h category

परंपरा

पुनर्पाठ : सिंधु घाटी बोल उठी
डॉ. सोहनपाल सुमनाक्षर का यह काव्य संकलन 1990 में प्रकाशित हुआ। इसकी विचारोत्तेजक भूमिका डॉ. धर्मवीर ने लिखी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि इन कविताओं से यह सिद्ध होता है कि अब विद्रोह की...
महाराष्ट्र में आदिवासी महिलाओं ने कहा– रावण हमारे पुरखा, उनकी प्रतिमाएं जलाना बंद हो
उषाकिरण आत्राम के मुताबिक, रावण जो कि हमारे पुरखा हैं, उन्हें हिंसक बताया जाता है और एक तरह से हमारी संस्कृति को दूषित किया जा रहा है। यह ब्राह्मणवादी साजिश है, जिसके कारण हमारी संस्कृति...
‘अगर हमारे सपने के केंद्र में मानव जाति के लिए प्रेम है, तो हमारा व्यवहार भी ऐसा होना चाहिए’
गेल ऑम्वेट गांव-गांव जाकर शोध करती थीं, उससे जो तथ्य इकट्ठा होता था, वह बहुत व्यापक था और बहुत लोगों से जुड़ा होता था। उससे जो निष्कर्ष बाहर आता था, वह सत्य के ज्यादा नजदीक...
पांच मिनट में जानें हूल दिवस का महत्वपूर्ण इतिहास
संताल आदिवासियों का विद्रोह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अलग स्थान रखता है। इसकी शुरूआत 1771 में तिलका मांझी के नेतृत्व में हुई। लेकिन 1855 में सिदो-कान्हू ने निर्णायक विस्तार दिया। इसे हूल विद्रोह...
अभी हम आदिवासियों का पेट नहीं भरा है : वासवी किड़ो
'विस्थापन झारखंड को खाए जा रहा है। झारखंड अलग राज्य अगर बना है तो विस्थापन का सवाल तो...
संविधान के नागरिक राष्ट्र से दिक्कत क्या है?
यह सच है कि नरसंहार करके राज्य स्थापित करना उस राज्य की सभ्यता पर भी सवालिया निशान लगाता...
दलित पैंथर : पचास साल पहले जिसने रोक दिया था सामंती तूफानों को
दलित पैंथर के बारे में कहा जाता है कि उसका नाम सुनते ही नामी गुंडे भी थर्रा उठते...
संविधान के नागरिक राष्ट्र से दिक्कत क्या है?
यह सच है कि नरसंहार करके राज्य स्थापित करना उस राज्य की सभ्यता पर भी सवालिया निशान लगाता...
और आलेख