इस देश की उत्पीड़क और अमानवीय जाति व्यवस्था के खिलाफ परचम लहराने और उसके खिलाफ आवाज बुलंद करने में अर्जक संघ का योगदान अप्रतिम है। यह उस अर्जक संघ के अथक प्रयासों का ही प्रतिफल है कि जातिवाद और ब्राह्मणवादी व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई आज निर्णायक दौर में पहुँच चुकी है। अर्जक संघ की स्थापना 1 जून 1968 को लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में महामना रामस्वरूप वर्मा ने अपने सहयोगी महामना चौधरी महाराज सिंह भारती एवं अन्य साथियों के साथ मिलकर किया था। इस वर्ष संगठन के 50 साल पूरा होने के अवसर पर स्वर्ण जयंती समारोह लखनऊ में ही रामाधीन उत्सव भवन (आईटी चौराहा) के पास 1, 2 और 3 जून को मनाया गया जिसमें उत्तर प्रदेश बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, हरियाणा, केरल, तमिलनाडु सहित देश के विभिन्न कोने से आए सैकड़ों लोगों ने भाग लिया। तीन दिनों तक चले इस समारोह में भाषण, सांस्कृतिक कार्यक्रम, चमत्कार का भंडाफोड़ करने वाले जादू ,पुस्तकों की बिक्री समेत विभिन्न विषयों पर परिचर्चा एवं खुले सत्रों का आयोजन किया गया जिसमें देश भर से आए लेखक, पत्रकार, साहित्यकार एवं समाजसेवियों ने भाग लिया।

पहले दिन कार्यक्रम अर्जक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस. आर. सिंह के उद्घाटन भाषण के साथ शुरू हुआ । इसके पहले भारत के संविधान की प्रस्तावना एवं अर्जक संघ के संकल्प की प्रस्तावना को लोगों ने एक साथ दुहराया तथा अर्जक संघ जिंदाबाद ! मानववाद जिंदाबाद ! भारतीय संविधान की जय ! के नारों के साथ पहले दिन का सत्र हुआ ; इस सत्र के मुख्य अतिथि बामसेफ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष दयाराम ने अर्जक संघ के आंदोलन की सराहना की और कहा कि मानववादी विचारधारा के संगठनों के बीच तालमेल और समन्वय की आवश्यकता है और तभी हम सब ब्राह्मणवाद के खिलाफ इस बड़ी लड़ाई को जीत सकते हैं और मानववाद की स्थापना कर सकते हैं जिसका सपना डॉक्टर आंबेडकर, फूले, नायकर, रामस्वरूप वर्मा, चौधरी महाराज सिंह भारती, ललई सिंह यादव जैसे महापुरुषों ने देखा था। इस सत्र के मुख्य वक्ता के तौर पर अर्जक संघ के पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री एवं वर्तमान में मानववादी छात्र महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज कुमार जो कि इस तीन दिवसीय कार्यक्रम के संयोजक भी रहे, उन्होंने कहा कि अर्जक संघ का दर्शन और उसकी विचारधारा बेजोड़ है, अकाट्य है। यह पदार्थवाद एवं मानव समता पर आधारित है। पिछले 50 साल के दौरान देश में बहुत सारे सामाजिक संगठन बने और उनका अवसान हुआ जिनका आज कोई नामलेवा भी नहीं बचा। ऐसी स्थिति में अर्जक संघ अपनी विचारधारा के दम पर बगैर किसी पूंजीपति के सहयोग के विषम परिस्थितियों में भी अपने अस्तित्व का 50 वर्ष पूरा किया और आज भी लोगों में पैठ बनाए हुए है और यह सिलसिला निरंतर आगे ही बढ़ रहा है। वह दिन दूर नहीं जब ब्राह्मणवादी की समाप्ति और मानववाद की स्थापना के अर्जक संघ के अभियान का कायल पूरा देश होगा।
संगठन के 50 वर्ष पूरा होने के इस मौके पर एक स्मारिका तथा तीन पुस्तकों का विमोचन किया गया।

