पंजाब विश्वविद्यालय (पीयू) चंडीगढ़ के कुलपति प्रोफेसर राजकुमार की सोमवार को नियुक्ति के साथ ही पूरा विश्वविद्यालय परिसर राजनीति के अखाड़े में तब्दील हो गया है। राजकुमार इससे पहले बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में मैनेजमेंट स्डटी के हेड थे। राजकुमार ने प्रोफेसर अरुण कुमार ग्रोवर की जगह वीसी बनाया गया जिनका कार्यकाल 22 जुलाई को समाप्त हुआ।

कार्यभार संभालने के फौरन बाद राजकुमार बुधवार 25 जुलाई को दिल्ली में चांसलर उपराष्ट्रपति एम. वैंकेया नायडू से मिलकर पंजाब पहुंचे। आपको बताते चलें कि बीएचयू में अपनी बीजेपी और आरएसएस के साथ गहरी नजदीकियों के कारण प्रोफेसर राजकुमार खासे चर्चित रहे हैं। छात्रों को जैसे ही उनकी नियुक्ति की खबर मिली तो उन्होंने भूख हड़ताल और घेराव शुरू कर किया। छात्रों ने ‘संघी वीसी नहीं चाहिए’, ‘वीसी गो बैक’ ‘चोर वीसी गो बैक’ के नारे लगाए। स्टूडेंट्स फार सोसायटी (एसएफएस) ने स्टूडेंट्स सेंटर में वीसी के खिलाफ प्रदर्शन किया।

संघी होने का आरोप
एसएफएस के आंदोलकारी छात्रों को एनएसयूआई और एसएफआई का भी समर्थन हासिल है। जिस समय कुलपति कार्यभार संभाल रहे थे, एनएसयूआइ के नेता कार्यालय के बाहर भारी हंगामा कर उनका घेराव कर रहे थे। कुलपति को पिछले दरवाजे से एंट्री कराई गई। पंजाब विश्वविद्यालय की सीनेट के वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि छात्र गलत नहीं हैं क्योंकि नए कुलपति के लिए जिन 3 लोगों को इंटरव्यू में बुलाया गया था- सभी आरएसएस पृष्ठभूमि के थे। एनएसयूआई अध्यक्ष ने कहा कि यह सब इसी बात से साबित हो जाती है नए वीसी के पहले स्वागत कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी के चंडीगढ़ प्रमुख संजय टंडन और पार्टी के पंजाब सचिव सुभाष शर्मा आए थे। दोनों पीयू सीनेट के भी सदस्य हैं। पीयू की अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) इकाई ने प्रोफेसर राजकुमार का फूलों के गुलदस्ते के साथ स्वागत किया।

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प्रोफेसर राजकुमार मूल रूप से यूपी के भदोही के हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब विश्वविद्यालय को नए हैरिटेज विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाने की मेरी पहली कोशिश होगी। मैं अपनी परंपराओं और मूल्यों को उठाने के लिए काम करूंगा। जितना कर सकता हूं विश्वविद्यालय के विकास में योगदान दूंगा। जो जिम्मेदारी सौंपी गई है, उसका वह बखूबी निर्वहन करुंगा और पंजाब यूनिवर्सिटी के विकास में कोई कसर नहीं रहने दी जाएगी। सभी कर्मचारियों के साथ मिल-बैठकर ऐसा माहौल तैयार करेंगे ताकि टीचिंग और नॉन टीचिंग कर्मी अपना बेहतर यूनिवर्सिटी को दे सकें। राजकुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय की आर्थिक स्थिति को मैं प्राथमिकता दूंगा। मुझे भविष्य के लिए एक दृष्टि बनाने के लिए चीजों को जानने और समझने की जरूरत है। गौरतलब है कि राजकुमार पहले वीसी हैं जो पंजाब विश्वविद्यालय से संबंधित नहीं है। आज तक के इतिहास में पिछले सभी कुलपति पीयू में छात्र या शिक्षक रह चुके थे।
पूटा के साथ बैठक
नए कुलपति ने पंजाब यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (पूटा) के साथ बैठक की। वीसी ने कहा कि वह सभी स्टेक होल्डरों के साथ मिलजुल कर यूनिवर्सिटी को इंस्टीच्यूट आफ हेरिटेज स्टेटस दिलाने और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को जल्द लागू कराने का प्रयास करेंगे। पूटा प्रधान प्रो. राजेश गिल की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि उन्होंने कुलपति को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को जल्द लागू करने का निवेदन किया जिस पर कुलपति ने उन्हें आश्वासन दिया और कहा कि यह मुद्दा उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण है। कुलपति प्रो.राज कुमार ने कहा कि वे चाहते हैं कि देश की बेहतरीन यूनिवर्सिटियों में शुमार पंजाब यूनिवर्सिटी को इंस्टीच्यूट आफ हेरिटेज का दर्जा मिले। उन्होंने मानविकी, कला, लैंग्वेज और लिट्रेचर के साथ साइंस को भी डेवेलप करने की जरूरत बतायी, जिसका पूटा ने स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इससे यूनिवर्सिटी की ओवरऑल रेटिंग में सुधार होगा। प्रो. राजकुमार ने पूटा एग्जीक्यूटिव को आश्वासन दिया कि वह यूनिवर्सिटी की बेहतरी और इसे ऊपर पहुंचाने में हरसंभव सहयोग के लिए तैयार हैं।
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राजकुमार कैसे पहुंचे पीयू में
बीते 27 जून को कुलपति के चयन के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई थी। इसमें जेसीएफएआई यूनिवर्सिटी देहरादून के चांसलर एम रामाचंद्रन, इंडियन इंस्टीच्यूट आफ एडवांस्ड स्टडीज शिमला के चेयरमैन प्रो. कपिल कपूर, जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर एम जगदीश कुमार शामिल थे। पी.यू. के वाइस चांसलर के लिए तीन नामों का पैनल चुनने को कहा गया था। 17 जुलाई को कमेटी ने चांसलर वैंकेया नायडू को पैनल दिया गया। प्रो. राजकुमार के अलावा गुरु जम्भेश्वर यूनिवर्सिटी आफ साइंस एंड टैक्नोलॉजी हिसार के वी.सी. टंकेश्वर कुमार और हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी के पूर्व वीसी एडीएन वाजपेयी भी इस दौड़ में शामिल थे। प्रो. राजकुमार पहले भी पीयू आ चुके हैं। वो यूनिवर्सिटी बिजनेस स्कूल में पीएचडी वाइवा लेने आए थे। पीयू की फैकल्टी को भी वो वहां शैक्षणिक व रिसर्च संबंधित गतिविधियों के लिए उन्हें बुलाती रही।

