नई दिल्ली। मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जारी उच्च शिक्षा सर्वेक्षण की रिपोर्ट से पता चला है कि देश में 0.5 प्रतिशत से भी कम छात्र पीएचडी करते हैं। बता दें कि देश में 903 विश्वविद्यालय और तकरीबन39 हजार काॅलेज हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि इन विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में स्नातक और स्नातकोत्तर में प्रवेश दर बढ़कर 25.8 प्रतिशत हो गई है, जिनमें से करीब 79 प्रतिशत छात्र स्नातक में प्रवेश लेते हैं। जबकि पीएचडी में सबसे कम सिर्फ 0.5 प्रतिशत से भी कम छात्र ही प्रवेश लेते हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार, लड़कियों का दाखिला दर 25.4 प्रतिशत ही है, जबकि लड़कों का 26.3 प्रतिशत है। वर्ष 2017 में देश में 0.5 प्रतिशत यानी एक लाख 61 हज़ार 413 छात्र ही पीएचडी में दाखिला ले पाए।
पीएचडी करने वाले छात्रों में 31.6 प्रतिशत राज्यों के विश्वविद्यालयों से आते हैं, जबकि 20.4 प्रतिशत, राष्ट्रीय महत्त्व के शिक्षण संस्थानों से 15.8 प्रतिशत, केंद्रीय विश्वविद्यालयों से तथा 13.4 प्रतिशत, डीम्ड एवं निजी विश्वविद्यालय से आते हैं। देश के 3.6 प्रतिशत कालेजों में ही पीएचडी की पढ़ाई होती है। पिछले वर्ष 34 हजार छात्रों ने पीएचडी की डिग्री मिली, जिसमे 14 हजार 221 छात्राएं हैं, जबकि 20 हज़ार 179 छात्र हैं। विज्ञान, इन्जीनियरिंग और तकनीकी विषयों में छात्र अधिक पीएचडी करते हैं। अभी बीते सप्ताह दिल्ली विश्वविद्यालय में पीएचडी और एम.फिल की प्रवेश परीक्षा के परिणाम आने पर पता चला कि इन परीक्षाओं में पास करने वाले एवरेज छात्र 10 प्रतिशत से भी कम रहे।

बहरहाल मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने हाल ही में कहा है कि उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए देश के विश्वविद्यालयों में 68 देशों के 800 अध्यापक पढ़ाएंगे। तो क्या इसकी वजह भारत में कम पीएचडी धारक हैं या फिर कोई और वजह है?
(कॉपी एडिटर : नवल)
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