छत्तीसगढ़ सरकार पवार समाज को आरक्षण का लाभ नहीं दे रही है। जबकि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में पवार समाज के लोगों को आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है। करीब 18 साल पहले मध्य प्रदेश से ही छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ था। अब अपने अधिकार के लिए पवार समाज के लोगों ने जनतांत्रिक तरीके से लड़ाई लड़ने का संकल्प लिया है। इस क्रम में राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ,राष्ट्रीय पवार क्षत्रिय महासभा व छत्तीसगढ़ पवार समाज संगठन के सदस्यों का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री रमन सिंह से मिलेगा।
बताते चलें कि महाराष्ट्र में भी पवार समाज को ओबीसी का दर्जा हासिल है और इस समाज के अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ दिया जाता है। इस समाज को पोवांर और पोवार भी कहा जाता है।
अपनी मांगों को लेकर बीते 12 सितंबर 2018 को राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ, राष्ट्रीय पवार क्षत्रिय महासभा और छत्तीसगढ़ पवार समाज के सदस्यों ने छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक बैठक का आयोजन किया। बैठक की अध्यक्षता पूर्व सांसद सह राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. खुशालचंद्र बोपचे ने की। बैठक में राष्ट्रीय पवार महासभा के संगठन सचिव व राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के सचिव खेमेंद्र कटरे, राष्ट्रीय पवार क्षत्रिय महासभा, छत्तीसगढ़ प्रांत के उपाध्यक्ष राजेंद्र पटले, गोंदिया जिला ओबीसी संघर्ष समिति के जिलाध्यक्ष बबलू कटरे, प्रदेश अध्यक्ष एच.के. बिसेन, रायपूर संगठन के अध्यक्ष किरण कुमार चव्हाण, भिलाई संगठन के अध्यक्ष लेखसहजी राणा आदि शामिल थे।

अध्यक्षीय संबोधन में पूर्व सासंद डॉ. खुशालचंद्र बोपचे ने कहा कि भारतीय संविधान की वजह से ही आज हम शिक्षा,नौकरी से लेकर राजनीति एवं सामाजिक क्षेत्रों मे खुलकर काम कर रहे हैं। पहले हम राजा थे, लेकिन आज हमारा गावखेड़े मे रहनेवाला समाज विकास से कोसों दूर है। हमारा समाज शैक्षणिक और सामाजिक क्षेत्र में कमजोर है। कमजोर वर्गों को समुचित भागीदारी मिले, इसके लिए ही बाबा साहेब ने संविधान में आरक्षण का प्रावधान किया। मंडल कमीशन लागू होने के बाद ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है। लेकिन इस संबंध में हमारे समाज के लोगों को ही विस्तृत और सही जानकारी नहीं है, जिसके कारण कुछ लोग विरोध कर रहे हैं।
उन्होंने जातिगत जनगणना का सवाल उठाया और कहा कि अंग्रेजों के जमाने में हमारे समाज के लोगों की गणना हुई थी, लेकिन अब सरकार हमारी गिनती कराने से कतराती है। यदि हमारी जाति के आंकड़े सामने आयेंगे तब यह स्थापित हो सकेगा कि हमारा समाज किस कदर पिछड़ा हुआ है।
डॉ. बोपचे ने कहा कि वर्तमान केंद्र सरकार ने ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देकर प्रशंसनीय कार्य किया है। अब वह हमारे समाज की गिनती भी कराये। उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार से मांग करते हुए कहा कि जिस तरीके से मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में हमारे समाज को ओबीसी के तहत आरक्षण का लाभ मिलता है, उसी प्रकार छत्तीसगढ़ में भी आरक्षण मिलना चाहिए।
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इस मौके पर गोंदिया जिला ओबीसी संघर्ष समिति के अध्यक्ष बबलू कटरे ने कहा कि हमारा देश कृषि प्रधान देश है। लेकिन यह केवल कहने की बात है। हमारा देश जाति प्रधान देश है। हम यदि जम्बू द्वीप को अपना मानते हैं तो हम हम मूलनिवासी हैं। उन्होंने कहा कि हमें हमारे इतिहास से वंचित रखा गया है और यही कारण है कि आज हम दर-दर भटक रहे हैं। उन्होंने कहा कि हजारों साल पहले भले ही हम क्षत्रिय रहे होंगे लेकिन आज हम भारत के संविधान के अनुसार ओबीसी में आते हैं। सरकार को हमें हमारा आरक्षण देना ही हाेगा।
वहीं राष्ट्रीय पवार महासभा के संगठन सचिव एवं राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के सहसचिव खेमेंद्र कटरे ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण पवार समाज छत्तीसगढ़ में आरक्षण के अधिकार से वंचित है। ओबीसी संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष एच.के.बिसेन ने कहा कि पवार समाज की लड़ाई में हम सब एक साथ हैं।
बैठक में मुख्यमंत्री रमन सिंह से मिलकर पवार समाज को आरक्षण का लाभ देने के लिए ज्ञापन सौंपने का निर्णय लिया गया।
इस मौके पर आय.एल.पटले, भागवत देशमुख, किरणकुमार चव्हाण,मुन्ना बिसेन, किशोर पटले, नेपाल पटले आदि ने अपने विचार व्यक्त किये। बैठक के प्रारंभ में विषय प्रवेश राष्ट्रीय पवार क्षत्रिय महासभा के उपाध्यक्ष राजेंद्रजी पटले ने की।
(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)
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