दिल्ली विश्वविद्यालय में पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के हितों की हकमारी की जा रही है। फिर चाहे वह दाखिले का सवाल हो या फिर नियुक्ति का। इस संबंध में बीते 21 दिसंबर, 2020 को राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष भगवानलाल सहनी व आयोग के अन्य सदस्यों कौशलेंद्र पटेल तथा सुधा यादव ने दिल्ली विश्वविद्यालय का दौरा किया। इस दौरान आयोग ने ओबीसी से जुड़े सभी मामलों के बारे में विश्वविद्यालय से जानकारी मांगी।
दिल्ली विश्वविद्यालय के एकेडमिक काउंसिल के सदस्य सुधांशु कुमार ने बताया कि दिन भर चली सुनवाई में ओबीसी से जुड़े तमाम मसले उठाए गए। मसलन, सभी स्नातक तथा परास्नातक छात्रावासों में 27 प्रतिशत आरक्षण ओबीसी के छात्र-छात्राओं को मिले।
बैठक में पांच साल से अधिक समय से पढ़ा रहे एडहॉक शिक्षकों की नियमित नियुक्ति का मामला भी उठाया गया। इस संबंध में आयोग के अध्यक्ष भगवानलाल सहनी ने विश्वविद्यालय को रोस्टर व बैकलॉग की विस्तृत जानकारी मांगी। बैठक में भारती कॉलेज और श्रद्धानन्द कॉलेज का मामला भी उठाया गया। आयोग ने कहा कि ये दोनों काॅलेजों के प्रिंसिपल रोस्टर त्रुटिरहित कर शपथ पत्र प्रस्तुत करें।

बैठक में विभिन्न कॉलेजों द्वारा ओबीसी ग्रांट के इस्तेमाल पर भी चर्चा हुई। इस मामले में लक्ष्मीबाई कॉलेज ओबीसी ग्रांट के खर्च को लेकर आयोग ने आपत्ति व्यक्त की। आयोग ने कॉलेज से ग्रांट के इस्तेमाल की पूरी जानकारी मांगी।
आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि ओबीसी ग्रांट का पैसा ओबीसी के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इसका दूसरे मद में उपयोग अनुचित है। उन्होंने इस बात पर नाराजगी व्यक्त की कि ओबीसी छात्रों को दाखिले के समय परेशान किया जाता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय हर शैक्षणिक सत्र में समय रहते नियमों की पुनर्समीक्षा कर ले और तभी विज्ञापन जारी करे। ऐसा नहीं होना चाहिए कि जब छात्र आवेदन करें और उन्हें परेशानी हो तब विश्वविद्यालय अपने नियमों में कोई बदलाव करे। उन्होंने वर्ष 2007 से अब तक ओबीसी छात्रों के दाखिले के संबंध में विस्तृत जानकारी मांगी।
साथ ही, उन नियुक्तियों के बारे में जानकारी मांगी, जिनमें यह कहा गया कि योग्य अभ्यर्थी नहीं मिले। इसके अलावा नामांकन फॉर्म के लिए शुल्क के संबंध में जानकारी तलब की।
गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में ओबीसी से संबंधित मिल रही शिकायतों के मद्देनजर आयोग ने यह दौरा किया था। इसमें यूजीसी अधिकारियों के साथ साथ विश्वविद्यालय के सभी अधिकारी मौजूद थे।
(संपादन : नवल)
फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्त बहुजन मुद्दों की पुस्तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्य, सस्कृति व सामाजिक-राजनीति की व्यापक समस्याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +917827427311, ईमेल : info@forwardmagazine.in
फारवर्ड प्रेस की किताबें किंडल पर प्रिंट की तुलना में सस्ते दामों पर उपलब्ध हैं। कृपया इन लिंकों पर देखें
मिस कैथरीन मेयो की बहुचर्चित कृति : मदर इंडिया