h n

ओबीसी के लिए अलग विभाग की मांग करेगा महासंघ

आगामी 7 अगस्त को राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के तत्वावधान में दूसरे ओबीसी सम्मेलन का आयोजन कन्स्टीच्यूशन क्लब सभागार में किया जाएगा। इस मौके पर आधा दर्जन से अधिक केंद्रीय मंत्रियों की मौजूदगी में जातिगत जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक करने से लेकर तमाम बुनियादी सवालों पर विमर्श होंगे

पूरे देश में बहुसंख्यक आबा होने के बावजूद ओबीसी वर्ग की उपेक्षा की जा रही है। आवश्यकता है कि जिस प्रकार महाराष्ट्र में फ़ड़णवीस सरकार ने ओबीसी वर्ग के विकास के लिए अलग से विभाग का गठन किया, केंद्र सरकार भी अलग से एक मंत्रालय का गठन करे। इसी मांग को तेज करने के लिए आगामी 7 अगस्त को नई दिल्ली के कन्स्टीच्यूशन क्लब सभागार में एकदिवसीय दूसरे ओबीसी सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। इस संबंध में एक बैठक हाल ही में संपन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता न्यायमूर्ति सह राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष रहे व्ही ईश्वरय्या ने की।

बैठक में इस आशय पर सहमति व्यक्त की गयी कि 7 अगस्त को होने वाले सम्मेलन की अध्यक्षता राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के अध्यक्ष प्राचार्य डा. बबन राव तायवाडे करेंगे। इसमें जदयू के राज्यसभा सांसद सह पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव भी शिरकत करेंगे। बैठक में ओबीसी से जुड़े विभिन्न बुनियादी सवालों को लेकर विचार विमर्श किया जाएगा।

इनमें सामाजिक जातिगत जनगणना की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग और ओबीसी के लिए पृथक रुप से अलग मंत्रालय की मांग शामिल है। साथ ही क्रीमीलेयर हटाने, मंडल आयोग की अनुशंसाओं को संपूर्ण रुप से लागू करने के अलावा नाचीप्पण आयोग और स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिशों को लागू करने के संबंध में विचार रखे जायेंगे। बैठक में ओबीसी महासंघ के सदस्यों के द्वारा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक अधिकार दिये जाने के संबंध में केंद्र सरकार की पहल का स्वागत किया गया। साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि 7 अगस्त को होने वाले सम्मेलन में इसे जल्द से जल्द लागू करने की मांग को रखा जाएगा।

बहरहाल, इस सम्मेलन मे केंद्रीय गृह राज्यमंत्री हंसराज अहीर, केंद्रीय राज्य मंत्री अनंत गीते, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सांसद फोरम के पूर्व अध्यक्ष हनुमंत राव,राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के समन्वयक सह पूर्व सांसद डा खुशाल बोपचे, ओबीसी फोरम के अध्यक्ष सह सांसद गणेश सिंह, टीडीपी सासंद देवेंद्र गौडा, सांसद नाना पटोले, सांसद नरसैय्या गौडा, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल आदि शामिल होंगे।


फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्‍त बहुजन मुद्दों की पुस्‍तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्‍स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्‍य, सस्‍क‍ृति व सामाजिक-राजनीति की व्‍यापक समस्‍याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्‍स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +919968527911, ईमेल : info@forwardmagazine.in

लेखक के बारे में

सचिन राजुरकर

लेखक सचिन राजुरकर राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ से जुड़े हैं और लंबे समय से सामाजिक कार्यकर्ता के रुप में सक्रिय रहे हैं

संबंधित आलेख

यूपी : दलित जैसे नहीं हैं अति पिछड़े, श्रेणी में शामिल करना न्यायसंगत नहीं
सामाजिक न्याय की दृष्टि से देखा जाय तो भी इन 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने से दलितों के साथ अन्याय होगा।...
बहस-तलब : आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पूर्वार्द्ध में
मूल बात यह है कि यदि आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाता है तो ईमानदारी से इस संबंध में भी दलित, आदिवासी और पिछड़ो...
साक्षात्कार : ‘हम विमुक्त, घुमंतू व अर्द्ध घुमंतू जनजातियों को मिले एसटी का दर्जा या दस फीसदी आरक्षण’
“मैंने उन्हें रेनके कमीशन की रिपोर्ट दी और कहा कि देखिए यह रिपोर्ट क्या कहती है। आप उन जातियों के लिए काम कर रहे...
कैसे और क्यों दलित बिठाने लगे हैं गणेश की प्रतिमा?
जाटव समाज में भी कुछ लोग मानसिक रूप से परिपक्व नहीं हैं, कैडराइज नहीं हैं। उनको आरएसएस के वॉलंटियर्स बहुत आसानी से अपनी गिरफ़्त...
महाराष्ट्र में आदिवासी महिलाओं ने कहा– रावण हमारे पुरखा, उनकी प्रतिमाएं जलाना बंद हो
उषाकिरण आत्राम के मुताबिक, रावण जो कि हमारे पुरखा हैं, उन्हें हिंसक बताया जाता है और एक तरह से हमारी संस्कृति को दूषित किया...