h n

पिछड़े वर्ग की सभी जातियों के लिए तेलंगाना सरकार बनाएगी ‘आत्म गौरव भवन’

तेलंगाना सरकार ने पिछड़ा वर्ग में शामिल सभी जातियों के लिए आत्म गौरव भवन बनाने का निर्णय लिया है। राज्य के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री जाेगू रमन्ना के मुताबिक यह मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव का ड्रीम प्रोजेक्ट है। उन्होंने इस योजना को एक साल के अंदर पूरा करने निर्देश दिया है। फारवर्ड प्रेस की खबर :

तेलंगाना सरकार इन दिनों एक अभूतपूर्व योजना पर काम कर रही है। हैदराबाद के निकट अन्य पिछडा वर्ग (ओबीसी) की विभिन्न जातियों के लिए अलग-अलग भवन  बनाए जाएंगे। इन भवनाें का इस्तेमाल अन्य कार्यों के अतिरिक्त जातियों से संबंधित सभा-सम्मेलनों के लिए किया जा सकेगा। तेलांगना सरकार की ओबीसी लिस्ट में कुल 112 जातियां हैं। सरकार ने सभी जातियों के एक-एक भवन बनाने का फैसला किया है। इन भवनों को ‘आत्‍म गौरव भवन’ का नाम दिया गया है।

राज्य सरकार ने इसके लिए फिलहाल 10 एकड़ जमीन और 10 करोड़ रुपए की राशि का आवंटन किया है। हाल ही में मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने अधिकारियों के साथ बैठक कर इस योजना को एक वर्ष के अंदर पूरा करने का निर्देश दिया है। उल्लेखनीय है कि तेलंगाना में अन्य पिछड़े वर्ग को चार पांच समूहों में बांटा गया है। इनमें शामिल जातियों की कुल संख्या 112 है। इनमें समूह ए को 7 प्रतिशत, समूह बी को 10 प्रतिशत, समूह सी को 1 प्रतिशत, समूह डी को 7 प्रतिशत और समूह ई को 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है।

राज्य सरकार के अनुसार आत्‍म गौरव भवन पिछड़े वर्गों के जातियों के लिए सांस्कृतिक,सामाजिक, शैक्षणिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में विकसित किये जाएंगे। इन्‍हें उत्‍कृष्‍टता का केंद्र बनाया जाएगा। इन भवनों में कौशल विकास कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा तथा इनका  इस्तेमाल संबंधित जातियों के लोगों के कौशल विकास, उनके सांस्कृतिक व सामाजिक कार्यक्रमों के लिए किया जा सकेगा। साथ ही राज्य सरकार इनमें हॉस्टल का निर्माण भी करेगी।

गौरतलब है कि राज्य में पिछले कुछ समय से पिछड़ी जातियों की ओर से सामाजिक और शैक्षणिक विकास के केंद्र बनाये जाने की मांग की जा रही थी।

सरकार का मानना है कि राज्‍य में बड़ी आबादी पिछड़े वर्गों की है। ये सामाजिक, शैक्षणिक और सांस्‍कृतिक रूप से पिछड़े हुए हैं। इसके साथ ही इनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत नहीं है। इसे देखते हुए सरकार ने इस योजना की शुरुआत की है। सरकार ने हैदराबाद के अलावा कोकपेट, घाटकर, मेडिपली, मेडचल, अब्दुल्लापुरम, इंजापुर शहरों के लिए भी इस तरह के आत्म गौरव भवन के निर्माण के लिए भूमि की पहचान की है।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव

इस संबंध में मुख्‍यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने कहा कि इस तरह की योजना देश में पहली बार बनाई जा रही है, ताकि पिछड़ी जातियों को भी विकास की मुख्‍यधारा से जोड़ा जा सके। उनमें सामाजिक, शैक्षणिक और सांस्‍कृतिक चेतना के साथ हर क्षेत्र में उनकी प्रतिभा का बेहतर इस्‍तेमाल हो सके।

