इस खंड की कुछ उपलब्धियां तो इतनी अनूठी हैं, जिससे इसे ऐतिहासिक दस्तावेज का दर्जा हासिल हो चुका है। पल्टू कहार, गुंडाधुर धुर्वा, विट्ठल लक्ष्मण कोतवाल जैसे चरित्र नायक, इनके बारे में पाठकों ने अन्यत्र...
आपको आश्चर्य होगा, इस फुरसतहीन नगर में रुककर जुलूस देखने वाले लोग किस कोने से आए! यहां सब कुछ होने का विद्रोह है– ‘चोलबे ना!’ और कहीं कुछ न हो पाने का विद्रोह है– ‘आमार...
यह कविता संकलन आज के साहित्यकारों, खासकर दलित-बहुजन साहित्यकारों के लिए एक उदाहरण है कि हमें अपने बिंबों की तलाश के लिए दूसरे समाजों के आसरे रहने की आवश्यकता नहीं है और न ही उनके...
सावित्री बड़ाईक अपनी कविताओं के जरिए तथाकथित सभ्य लोगों को भी चेताती है कि विकास के नाम पर उनके जल-जंगल-जमीन पर हमले करना बंद करके उनके वैकल्पिक जीवन दर्शन और स्वायत्त जीवन-शैली का सम्मान करना...