वास्तव में सूर्पणखा के साथ बलात्कार ही हुआ था, जिसे ब्राह्मण लेखकों ने छिपाने का काम किया। लोक भाषा में इसे ‘नाक कटना’ ही कहा जाता है। निश्चित रूप से बलात्कार की वास्तविकता का उद्घाटन...
रजत रानी मीनू की कहानियां यथार्थवादी हैं। वह घटनाओं का उसी रूप में चित्रण करती हैं, जिस रूप में वे घटती हैं। वह उनको अपने अनुकूल ढालने का प्रयास नहीं करतीं। बता रहे हैं कंवल...
रेणु ने हिंदी में रिपोर्ताज विधा को जिस शिखर पर पहुंचाया, उसकी बराबरी आज तक कोई नहीं कर सका है। अपने पहले ही रिपोर्ताज ‘बिदापत नाच’ में उन्होंने दलित समाज की गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत की...
लखमी चंद की रागनियां पूरी तरह ब्राह्मणवादी और सामंतवादी आचार-विचारों और मूल्यों की स्थापना करती हैं। वह वेद-शास्त्रों, पुराणों और खासकर मनुस्मृति के अनुसार लोक जीवन को चलाना चाहते थे। बता रहे हैं कंवल भारती