तेलंगाना के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री जोगू रमन्ना

राज्य के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री जोगू रमन्ना ने इस संबंध में फारवर्ड प्रेस को बताया कि  पिछड़ा वर्ग में शामिल सभी जातियों के लिए इस योजना को लागू करने का प्रस्ताव है। इस कड़ी में पिछड़े वर्ग के समूह डी में शामिल मुन्नुरुकापू समुदाय के लिए परिसर निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन व पांच करोड़ रुपये आवंटित करने का प्रस्‍ताव पहले ही राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत किया जा चुका है। इसके अलावा डुडुकाला के लिए तीन एकड़ जमीन व तीन करोड़ रुपये के आवंटन के साथ ही गंगापुत्र और विश्‍वकर्मा समुदाय के लिए भी जमीन व राशि आवंटित करने का प्रस्‍ताव है। उन्होंने कहा कि पिछड़े वर्गों के लिए आत्म गौरव भवन का निर्माण एक वर्ष के अंदर हो, इसके लिए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है। इसे अमल में लाने की प्रक्रिया शुरु हो चुकी है। जमीन हस्तांतरित किया जा रहा है। जल्द ही निर्माण कार्यक्रम भी शुरु हो जाएगा।

गौरतलब है कि राज्य सरकार ने पिछड़े वर्गों के अलावा अनुसूचित जाति के तहत आने वाले बुडगा जांगम और अनुसूचित जनजाति में आने वाले येरुकाला जाति के लिए भी भवन निर्माण को मंजूरी प्रदान की है।

बहरहाल, तेलंगाना सरकार का दावा है कि वह पिछडे व दलितों के उत्थान की योजना के तहत काम कर रही है। लेकिन सवाल यह उठता है कि हर जाति के लिए अलग-अलग भवन बनाने की इस योजना से क्या ‘जाति से जमात की ओर’ की यात्रा में बाधा नहीं आएगी? हालांकि इसे  देश की नयी सामाजिक एवं राजनीतिक संरचना में पिछड़ा वर्ग की बढ़ती भूमिका और हिस्‍सेदारी को देखते हुए तेलंगाना की सत्ताधारी पार्टी की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।

(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)


फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्‍त बहुजन मुद्दों की पुस्‍तकों का प्रकाशक भी है। हमारी किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्‍य, संस्कृति, सामाज व राजनीति की व्‍यापक समस्‍याओं के सूक्ष्म पहलुओं को गहराई से उजागर करती हैं। पुस्तक-सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +917827427311, ईमेल : info@forwardmagazine.in

फारवर्ड प्रेस की किताबें किंडल पर प्रिंट की तुलना में सस्ते दामों पर उपलब्ध हैं। कृपया इन लिंकों पर देखें 

बहुजन साहित्य की प्रस्तावना 

दलित पैंथर्स : एन ऑथरेटिव हिस्ट्री : लेखक : जेवी पवार 

महिषासुर एक जननायक’

महिषासुर : मिथक व परंपराए

जाति के प्रश्न पर कबी

चिंतन के जन सरोकार

लेखक के बारे में

वीरेंद्र यादव

फारवर्ड प्रेस, हिंदुस्‍तान, प्रभात खबर समेत कई दैनिक पत्रों में जिम्मेवार पदों पर काम कर चुके वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्र यादव इन दिनों अपना एक साप्ताहिक अखबार 'वीरेंद्र यादव न्यूज़' प्रकाशित करते हैं, जो पटना के राजनीतिक गलियारों में खासा चर्चित है

संबंधित आलेख

यूपी : दलित जैसे नहीं हैं अति पिछड़े, श्रेणी में शामिल करना न्यायसंगत नहीं
सामाजिक न्याय की दृष्टि से देखा जाय तो भी इन 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने से दलितों के साथ अन्याय होगा।...
बहस-तलब : आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पूर्वार्द्ध में
मूल बात यह है कि यदि आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाता है तो ईमानदारी से इस संबंध में भी दलित, आदिवासी और पिछड़ो...
साक्षात्कार : ‘हम विमुक्त, घुमंतू व अर्द्ध घुमंतू जनजातियों को मिले एसटी का दर्जा या दस फीसदी आरक्षण’
“मैंने उन्हें रेनके कमीशन की रिपोर्ट दी और कहा कि देखिए यह रिपोर्ट क्या कहती है। आप उन जातियों के लिए काम कर रहे...
कैसे और क्यों दलित बिठाने लगे हैं गणेश की प्रतिमा?
जाटव समाज में भी कुछ लोग मानसिक रूप से परिपक्व नहीं हैं, कैडराइज नहीं हैं। उनको आरएसएस के वॉलंटियर्स बहुत आसानी से अपनी गिरफ़्त...
महाराष्ट्र में आदिवासी महिलाओं ने कहा– रावण हमारे पुरखा, उनकी प्रतिमाएं जलाना बंद हो
उषाकिरण आत्राम के मुताबिक, रावण जो कि हमारे पुरखा हैं, उन्हें हिंसक बताया जाता है और एक तरह से हमारी संस्कृति को दूषित किया...