भीमा-कोरेगांव में दलितों के आंदोलन को नक्सलियों से जोड़ने की कोशिश
भीमा कोरेगांव केस में माओवादियों से जुड़े होने की कथित संलिप्तता और ‘प्रधानमंत्री मोदी की हत्या की योजना में शामिल’ होने को लेकर देश के कई राज्यों में सुरक्षा एजेंसियों ने छापेमारी की है। इस कार्रवाई में कई प्रमुख लेखकों, पत्रकारों और समाजविज्ञानियों के घरों पर भी पुलिस ने छापेमारी कर धरपकड़ की है। इनमें करीब 78 वर्ष के वयोवृद्ध माओवादी लेखक वरवर राव के घर पुलिस ने 8 घंटे तक छापेमारी की और शहर में उनके दो प्रोफेसर मित्रों को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
हैदराबाद से वरवर राव की गिरफ्तारी के अलावा सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा, वरनॉन गोंजालेव्स और गौतम नवलखा को हिरासत में ले लिया है।
सामाजिक आंदोलनों से जुड़े एक्टिविस्ट और माओवादी नेताओं के घरों पर पुलिस और जांच व छापेमारी को एजेंसियों ने ‘तफ्तीश’ को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी कार्रवाई कहा है। यह छापेमारी महाराष्ट्र, गोवा, तेलंगाना, दिल्ली और झारखंड में की गई। हैदराबाद टास्क फोर्स ने हैदराबाद में तीन जगहों पर छापेमारी की है। पुलिस ने हैदराबाद में कवि, वामपंथी विचारक और एक्टिविस्ट वरवर राव के घर पर छापेमारी की। इसके अलावा झारखंड के रांची में फादर स्टेन स्वामी के घर और पुणे में भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में छापेमारी की गई।
दिल्ली में मिले इनपुट में कहा गया है कि भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में जून में हुई गिरफ्तारी में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए थे। बताते चलें कि तब गिरफ्तार कई लोगों के पास से ऐसी चिट्ठी मिली थी, जिसमें यह लिखा था कि नक्सली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तरह ही हत्या करना चाहते थे। 18 अप्रैल 2018 को राणा जैकब द्वारा प्रकाश आंबेडकर को लिखी गई चिट्ठी में कहा गया कि हिंदू फासिस्म को हराना अब काफी जरूरी हो गया है। मोदी की अगुवाई में हिंदू फासिस्ट काफी तेजी से आगे बढ़रहे हैं, ऐसे में इन्हें रोकना जरूरी हो गया है। इसमें कथित तौर पर लिखा गया था कि मोदी की अगुवाई में बीजेपी बिहार और बंगाल को छोड़ करीब 15 से ज्यादा राज्यों में सत्ता में आ चुकी है। अगर इसी तरह यह रफ्तार आगे बढ़ती रही, तो माओवादी पार्टी को खतरा हो सकता है।
यहां आपको बता दें कि पिछले दिनों जब प्रकाश आंबेडकर से फारवर्ड प्रेस ने बात की थी तो उन्होंने सरकार और पुलिस के सारे पक्ष को नकार दिया था। मार्च में महाराष्ट्र सरकार ने विधानसभा में बताया था कि भीमा कोरेगांव में कुल 158 केस दर्ज किए गए थे, जिसमें दलितों पर 63 और सवर्णों पर 90 केस दर्ज किए गए थे। सरकार ने एलान किया था कि सिर्फ गंभीर मामलों को छोड़कर सभी आपराधिक केस वापस ले लिये जाएंगे जिससे महाराष्ट्र में जातिगत तनाव कम हो सके।
वहीं आनंद तेलतुमडे ने फारवर्ड प्रेस से बातचीत में कहा कि उनके गोवा स्थित घर में पुलिस ने छापा मारा है। उन्होंने कहा कि मेरे घर में इस समय कोई नहीं है। आनंद ने कहा कि इस सरकार की मंशा को हमसब जान चुके हैं और अब सारे समाज को यह बताने की जरूरत है कि किस तरह से वैचारिक रूप से सक्रिय समाज को खत्म करने की कोशिशें चल रही हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता गुट्टा रोहिता ने बताया कि सरकारी एजेंसियों ने हैदराबाद, मुंबई, दिल्ली, गोवा और रांची से कई प्रमुख लेखक और वैचारिक संगठनों के लोगों के घर एक साथ छापेमारी की है। उनका दावा है कि पुलिस ने अरुण परेरा, केवीकुरमंथ, सुसान अब्राहम, प्रोफेसर के. सत्यनारायण, फादर स्टेन स्वामी, रेव्योल्योशनरी राइटर एसोसिएशन के. कासम के घर पर छापे मारे गए। इसे सरकार की एजेंसियां और एक और ‘माओवादियों तंत्र का भंडाफोड़’ की तरह प्रचारित करने की कोशिशें हो रही हैं।
हैदराबाद से श्रीनिवास राव ने लेखक पी. वरवर राव के परिवार के हवाले से बताया कि वरवर को ‘मोदी की हत्या की साजिश की योजना’ में शामिल होने के आरोप में पुणे की पुलिस ने उनके घर से गिरफ्तार किया। राव के गांधीनगर स्थित घर पर पुलिस ने करीब आठ घंटे तक छापेमारी की। इसके अलावा उनके दो नजदीकियों जो कि इंग्लिश एंडफॉरेन लैंग्वेज यूनिवर्सिटी (ईएफएलयू) में प्रोफेसर हैं, उनके घरों में भी पुलिस ने छापेमारी की है। छापेमारी की खबर सुनकर सैंकड़ों की तादाद में लोग गांधी नगर में उनके घर के पास जमा हो गए। पुलिस ने पत्रकार तेकुला क्रांति को गिरफ्तार किया है और उनका कंप्यूटर और दूसरा सामान जब्त कर लिया गया। उन्हें माओवादियों से जुड़े होने के शक पर हिरासत में लिया गया है।
वहीं सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि पिछले साल पुणे में हुए कार्यक्रम के बाद महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगगांव में हिंसा की जांच के बाद जो भी तथ्य सामने आए थे, उनकी तफ्तीश का काम आगे बढ़ा है।
बताते चलें कि इस साल जून में माओवादियों से कथित संलिप्तता को लेकर पांच लोग गिरफ्तार किये गये थे। दलित कार्यकर्ता सुधीर धावले को मुंबई उनके घर से गिऱफ्तार किया गया जबकि वकील सुरेंद्र गाडगिल, महेश राउत, शोभा सेन को नागपुर सेरोना विल्सन को दिल्ली के मुनिरका से उनके फ्लैट से गिरफ्तार किया गया था।
इस संबंध में भीमा-कोरेगांव शौर्य दिवस प्रेरणा अभियान के कार्यकर्ताओं ने कहा है कि भीमा कोरेगांव सरकार का एक बहाना मात्र है ताकि वह सामाजिक कार्यकर्ताओं को न्याय की लड़ाई, दमन और आदिवासी क्षेत्रों में प्राकृतिक संसाधनों की लूट के खिलाफ लड़ने से रोका जाए।
बहरहाल, सवाल यह उठता है कि क्या संपूर्ण राष्ट्र की सुरक्षा का तंत्र इतना नाजुक हो चुका है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल जैसे ताकतवर शख्स की सारी रणनीति को अठहत्तर साल के एक वरवर राव अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर चुनौती दे रहे हों।
(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)
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