बिहार सरकार ने अनुसूचित जाति व जनजाति के युवकों को रोजगार के प्रेरित करने और उन्हें आर्थिक सहयोग के लिए महत्वाकांक्षी ‘अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति उद्यमी योजना’ की शुरुआत की है। बीते 4 अगस्त को पटना में आयोजित भव्य समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसका औपचारिक शुभारंभ किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि दो महीने पूर्व इस योजना की रुपरेखा बनी और इसे कार्यरूप दिया गया। इस योजना के तहत तीन हजार आवेदन प्राप्त हुए, उनमें से 500 लोगों का चयन हुआ है और अब उन्हें प्रशिक्षित करना है। उन्होंने कहा कि 135 लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है और 150 लोगों का प्रशिक्षण प्रारंभ हो रहा है। इस योजना के लाभार्थियों के लिए न्यूनतम योग्यता इंटरमीडिएट है। लाभार्थियों की सूची में स्नातक (विज्ञान), स्नातकोत्तर (विज्ञान), स्नातक (प्रौद्योगिकी), औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) से डिग्री प्राप्त लोगों का चयन हुआ है। ऐसे उद्यमी एससी एवं एसटी समाज के लोगों को प्रेरित भी करेंगे। इस दौरान 5 लाभार्थियों को चेक भी प्रदान किये गये।
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5 लाख मिलेगा ब्याज मुक्त ऋण
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले से चली आ रही योजनाओं का लाभ भी एससी-एसटी समुदाय के लोगों को मिलता रहेगा। इस योजना के तहत लाभार्थी को 10 लाख रुपये की राशि मिलेगी, जिसमें से पांच लाख रुपये की राशि विशेष प्रोत्साहन योजना के तहत अनुदान के रूप में उपलब्ध होगी। शेष पांच लाख रुपये ब्याज मुक्त ऋण के रूप में 84 किस्तों में अदा करना होगा। यह किस्त तब से शुरु होगी, जब उद्योग की शुरुआत हो जाएगी। इस योजना से एससी-एसटी समुदाय के युवा हर प्रकार की उद्यमिता अपने राज्य में शुरू कर सकेंगे। इसके साथ दूसरों को रोजगार भी उपलब्ध कराएंगे। यदि कारोबार को बेहतर ढंग से संचालित किया तो इससे समाज में क्रातिकारी बदलाव भी आयेगा।

मुख्यमंत्री ने उद्योग विभाग से कहा कि लगातार आवेदन आते रहे, उनका चयन होता रहे और प्रशिक्षण की व्यवस्था भी बनी रहे। इस संबंध में यदि कोई परेशानी हो रही है तो उसके लिए प्रस्ताव लाये जायें। ऐसा तंत्र विकसित किया जाये, जिसमें इससे संबंधित कठिनाईयों का समाधान हो सके।
रोजगार मांगेंगे नहीं, देंगे दलित उद्यमी
बिहार राज्य अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष विद्यानंद विकल कहते हैं कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति उद्यमी योजना’ से युवाओं को रोजगार मिलने के साथ पलायन भी रुकेगा। जो युवा रोजगार की तलाश में दूसरी जगहों या दूसरे राज्यों में जा रहे थे, अब सरकारी प्रोत्साहन योजना से अपना रोजगार शुरू कर सकेंगे। कुछ लोगों को रोजगार दे सकेंगे। इसका असर स्थानीय बाजार पड़ेगा और दिखेगा भी। उनका कहना है कि रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में मजदूर बनने वाले युवा अब मालिक बन सकेगा और राज्य के आर्थिक विकास में सहयोग करेगा।
(कॉपी एडिटर : एफपी डेस्क)
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