प्रधानमंत्री के पकौड़ा बेचने वाले बयान का पूरे देश में युवाओं ने जगह-जगह पकौड़ा तलकर विरोध किया। जेएनयू कैंपस में भी इस वर्ष फरवरी में चार विद्यार्थियों ने पकौड़े तले। लेकिन, यह बात जेएनयू प्रशासन को नागवार गुजरी और चारों विद्यार्थियों पर 20-20 हजार का जुर्माना लगा डाला। इतना ही नहीं, प्रशासन ने एक विद्यार्थी को हॉस्टल से निकाल दिया, जबकि तीन को हॉस्टल बदलने के आदेश दिए हैं। जेएनयू प्रशासन का कहना है कि उसने पकौड़े तलने पर नहीं, बल्कि कैंपस की सड़क बाधित करने और विद्यार्थियों को डिस्टर्व करने पर जुर्माना और सजा का प्रावधान किया है। बताया जा रहा है कि विद्यार्थियों द्वारा पकौड़े बेचने के मामले की जांच विश्विविद्यालय के प्रॉक्टर ने खुद की थी। इस मामले में राजस्थान के रहने वाले सेंटर फॉर इंडियन लैंग्वेजेज के छात्र मनीष कुमार मीणा ने कहा है कि वह पीएम मोदी के पकौड़ा तलने वाले बयान से बेहद नाराज थे और उसका विरोध करने के लिए पकौड़े तल रहे थे। फिलहाल जेएनयू प्रशासन ने मामले में मनीष कुमार मीणा के खिलाफ जांच भी शुरू कर दी है।
कार्यक्रम बाधित करने पर जुर्माना : इसके अतिरिक्त, जेएनयू प्रशासन ने एनएसयूआई सदस्य व विद्यार्थी सनी धीमान पर भी 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। सनी पर 14 अप्रैल 2017 को आंबेडकर जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में बाधा पहुंचाने का आरोप है। सनी धीमान मामले में भी विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर ने जांच की थी।
बता दें कि जेएनयू प्रशासन इससे पहले भी अनेक छात्रों पर जुर्माना लगा चुका है। इसमें छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार का वर्ष 2016 में देश विरोधी नारे लगाए जाने वाला मामला सबसे अधिक चर्चित रहा। इस मामले में विश्वविद्यालय की उच्चस्तरीय समिति ने कन्हैया पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। हालांकि, कन्हैया ने जेएनयू प्रशासन द्वारा जुर्माना लगाए जाने के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
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