देश भर में आदिवासियों पर हो रहे बर्बर हमलों और जनसंहारों के खिलाफ बीते 2 मई को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं और बुद्धिजीवियों ने प्रतिरोध मार्च निकाला और सभा की। विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर चौथीराम यादव और प्रोफेसर बलराज पांडेय समेत लगभग सभी वक्ताओं ने एक स्वर में सरकार को आदिवासी विरोधी नीति और व्यवहार के लिए कोसा और रोष व्यक्त किया।

वक्ताओं का कहना था कि नक्सल उन्मूलन के नाम पर पिछले सप्ताह महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में एक फ़र्ज़ी मुठभेड़ में पुलिस व अर्धसैनिक बलों द्वारा 40 से ज्यादा गरीब व बेकसूर आदिवासियों की हत्या कर दी गयी। मरने वालों में आधे से ज्यादा महिलाएं हैं। दूसरी तरफ, झारखंड में चाईबासा के जंगल में बसे आदिवासी गाँवों पर मोर्टार दागे जा रहे हैं, जिसकी वजह से बड़ी संख्या में आदिवासियों के घायल होने और गाँव छोड़कर भागने की खबरें आ रही हैं।

वक्ताओं ने सरकार के इस बयान को झूठा बताया कि ये हमले माओवादियों को खत्म करने के लिए किए जा रहे हैं। सच तो यह है कि सरकार देशी-विदेशी कंपनियों के मुनाफे व लूट के लिए आदिवासियों को उनके जल-जंगल-जमीन से बेदखल करना चाहती है, ताकि पूंजीपतियों को जमीन व प्राकृतिक संसाधनों का बंदरबाँट करने की खुली छूट मिल जाये। विभिन्न कॉर्पोरेट कंपनियों के साथ सरकार ऐसे सैकड़ों करार कर चुकी है।

सभी लोगों ने एक स्वर में भारतीय राज्य द्वारा अपनी ही जनता के ऊपर छेड़े गए युद्ध का विरोध किया और आदिवासी क्षेत्रों से सेना हटाने और प्राकृतिक संसाधनों की लूट के लिए देशी-विदेशी कंपनियों के साथ किये गए सभी समझौतों और करारों को रद्द करने की माँग की। भगत सिंह छात्र मोर्चा, आइसा, स्टूडेंट्स फ़ॉर चेंज, एपवा, भगत सिंह अम्बेडकर विचार मंच और भारतीय समता परिवार आदि विभिन्न संगठनों के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस प्रतिरोध सभी संगठनों के एक-एक प्रतिनिधियों ने अपनी बात रखी।
कार्यक्रम में भगत सिंह छात्र मोर्चा से आकांक्षा आज़ाद,आरती, विश्वनाथ, प्रियांशु, शाश्वत, विनय, अनुपम, आइसा से आनंद, विवेक, एपवा से कुसुम वर्मा, भारतीय समता परिवार से सुनील कश्यप, अमरेंद्र प्रताप, भगत सिंह अम्बेडकर विचार मंच से सुनील यादव, स्टूडेंट्स फ़ॉर चेंज से स्वाति प्रमुख रूप से शामिल रहे।
(कॉपी एडिटर : अनिल)
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