कहना गैर वाजिब नहीं कि आज भी उच्च शिक्षण संस्थानों में दलित-बहुजनों की भागीदारी न्यून है। सबसे अधिक खराब स्थिति उच्च विज्ञान शिक्षण संस्थानों की है जहां दलित-बहुजनों की भागीदारी इतनी कम है कि यह सवाल स्वाभाविक तौर पर सामने आता है कि क्या इन संस्थाओं पर केवल द्विज वर्गों का अधिकार है?