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सीवर में मौतों के खिलाफ सफाईकर्मियों ने किया हल्ला-बोल

1993 से लेकर अबतक 1790 सफाई कर्मियों की मौत सीवरों व सेप्टिक टैंकों की सफाई करने के दौरान हो चुकी है। हाल के दिनों में दिल्ली में 6 सफाईकर्मियों की मौत हुई। इसके विरोध में दिल्ली के जंतर-मंतर पर सफाई कर्मियों ने प्रदर्शन किया और सरकार के समक्ष अपने सवाल व मांगें रखी। फारवर्ड प्रेस की खबर :

‘अब हमें सीवर/सेप्टिक टैंकों में मारना बंद करो! बस, बहुत हो चुका! अब और नहीं चलेगा’ यह आह्वान बीते 25 सितंबर 2018 को दिल्ली के जंतर-मंतर पर किया गया। हाल के दिनों में सीवर की सफाई के दौरान सफाई कर्मियों की मौत के विरोध में आयोजित प्रदर्शन में मैनुअल स्केवेंजरों, सीवर में मृतक उनके आश्रितों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सीवरों में मौतों के खिलाफ आवाज उठाई और सवाल पूछे।

इस मौके पर राज्यसभा सांसद डी.राजा और मनोज झा के अलावा बेजवाड़ा विल्सन, अरूंधती रॉय , योगेन्द्र यादव, अशोक भारती, पॉल दिवाकर, एनी नामला, ऊषा रामानादन, दीप्ति सुकुमार और भाषा सिंह आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये। वहीं विभिन्न संगठनों के सदस्यों ने भी सफाई कर्मियों के साथ अपनी एकजुटता प्रदर्शित की। इनमें एनसीडीएचआर, सीबीजीए, नैक्डोर, अस्मिता, भीम आर्मी, क्रांतिककारी युवा संगठन, अखिल भारतीय जाति विरोधी मंच आदि संगठन शामिल रहे।

इस दौरान प्रदर्शनकारी नारे लगा रहे थे। सीवर में मारे गए अब तक 1790 नागरिकों की मौतों का जिम्मेदार कौन? प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्रियों चुप्पी तोड़ो, बताओं मौतों के इस सिलसिले को कब बंद करोगे?

सीवरों की सफाई के दौरान होने वाली मौतों के खिलाफ जंतर-मंतर पर आयोजित विरोध प्रदर्शन

1993 के बाद अबतक 1790 सफाई कर्मियों की मौत

प्रदर्शन के बाद केंद्र सरकार को एक ज्ञापन सौंपा गया जिसमें मांग की गयी कि जिन लोगों की जान सीवर/सेप्टिक में सफाई के दौरान जहरीली गैसों से दम घुटने से हुई है उन की जिम्मेदारी भारत सरकार ले और उनसे माफी मांगे। इसके अलावा सीवर में हत्याओं को रोकने के लिए प्रधानमंत्री तुरन्त एक्शन प्लान की घोषणा करें। यह भी मांग की गयी कि सुप्रीम कोर्ट के 27 मार्च 2014 के आदेश का सख्ती से लागू किया जाय। साथ ही मांग की गयी कि मैनुअल स्केवेंजर्स अधिनियम 2013 का गंभीरतापूर्वक पालन हो तथा जो लोग सीवर में मौत के जिम्मेदार हैं उन्हें सजा दी जाए। इसके अलावा सीवरों की सफाई का कार्य शतप्रतिशत मशीनों से कराया जाना सुनिश्चित हो।

हम भी जीना चाहते थे : हाल में मारे गये सफाई कर्मियों की तस्वीर

उनकी मांगों में एक मांग यह भी रही कि मृतकों के परिवार के कम से कम एक सदस्य को गैर-सफाई कार्य में नौकरी दी जाय व मैनुअल स्केवेंजर्स के बच्चों को शुरू से उच्च शिक्षा तक सरकारी एवं निजी स्कूलों/कालेज में निशुल्क शिक्षा प्रदान की जाए। साथ ही यह कहा गया कि 1993 से अब तक जिन लोगों की सीवर/सेप्टिक टैंक सफाई के दौरान मृत्यु हुई है, उनके आश्रितों को 25 लाख रुपए मुआवजा मिले।

एक मृतक सफाई कर्मी की तस्वीर दिखाते परिजन

इससे पहले वक्ताओं ने कहा कि हाल में 13 लोगों की सीवर सफाई के दौरान जहरीली गैस से दम घुटने से मृत्यु हो चुकी है। इनमें से छह लोगों की मौत तो देश की राजधानी दिल्ली में ही हुई है। वहीं वर्ष 2017 से अब तक 221 लोगों की मौत सीवर/सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान हुई है। जबकि 1993 से देखें तो अब तक 1790 लोगों की मौत सीवर/सेप्टिक टैंकों की सफाई करते समय हो चुकी है। ये वे आंकड़े हैं जो सरकारी रिकार्ड में हैं। ऐसे हजारों लोगों की मौत हुई है जिनकी मौत को दर्ज ही नहीं किया गया है।

स्वच्छ भारत अभियान पर सवाल

वक्ताओं ने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत पूरे देश में लाखों शौचालयों का निर्माण किया जा रहा है। इसके लिए लाखों की संख्या में सेप्टिक टैंक एवं ड्रेन बनाए जा रहे हैं। जितने अधिक शौचालय होंगे, उतने अधिक मैनुअल स्केवेंजर होंगे और उतनी ही अधिक मौतें होंगी। यह भी कहा गया कि एक तरफ सरकार स्वच्छ भारत अभियान के तहत बजट आवंटन बढ़ा रही है तो दूसरी ओर मैनुअल स्केवेंजरों के पुनर्वास लिए वर्ष 2013-14 में सरकार ने 570 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था उसे वर्ष 2017-18 में घटाकर सिर्फ 5 करोड़ कर दिया।

(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)


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लेखक के बारे में

राज वाल्मीकि

'सफाई कर्मचारी आंदोलन’ मे दस्तावेज समन्वयक राज वाल्मीकि की रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। इन्होंने कविता, कहानी, व्यग्य, गज़़ल, लेख, पुस्तक समीक्षा, बाल कविताएं आदि विधाओं में लेखन किया है। इनकी अब तक दो पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं कलियों का चमन (कविता-गजल-कहनी संग्रह) और इस समय में (कहानी संग्रह)।

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