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सेना के खिलाफ एफआईआर से सियासी भूचाल

जम्मू-कश्मीर में सियासती बवंडर उठने लगा है। महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने हाल ही में भारतीय सैनिकों द्वारा घाटी के दो लोगों की हत्या के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच का आदेश दे दिया है। वहीं इस मामले में भारतीय सेना के दो जवानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। वहीं सेना की ओर से यह कहा गया है कि सेना ने आत्मरक्षा में गोलियां चलायी

गणतंत्र दिवस के दिन दर्ज हुआ मुकदमा

देश के 69वें गणतंत्र दिवस के दिन ही कश्मीर के शोपियां जिले थाना में 10,गढ़वाल यूनिट के दो सदस्यों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। इसमें एक मेजर रैंक का ऑफिसर भी शामिल है। कश्मीर पुलिस के मुताबिक दोनों अभियुक्तों के खिलाफ 302 और 307 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। घटना के केंद्र में बीते 26 जनवरी को शोपियां में प्रदर्शकारियों द्वारा सेना के काफिले पर किया गया हमला है।  इस घटना में सेना के द्वारा की गयी गोलीबारी में जावेद भट्ट और सुहेल लोन नामक दो नौजवानों की मौत हो गयी थी। वहीं बीस से अधिक लोग जख्मी हुए। हालांकि शोपियां जिले के एसपी श्रीराम अम्बरकर के मुताबिक केवल तीन अन्य घायल हुए हैं। इनमें से एक की हालत गंभीर है।

घाटी में थमने का नाम नहीं ले रहा सेना के प्रति जनता का विरोध

सेना का जवाब – आत्मरक्षार्थ चलायी गोलियां

वहीं इस पूरे मामले में सेना के द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि सेना के जवानों का इसमें कोई दोष नहीं है। प्रदर्शन के दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने सेना के काफिले पर हमला बोला। वे पत्थर बरसा रहे थे और सैनिकों से उनके हथियार छीनने का प्रयास कर रहे थे।

फिरदौस अहमद नामक युवक के एनकाउंटर से नाराज थे लोग

स्थानीय मीडिया में प्रकाशित खबरों के मुताबिक शोपियां जिले के गानापूरा गांव के निवासी फिरदौस अहमद की हत्या सेना द्वारा कर दी गयी। उसे आतंकी कहकर मारा गया। यह घटना 24 जनवरी को घटित हुई थी। इसके विरोध में गानापूरा गांव और पड़ोसी गांव के लोग एकजुट हो गए और वे सेना व महबूबा मुफ्ती सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे। सेना के जवानों ने लोगों से ‘फिरदौस अहमद को इंसाफ दो’ का नारा लिखे तख्तियों को छीन लिया। इस कारण प्रदर्शनकारी लोगों और सेना के बीच तकरार बढ़ गयी।

रिश्ते में आयी खटास : मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने बदले अपने तेवर

पीडीपी-बीजेपी सरकार में खींचतान शुरू

राज्य में सत्तासीन पीडीपी-बीजेपी सरकार के समक्ष समस्यायें बढ़ती जा रही हैं। अभी हाल ही में मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने 9000 से अधिक लोगों के खिलाफ दर्ज मुकदमाें को वापस लेने का निर्णय लिया है। ये मामले सेना के जवानों पर पत्थर चलाने वालों के खिलाफ दर्ज किए गये थे। सरकार के इस पहल से सत्ता में साझेदार भाजपा ने सवाल उठाया था।

बहरहाल, भारतीय सेना के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाना एक ऐतिहासिक घटना है। शोपियां जिले के पुलिस कप्तान श्रीराम अम्बरकर के मुताबिक मामला मृतक नौजवानों के परिजनों द्वारा दर्ज कराया गया है। इसकी जांच के लिए एक टीम का गठन किया गया है। वहीं सरकार द्वारा पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच करवाने के निर्देश से सेना और सरकार के बीच ठन गयी है। देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में यह तनानती किस रूप में बदलती है।


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