
एक अन्य सवाल में मेहर ने संस्थान से यह पूछा कि सभी विभागों में एससी और एसटी वर्ग के कितने पीएचडी शोधार्थी हैं? इसके जवाब में बताया गया कि संस्थान में कुल 95 पीएचडी शोधार्थी हैं जिनमें एससी वर्ग के 4 शोधार्थी हैं। दूसरी ओर आईआईएसईआर, तिरूपति में एसटी वर्ग का न तो कोई प्रोफेसर है और न कोई पीएचडी शोधार्थी। यह हालात तब है जबकि संस्थान ने कहा है कि वह मानव संसाधन विकास मंत्रालय के पत्रांक 50-26/2016-टीएस-सात दिनांक 18 सितंबर, 2017 के आलोक में भारत सरकार द्वारा निर्धारित आरक्षण के प्रावधानों को लागू कर रहा है।
सारणी – 3 : कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर
कैंपस | एससी | एसटी | ओबीसी | सामान्य |
---|---|---|---|---|
आईआईएसईआर, मोहाली | 2 | 0 | 1 | 50 |
आईआईएसईआर, कोलकाता | 2 | 0 | 3 | 28 |
आईआईएसईआर, भोपाल | 4 | 1 | 4 | 115 (प्रोफेसर पद भी शामिल) |
आईआईएसईआर, पूना | 0 | 0 | 3 | 33 |
आईआईएसईआर, बहरामपुर, उड़ीसा | 1 | 0 | 3 | 22 |
आईआईएसईआर, तिरूपति | 3 | 0 | 7 | 35 |
आईआईएसईआर, तिरूअनंतपुरम् | 7 | 0 | 6 | 28 |
आईआईएसईआर में दलित-बहुजनों की न्यून भागीदारी की यह सच्चाई इसके कोलकाता कैंपस में भी दिखाई देती है। मेहर के द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में बताया गया है कि कोलकाता कैंपस में कुल 42 प्रोफेसर हैं जिसमें से 40 सामान्य श्रेणी के हैं, जबकि केवल दो ओबीसी वर्ग के। एसोसिएट प्रोफेसर के 46 पदों में केवल एक व्यक्ति एससी वर्ग के हैं तथा शेष 45 सामान्य श्रेणी के हैं। इसी तरह असिस्टेंट प्रोफेसर (ग्रेड 1) के कुल 33 पद हैं और इनमें केवल 2 एससी और 3 ओबीसी हैं। शेष 28 पदों पर सामान्य श्रेणी के लोग कार्यरत हैं।
सारणी – 4 : पीएचडी शोधार्थी
कैंपस | एससी | एसटी | अन्य |
---|---|---|---|
आईआईएसईआर, मोहाली | 43 (संख्या) | 10(संख्या) | 516 (संख्या) |
आईआईएसईआर, कोलकाता | 10% (हिेस्सेदारी- सभी विभागों का औसत) | 1.80% (हिेस्सेदारी- सभी विभागों का औसत) | |
आईआईएसईआर, भोपाल | उपलब्ध नहीं कराया गया | उपलब्ध नहीं कराया गया | |
आईआईएसईआर, पूना | 6.52% (हिेस्सेदारी) | 1.04% (हिेस्सेदारी) | |
आईआईएसईआर, बहरामपुर, उड़ीसा | 0 | 0 | |
आईआईएसईआर, तिरूपति | 4 (संख्या) | 0 | 91 (संख्या) |
आईआईएसईआर, तिरूअनंतपुरम् | 4% (हिेस्सेदारी) | 0 |
इसी प्रकार संस्थान के पूना कैंपस में दलित-बहुजनों की उपस्थिति संस्थान में आरक्षण के नियमों का उल्लंघन करती दिखाई देती है। हालांकि तिरूपति और कोलकाता कैंपस की तुलना में बेहतर हैं। यहां असिस्टेंट प्रोफेसर के स्तर पर एससी के लिए 5, एसटी के लिए 2 और ओबीसी के लिए 6 पद रिक्त हैं। वर्तमान में इस कैंपस में कुल 36 असिस्टेंट प्रोफेसर हैं, जिनमें 33 सामान्य श्रेणी और 3 ओबीसी वर्ग के हैं। एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर 4 लोग कार्यरत हैं और ये सभी सामान्य श्रेणी के हैं। वहीं पीएचडी स्कालर्स के मामले में एससी व एसटी की हिस्सेदारी क्रमश: 6.52 फीसदी और 1.04 फीसदी है।
बहरहाल, यह तो साफ है कि विज्ञान के उच्च शिक्षण संस्थानों में दलित-बहुजनों की हिस्सेदारी कम होने की वजह आरक्षण संबंधी प्रावधानों का लागू नहीं होना है। इसके अलावा इसका एक कारण यह भी है कि द्विज वर्ग के लोग यह मानते ही नहीं हैं कि गैर-द्विज विज्ञान व संबंधित विषयों को पढ़ने के अधिकारी हैं। इसका एक उदाहरण सिदो-कान्हु विश्वविद्यालय, दुमका की नवनियुक्त कुलपति सोनाझरिया मिंज हैं जिनके शिक्षकों ने कहा था कि आदिवासी लड़कियों को गणित नहीं पढ़ना चाहिए। लेकिन सोनाझरिया मिंज ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया और द्विज शिक्षकों को गलत साबित किया।
(संपादन : गोल्डी/अनिल/अमरीश)
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