पांचवीं अनुसूची और अपने संवैधानिक अधिकारों के लिए देश भर से आदिवासी गोलबंद हो रहे हैं। ‘मिशन 2018’ के तहत बड़ी संख्या में आदिवासी 1 अप्रैल से अनिश्चितकालीन तक दिल्ली में संसद का घेराव करेंगे। इस आशय की जानकारी जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ. हीरालाल अलावा ने दी।

श्री अलावा ने बताया कि आजादी के बाद से अभी तक लगातार आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की उपेक्षा की गई है। आदिवासियों के जमीन और जंगलों को जबरन लूटा जा रहा है। आदिवासियों के मानवाधिकारों की उपेक्षा की गई और सरेआम गोलियों से भून दिया गया। अफसोस की बात यह है कि यह सब सरकार की मिलीभगत से हुआ। आदिवासियों के लिए यह सब अब बर्दाश्त से बाहर है, इसलिए आदिवासियों ने संसद घेराव करने का फैसला किये हैं।

श्री अलावा ने कहा कि जब तक आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों के सख्ती से अनुपालन के लिए संसद में बिल पास नहीं होगा और आदिवासियों का उत्पीड़न करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त एक्शन नहीं लिया जाएगा, तब तक आदिवासी संसद पर डटे रहेंगे। उन्होंने दवा किया कि ‘संसद घेराव में एक करोड़ आदिवासी भाग लेंगे।’
वहीं झारखण्ड के जयस प्रभारी संजय पहान ने दावा किया कि झारखण्ड से 5 लाख आदिवासी दिल्ली पहुंचेंगे। उन्होंने कहा कि संसद का ऐतिहासिक घेराव होगा। उन्होंने कहा कि घेराव के माध्यम से अनुसूचित राज्यों में पांचवीं अनसूची के प्रावधानों का शतप्रतिशत अनुपालन करवाने, कुर्मी-तेली को झारखंड/बंगाल में आदिवासी के दर्जा देने की प्रस्ताव को रद्द करने, अनुसूचित जाति जनजातीय अत्याचार निरोधक अधिनियम पर सर्वोच्च न्यायालय के आये निर्देश पर केन्द्र सरकार से पुनर्विचार याचिका दायर करने, संविधान में अनुसूचित जनजाति शब्द के स्थान पर आदिवासी लिखने, देश के विभिन्न राज्यों में विलुप्त हो रहे बैगा, असुर, पहड़िया, जारवा और ओंग जनजाति के विकास और सुरक्षा सुनिश्चित करने, विश्व आदिवासी दिवस को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने आदि माँगे रखीं जाएगी।

तेलंगाना जयस प्रभारी नरसिम्हा राव कत्राम ने कहा कि अपने अधिकारों को लेकर हम आदिवासी जाग गये हैं और अब हम अपने अधिकारों को लेकर रहेंगे। उन्होंने कहा कि तेलंगाना से भी बड़ी संख्या में आदिवासी दिल्ली में संसद का घेराव करने जाएंगे। वहीं मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के जयस प्रभारी ज्ञान सिंह परते ने बताया कि आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों के सख्ती से अनुपालन के लिए इस मुद्दे को राष्ट्रपति के समक्ष रखा जाएगा। इस आंदोलन में देशभर आदिवासियों द्वारा बड़ी संख्या में 1 अप्रैल से अनिश्चित-कालीन संसद का घेराव किया जाएगा। वहीं मध्य प्रदेश के ही इंदौर के जयस प्रभारी रविराज बघेल ने बताया कि ‘संसद घेरो-मिशन 2018’ आंदोलन का आह्वान जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) के बैनर तले किया गया है। लेकिन इस आंदोलन में देश के सभी आदिवासी संगठन भाग ले रहे हैं।
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