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एससी, एसटी और ओबीसी युवा पढ़ने जाएंगे हावर्ड-कैम्ब्रिज, मदद करेगी केजरीवाल सरकार

एससी-एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदाय के बहुत सारे होनहार बच्चे प्रवेश परीक्षा पास करने के बावजूद हावर्ड और ऑक्सफोर्ड जैसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में पढ़ाई नहीं कर पाते। पैसे की कमी इनके सामने बाधा बन जाती है। दिल्ली सरकार अब ऐसे छात्रों की मदद करेगी। एक रिपोर्ट

वंचित समुदायों के गरीब बच्चों का अमेरिका-यूरोप के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में शिक्षा पाने का सपना पूरा हो सकता है। दिल्ली सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी व अल्पसंख्यक समुदाय के होनहार बच्चों के लिए फेलोशिप स्कीम शुरू करने की तैयारी कर रही है। इस स्कीम के तहत इन समुदायों से आने वाले बच्चों की विदेश में होने वाली पढ़ाई का खर्चा उठाया जाएगा। इसमें हावर्ड और ऑक्सफोर्ड जैसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों की पढ़ाई का खर्च भी शामिल है।

दिल्ली सरकार के सामाज कल्याण विभाग द्वारा डॉ. भीमराव आंबेडकर के नाम पर शुरू की जाने वाली इस योजना का लक्ष्य इन समुदायों के होनहार बच्चों की विदेशों में पढ़ाई के लिए आर्थिक सहायता करना रहेगा।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल

समाज कल्याण मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम ने मीडिया के समक्ष इस योजना का खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि प्रायः ऐसा देखने में आता है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक के प्रतिभाशाली छात्र अपनी मेहनत और लगन के बूते विदेशों के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षा में सफल हो जाते हैं। लेकिन, पैसा नहीं होने के चलते वे वहां पर प्रवेश नहीं ले पाते और पढ़ाई से वंचित रह जाते हैं। पैसा उनकी पढ़ाई के आगे बाधा बन जाता है। इन होनहार बच्चों की अगर आर्थिक मदद की जाए तो वे अपने जीवन की ऊंचाईयों पर पहुंच सकते हैं। दुनिया के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से शिक्षा प्राप्त करने के बाद ये छात्र अपने देश के विकास में भी बेहतर तरीके से योगदान कर सकते हैं।

जाति का विनाश (लेखक डॉ. आंबेडकर, अनुवादक राजकिशोर) अमेजन पर बिक्री के लिए उपलब्ध

ऐसे ही छात्रों को आर्थिक तौर पर मदद देने के लिए फेलोशिप स्कीम का प्रस्ताव तैयार किया गया है। सूत्रों की मानें तो फिलहाल समाज कल्याण मंत्रालय इस स्कीम का गहराई से अध्ययन कर रहा है। जिसके बाद इसे स्वीकृति के लिए मंत्रिमंडल की बैठक में रखा जाएगा। माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए इस आदेश के बाद कि दिल्ली सरकार को अपने हर फैसले के लिए एलजी से आदेश लेना जरूरी नहीं है, इस प्रस्ताव के सामने कोई बाधा नहीं आएगी।

सूत्रों के मुताबिक इस स्कीम का लाभ लेने के लिए आवश्यक योग्यताओं व शर्तों पर भी सरकार गहराई से काम कर रही है। हालांकि, अभी यह तय नहीं है कि इन समुदायों से आने वाले सभी बच्चों को इस स्कीम का लाभ मिलेगा या फिर योजना के लाभार्थियों के लिए आयवर्ग निर्धारित किया जाएगा।

हालांकि, फेलोशिप में आने वाले पाठ्यक्रमों के बारे में मोटा-मोटी सहमति बन गई है। इसमें विदेशों में एमबीए, पीएचडी, मेडिसिन जैसी पढ़ाई का खर्च शामिल है। समाज कल्याण मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम ने बताया कि यह फेलोशिप स्कीम केवल विदेशों के विश्वविद्यालयों के लिए जारी की जाने वाली है। क्योंकि इन वंचित समुदायों के लिए भारत के अलग-अलग विश्वविद्यालयों में पढ़ने के लिए सहायता करने वाली फेलोशिप स्कीम पहले से ही मौजूद हैं।

इस स्कीम के लाभार्थियों के लिए दिल्ली का निवासी होना जरूरी रहेगा। माना जा रहा है कि इस स्कीम के जरिए आम आदमी पार्टी एससी-एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदाय के वोटबैंक के बीच अपनी पकड़ और मजबूत करने की तैयारी में है। दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी ऐतिहासिक सफलता के पीछे इन समुदायों की भूमिका को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।

(कॉपी एडिटर : नवल)


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बहुजन साहित्य की प्रस्तावना 

दलित पैंथर्स : एन ऑथरेटिव हिस्ट्री : लेखक : जेवी पवार 

महिषासुर एक जननायक’

महिषासुर : मिथक व परंपराए

जाति के प्रश्न पर कबी

चिंतन के जन सरोकार 

लेखक के बारे में

कबीर

लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं

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