सुबह ज्यों ही मधेपुरा के साथी डॉ. चन्द्रशेखर जी का पोस्ट देखा कि जयंती भाई मनानी नही रहे। सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि सामाजिक न्याय के लिए बिना थके लड़ने वाला यह योद्धा मौत से हार गया। मैंने चन्द्रशेखर जी, यादव शक्ति पत्रिका के सम्पादक राजवीर जी से जानकारी ली और फिर भी यकीन नहीं हुआ तब मनानी जी के नम्बर पर फोन किया कि शायद खबर झूठी निकल जाए। पर सभी जगह से मनानी जी के न रहने की ही खबर मिली। मैं बिल्कुल स्तब्ध व निःशब्द हूँ कि सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने वाले इतना ऊर्जावान पथ प्रदर्शक दुनिया छोड़ने में इतनी जल्दबाजी क्यों कर गया?
जयंती भाई मनानी जी आज सुबह (24 अगस्त 2018) को मण्डल जयंती में शामिल होने हेतु जाते हुए ट्रेन में यात्रा करते समय ट्रेन में ही हृदय गति रुक जाने से हम सबको छोड़ अनन्त में समाहित हो गए। जयंती भाई मनानी जी ने अभी 22 अगस्त 2018 को अपने फेसबुक पर मुझसे 2014 में हुई मुलाकात के संस्मरण को पोस्ट किया था। मुझे क्या पता था कि जयंती भाई मनानी जी के जिस संस्मरणात्मक पोस्ट को मैं शेयर कर उनसे मुलाकात के यादों को तरोताजा कर रहा हूँ वह हमसे उनके अलविदा का पोस्ट है।

फेसबुक पर लिखे मेरे लेखों को पढ़कर जयंती भाई गुजरात से मुझसे मिलने 6 अक्टूबर 2014 को कुशीनगर आये थे। गोरखपुर पहुंचकर मुझे फोन किया कि आपसे मिलने आ गया हूँ। मेरी पहली मुलाकात जयंती भाई जी से कुशीनगर में हुई। मैंने उन्हें ‘कृष्ण-सुर या असुर’, महिला आरक्षण व जातिवार जनगणना’ आदि पर लिखी अपनी किताबें व यादव शक्ति पत्रिका दीं। जयंती भाई जी से मंडल आंदोलन पर खूब बातें हुईं।
जयंती भाई मनानी जी से यह मेरी आमने-सामने की पहली मुलाकात थी। इसके बाद हमलोग नांदेड़ (महाराष्ट्र), पटना और लखनऊ में मिले। शरद यादव जी द्वारा दिल्ली में आयोजित साझी विरासत सभा में तथा उनके आवास पर भी जयंती भाई जी से मुलाकात हुई।

जयंती भाई जी गुजरात में मंडल आंदोलन के अग्रणी नेता थे। मंडल कमीशन लागू करने हेतु जन जागरूकता लाने हेतु जयंती भाई जी ने मंडल रथ निकाला था। वे गुजरात के सामाजिक न्याय के अग्रणी जननायक थे। गुजरात मे जयंती भाई जी जैसा सामाजिक न्याय के लिए प्रतिबद्ध नेता मिलना अब दुरूह है।
जयंती भाई जी ने मुझे गुजरात आमंत्रित किया था लेकिन अफसोस मैं उनके जीते-जी गुजरात न जा सका। जयंती भाई मनानी जी पर उम्र कभी हावी नही हुआ था। वे सदैव मंडल व सोशल जस्टिस हेतु प्रयत्नशील रहते थे। बढ़ती उम्र के बावजूद जयंती भाई जी हम जैसे लोगों के लिए प्रेरणास्रोत व ऊर्जा प्रदान करने वाले ऊर्जा के पावर हाउस थे। वे सज्जन, सरल, मृदुभाषी, मिलनसार व्यक्तित्व के सामाजिक चिंतक थे। उनकी लिखी गयी कई किताबें लम्बे समय तक हमें राह दिखाती रहेंगी।
(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)
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