तेलंगाना सरकार इन दिनों एक अभूतपूर्व योजना पर काम कर रही है। हैदराबाद के निकट अन्य पिछडा वर्ग (ओबीसी) की विभिन्न जातियों के लिए अलग-अलग भवन बनाए जाएंगे। इन भवनाें का इस्तेमाल अन्य कार्यों के अतिरिक्त जातियों से संबंधित सभा-सम्मेलनों के लिए किया जा सकेगा। तेलांगना सरकार की ओबीसी लिस्ट में कुल 112 जातियां हैं। सरकार ने सभी जातियों के एक-एक भवन बनाने का फैसला किया है। इन भवनों को ‘आत्म गौरव भवन’ का नाम दिया गया है।
राज्य सरकार ने इसके लिए फिलहाल 10 एकड़ जमीन और 10 करोड़ रुपए की राशि का आवंटन किया है। हाल ही में मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने अधिकारियों के साथ बैठक कर इस योजना को एक वर्ष के अंदर पूरा करने का निर्देश दिया है। उल्लेखनीय है कि तेलंगाना में अन्य पिछड़े वर्ग को चार पांच समूहों में बांटा गया है। इनमें शामिल जातियों की कुल संख्या 112 है। इनमें समूह ए को 7 प्रतिशत, समूह बी को 10 प्रतिशत, समूह सी को 1 प्रतिशत, समूह डी को 7 प्रतिशत और समूह ई को 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है।
राज्य सरकार के अनुसार आत्म गौरव भवन पिछड़े वर्गों के जातियों के लिए सांस्कृतिक,सामाजिक, शैक्षणिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में विकसित किये जाएंगे। इन्हें उत्कृष्टता का केंद्र बनाया जाएगा। इन भवनों में कौशल विकास कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा तथा इनका इस्तेमाल संबंधित जातियों के लोगों के कौशल विकास, उनके सांस्कृतिक व सामाजिक कार्यक्रमों के लिए किया जा सकेगा। साथ ही राज्य सरकार इनमें हॉस्टल का निर्माण भी करेगी।
गौरतलब है कि राज्य में पिछले कुछ समय से पिछड़ी जातियों की ओर से सामाजिक और शैक्षणिक विकास के केंद्र बनाये जाने की मांग की जा रही थी।
सरकार का मानना है कि राज्य में बड़ी आबादी पिछड़े वर्गों की है। ये सामाजिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक रूप से पिछड़े हुए हैं। इसके साथ ही इनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत नहीं है। इसे देखते हुए सरकार ने इस योजना की शुरुआत की है। सरकार ने हैदराबाद के अलावा कोकपेट, घाटकर, मेडिपली, मेडचल, अब्दुल्लापुरम, इंजापुर शहरों के लिए भी इस तरह के आत्म गौरव भवन के निर्माण के लिए भूमि की पहचान की है।

इस संबंध में मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने कहा कि इस तरह की योजना देश में पहली बार बनाई जा रही है, ताकि पिछड़ी जातियों को भी विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके। उनमें सामाजिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक चेतना के साथ हर क्षेत्र में उनकी प्रतिभा का बेहतर इस्तेमाल हो सके।

राज्य के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री जोगू रमन्ना ने इस संबंध में फारवर्ड प्रेस को बताया कि पिछड़ा वर्ग में शामिल सभी जातियों के लिए इस योजना को लागू करने का प्रस्ताव है। इस कड़ी में पिछड़े वर्ग के समूह डी में शामिल मुन्नुरुकापू समुदाय के लिए परिसर निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन व पांच करोड़ रुपये आवंटित करने का प्रस्ताव पहले ही राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत किया जा चुका है। इसके अलावा डुडुकाला के लिए तीन एकड़ जमीन व तीन करोड़ रुपये के आवंटन के साथ ही गंगापुत्र और विश्वकर्मा समुदाय के लिए भी जमीन व राशि आवंटित करने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि पिछड़े वर्गों के लिए आत्म गौरव भवन का निर्माण एक वर्ष के अंदर हो, इसके लिए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है। इसे अमल में लाने की प्रक्रिया शुरु हो चुकी है। जमीन हस्तांतरित किया जा रहा है। जल्द ही निर्माण कार्यक्रम भी शुरु हो जाएगा।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने पिछड़े वर्गों के अलावा अनुसूचित जाति के तहत आने वाले बुडगा जांगम और अनुसूचित जनजाति में आने वाले येरुकाला जाति के लिए भी भवन निर्माण को मंजूरी प्रदान की है।
बहरहाल, तेलंगाना सरकार का दावा है कि वह पिछडे व दलितों के उत्थान की योजना के तहत काम कर रही है। लेकिन सवाल यह उठता है कि हर जाति के लिए अलग-अलग भवन बनाने की इस योजना से क्या ‘जाति से जमात की ओर’ की यात्रा में बाधा नहीं आएगी? हालांकि इसे देश की नयी सामाजिक एवं राजनीतिक संरचना में पिछड़ा वर्ग की बढ़ती भूमिका और हिस्सेदारी को देखते हुए तेलंगाना की सत्ताधारी पार्टी की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)
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