अंधविश्वास को बढ़ावा देने में देशभर में सरकारी तंत्र पर काबिज ब्राह्मणवादी व्यवस्था के हिमायती लोगों की बड़ी भूमिका है। इन हरकतों से जाने-अनजाने दूसरे धर्मों और बहुसंख्य गैर-हिन्दू लोक आस्थाओं पर कुठाराघात होता ही है, देश की धर्मनिर्पेक्ष संवैधानिक व्यवस्था का हनन और कई बार लोगों की जिंदगी से भी खिलवाड़ हो जाता है। ऐसे ही एक घटनाक्रम में, बीते 11 मई 2018 को, छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में जगदलपुर जिले के डिमरापाल स्थित महारानी मेडिकल कॉलेज अस्पताल (मेकॉज) के नवनिर्मित अस्पताल भवन में लगभग साढ़े तीन सौ करोड़ रुपए से नवनिर्मित केंद्रीकृत आपरेशन थियेटर व साढ़े पांच सौ बिस्तरों वाले नये अस्पताल भवन का उद्घाटन मुख्यमंत्री रमण सिंह से पहले एक पुजारी के हाथों करा दिया गया। मुख्यमंत्री को इसका उद्घाटन 15 मई को करना था, जिसे पुजारी के हाथों उद्धाटन पर उभरे विवाद के बाद तत्काल टाल दिया गया है।
पहले इस हॉस्पिटल का लोकार्पण विकास यात्रा के दौरान छत्तीसगढ़ के सीएम डॉ रमन सिंह के द्वारा कराने की बात सामने आई थी। लेकिन बीते शुक्रवार को मेकॉज के डीन, डॉक्टर यू. एस. पैकरा और ओटी विभाग के कुछ डॉक्टर, जगदलपुर के एक पंडित को लेकर आ गए। फिर हिन्दू तरीके से पूजा की गयी, मशीनों की आरती उतारी गयी और हवन भी हुआ। इतना ही नहीं, इस पूजा-पाठ की तस्वीरें और वीडियो भी डॉक्टरों ने जारी की।
मेकॉज के डॉक्टर अब भी अपने कृत्य को सही ठहराने पर तुले हुए हैं। एक डॉक्टर ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कहा कि पूजा-पाठ-हवन कराकर कुछ भी गलत नहीं किया गया है। हम भी मानते हैं कि चिकित्सा विज्ञान अंधविश्वास नहीं है। हम हवन और पूजा-पाठ से किसी का इलाज नहीं करते हैं। बस हमलोगों की आस्था है और आस्था लोगों को बांधे रखती है। यह पूछे जाने पर कि आपरेशन थियेटर में धूप-हवन करने से संक्रमण हो सकता है, डॉक्टर ने कोई जवाब नहीं दिया।
बताते चलें कि इसी छत्तीसगढ़ राज्य में इन्हीं ऑपरेशन थियेटरों में जीवाणु की उपस्थिति के कारण इंफेक्शन फैलने से नसबंदी कराने वाली कई महिलाओं को संक्रमण और मोतियाबिंद ऑपरेशन में कई गरीबों की आंखें ख़राब हो चुकी हैं। हाल ही, रायपुर के एम्स में भी इस तरह की घटनायें सामने आयी थीं।
इस मामले में आदिवासी समाज के संरक्षक अरविंद नेताम कहते हैं कि सरकार और उसके तंत्र मेडिकल साइंस में ही नहीं, बल्कि हर क्षेत्र में अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे हैं। सरकार वर्ण और जाति व्यवस्था को मजबूत करने में लगी है। मेडिकल की डिग्री लेकर आए डॉक्टर हवन-पाठ कर रहे हैं। उनका कहना था कि यदि कोई हिन्दू पुजारी पूजा-पाठ कर उद्घाटन करता है तो आदिवासी बहुल छत्तीसगढ़ राज्य में आदिवासी रीति-रिवाज के अनुसार भी, माटी पुजारी, गायता/गुनिया से भी, उद्घाटन कराया जाना चाहिए था। उन्हें तो प्राकृतिक तरीके से इलाज करना भी आता है।
पीयूसीएल के प्रांतीय अध्यक्ष लाखन सिंह कहते हैं कि विज्ञान की पढ़ाई करना और वैज्ञानिक सोच रखना, दोनों अलग-अलग बातें हैं। आजकल तो अवैज्ञानिक और अंधविश्वास के साथ खड़े होकर लोग राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक अपनी वफादारी साबित करने की होड़ में जुटे हैं। जब प्रधानमंत्री से लेकर राज्य सरकार के मंत्री और नौकरशाह, सब अधंविश्वास को बढ़ावा दे रहे हैं तो डॉक्टरों के कृत्य पर क्या आश्चर्य? उन्होंने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में इस प्रकार के आयोजन प्रोफेशन के खिलाफ और मरीजों को धोखा देने के समान है। एेसे डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
(कॉपी एडिटर : अनिल/नवल)
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