दूसरे दिन के दो अलग-अलग सत्रों में मुख्य अतिथि के तौर पर पत्रकार दिलीप मंडल एवं फारवर्ड प्रेस के हिंदी संपादक डॉक्टर सिद्धार्थ ने अपनी बातें लोगों के बीच रखी। दिलीप मंडल ने कहा कि न्यायपालिका में ऊंची जातियों का अघोषित आरक्षण है। इसको जारी रखने वाली कॉलेजियम सिस्टम को बंद किया जाना चाहिए और जजों की नियुक्ति प्रतियोगिता परीक्षा के आधार पर हो। वहीं डाॅ. सिद्धार्थ ने कहा कि देश में ब्राह्मणवाद फिर से पैर पसार रहा है। आज भी सरकारी क्षेत्र में भी उच्च जातियों के लोगों का पूर्ण वर्चस्व कायम है। जबकि दलितों, ओबीसी और आदिवासियों को मिलने वाले आरक्षण पर हमला हो रहा है। ऐसे में इस देश के दलित, पिछड़े, शोषित बहुजन अल्पसंख्यकों को सावधान रहने की आवश्यकता है, वरना ब्राह्मणवाद फिर से इस देश में हावी हो जाएगा और भारत के संविधान को नकारकर मनुवाद को लागू करना शुरू कर देगा ।
अर्जक संघ के द्वितीय रक्षापंक्ति के रूप में गठित मानववादी छात्र-युवजन सभा का तीसरे दिन के कार्यक्रम की अध्यक्षता इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज कुमार ने किया। मुख्य वक्ता राष्ट्रीय संरक्षक मनीष भारती एवं संचालन राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पंकज कटियार एवं बलराम मौर्या ने किया । मंच का उद्घाटन संगठन के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनुराग वर्मा ने किया। छात्र-युवकों ने पूरे मंजे हुए वक्ताओं की तरह अपनी बातों को लोगों के समक्ष रखा और देश में शिक्षा की व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता बताई। साथ ही कॉलेज और यूनिवर्सिटी में जो सीटें कम की जा रही हैं और दलित पिछड़े वर्ग के छात्रों के साथ जो अन्याय हो रहा है उसके खिलाफ आवाज बुलंद करने की बात कही।

स्वर्ण जयंती समारोह के इस अवसर पर अर्जक संघ में पिछले 50 वर्ष के दौरान जिन लोगों ने भी ब्राहमणवादी पद्धति से शादी विवाह को नकारकर अर्जक संघ की मानववादी पद्धति से शादी किया है उन्हें इस मंच से स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। साथ ही साथ जिस परिवार में भी किसी के मृत्यु के पश्चात अर्जक पद्धति से शोक सभा का आयोजन बगैर पाखंड और आडंबर के हुए उस परिवार के प्रतिनिधियों को भी मंच से सम्मानित किया गया। 70-80 के दशक में जिन लोगों ने भी रामचरितमानस और मनुस्मृति को जलाया था उन लोगों को भी इस मंच से सम्मानित किया गया और कहा गया कि ये लोग जो इस मंच से सम्मानित हुए उन्होंने अर्जक संघ के इस कारवां को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। इसी प्रकार से ब्राह्मणवादी संस्कार और विचारों और त्यौहारों को नकार कर मानववादी संस्कृति को स्थापित किया जा सकता है। अंत में तीसरे दिन के खुले सत्र के मुख्य वक्ता शोषित समाज दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुनी राम शास्त्री रहे। इनके अलावा हरिराम वर्मा, आचार्य रामलाल विधायक ,दयानाथ निगम, ब्रह्मदेव प्रसाद, प्रभाकर ,मोहनलाल कटियार, शिव कुमार भारती ,रामबाबू कनौजिया ,शशिकांत सिन्हा , उपेन्द्र पथिक, गणेश शर्मा सहित कई लोगों ने मंच से संबोधित किया और अर्जक संघ के कारवां को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।
(कॉपी एडिटर : अशोक)
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