वीसी पर एटीएम चोरी का गंभीर आरोप
बीएचयू के एक प्राध्यापक ने 2008 में राजकुमार पर लगे कथित एटीएम चोरी के आरोपों को सही बताया है। नाम ना छापने की शर्त पर कला संकाय के एक वरिष्ठ प्रोफेसर ने कहा, इससे ना सिर्फ राजकुमार बल्कि विश्वविद्यालय की छवि को गंभीर धक्का लगा था। बताते चलें कि इस एटीएम चोरी में विश्वविद्यालय में कार्यरत एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी राजकुमार के खाते से कथित तौर पर दस हजार रुपये की निकासी हुई थी। जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने आपसी समझौते से मामले को हल किया गया। खासकर विश्वविद्यालय के डिप्टी मैनेजर ने इसमें अहम भूमिका निभाई थी। इस खबर को छापने वाले स्थानीय दैनिक के संवाददाता ने इस खबर के प्रकाशन की पुष्टि की है। वाराणसी में कार्यरत एक राष्ट्रीय चैनल के प्रमुख संवाददाता एन राय ने कहा कि यह खबर सच ही नहीं सौ प्रतिशत सच है और इसका अफसोस है कि जिन लोगों को समाज में जीवन और परंपरा के मूल्यों को आगे बढ़ाने का जिम्मा दिया गया है वह इतने चरित्रहीन हैं और उनको बढावा दिया जा रहा है। यही लोग हैं जिन्होंने शोधकार्यों को जमकर कमीशनखोरी भी की है।
इस मामले में हमने वीसी से शिक्षा में सामाजिक न्याय मूल्यों के सवाल पर पूछा। कुलपति ने फोन पर पहले तो सारे सवाल सुन लिए और फिर कहा और आप इस बारे में मेल कर सकते हैं। हमने उनके पीएम हरिओम खुराना से संपर्क किया और वीसी के सामने रखे जाने वाले सवाल भेजे। उन्होंने कहा साहब बाहर गए हैं। शाम को कुलपति ने इस संवाददाता से कहा कि आप पीए से बात करें। हमने उनसे पूछा है चोरी का मसला लेकिन आपसे जुड़ा है- आप जबाव दें। लेकिन इस बार उन्होंने फोन नहीं उठाया। खुराना का कहना है कि वीसी साहब को फिर से दिल्ली बुलाया गया है।
बहरहाल, एनएसयूआई के नेता गुरजोत सिंह ने कहा, “यह (राजकुमार की नियुक्ति) लोकतंत्र की हत्या है।” एसएफएस के छात्र नेता हरमन सिंह सिद्धू ने कहा, ‘विश्वविद्यालय में भगवाकरण की राजनीति नहीं चलेगी। चोरों की राजनीति को कामयाब नहीं होने देंगे।’ पंजाब विश्वविद्याय में एसएफआई के पूर्व नेता और फिल्म निर्माता अश्विनी चौधरी ने एक पूरे घटनाक्रम पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया है।
(कॉपी एडिटर : नवल)
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