राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत 18 सितंबर को दिल्ली में संघ के सिपाहियों को संबोधित करते हुए ज्ञान दे रहे थे कि हिंदू राष्ट्र का मतलब यह नहीं कि इसमें मुस्लिम नहीं रहेगा। हिंदू राष्ट्र में मुस्लिम नहीं रहेगा तो हिंदुत्व नहीं बचेगा। उन्होंने ज्ञान गंगा बहाते हुए आगे कहा, ‘भारत से निकले सभी संप्रदायों का जो सामूहिक मूल्यबोध है वह हिंदुत्व है।‘ भागवत ने हिंदुत्व के तीन आधार बताए — देशभक्ति, पूर्वज गौरव और संस्कृति और आखिर में कहा, ‘हमें सामर्थ्य संपन्न देश बनना है, लेकिन सामर्थ्य का उपयोग दूसरे धर्मों को दबाने के लिए नहीं करना चाहिए।‘
मोहन भागवत 18 सितंबर की दोपहर दिल्ली के विज्ञान भवन में जब सहिष्णुता की यह बातें बोल रहे थे ठीक उसी वक्त हरियाणा के रोहतक जिले के टिटौली गांव में एक पंचायत बैठी थी और वह फैसला कर रही थी कि अगर इस गांव में मुस्लिमों को रहना है तो हिंदू बनकर रहना होगा। मुसलानों से पंचायत ने कहा कि मुस्लिमों को नाम हिंदू रखना होगा, टोपी नहीं पहननी होगी, दाढ़ी बड़ी नहीं रहेगी और घर से बाहर कोई नमाज नहीं पढ़ेगा।‘ यह फैसला इसलिए लिया गया था क्योंकि एक मुस्लिम गोपालक के हाथों एक गाय की मौत हो गयी थी, जिसे हिंदू की बहुतायत वाली पंचायत ने गोवंश हत्या का नाम दिया, जबकि कानून उसे सजा देने के लिए अपना काम कर रहा है।

घटनाक्रम के मुताबिक टिटौली गांव के सरकारी स्कूल के पास 22 अगस्त को ईद–उल–अजहा के मौके पर एक बछड़े की हत्या करने की खबर आई, तो ग्रामीणों ने बछड़े को मारने का आरोपी गांव के धोबी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले मुस्लिम युवा यामीन खोकर को बताया। इसी संबंध में 18 सितंबर को पंचायत आयोजित की गई थी, जिस पर मुस्लिमों के अधिकारों की धज्जियां उड़ाता यह फैसला टिटोली की पंचायत ने 500 लोगों की मौजूदगी में लिया। यही नहीं जब यह फैसला लिया जा रहा था तब पंचायत में कई मुस्लिम धर्म के लोग भी मौजूद थे, और उन्होंने इस पर हामी भरी।

गांव में उपजी धार्मिक गुंडागदी की इस स्थिति पर अगर आप किसी हिंदूवादी से बात करेंगे तो वह इस गांव को उदाहरण की तरह पेश करेगा और कहेगा कि हिंदू समाज ने यहां सहिष्णुता दिखाई और मुस्लिम समाज ने सूझबूझ का परिचय दिया। हम ऐसा ही राष्ट्र चाहते हैं जहां अल्पसंख्यक बहुसंख्यक की भावनाओं का ख्याल रखें।
खैर, गांव टिटौली में गोवंश की मृत्यु के बाद 18 सितंबर को पंचायत में लिए गए इस फैसले पर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने कड़ी आपत्ति जताई है और इसे धार्मिक स्वतंत्रता का हनन बताया है। आयोग ने इस मामले में जिला प्रशासन को नोटिस जारी कर सात दिन में जवाब मांगा है। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के हरियाणा प्रभारी मनजीत सिंह राय ने कहा, ‘डीएम को पत्र लिखकर सात दिन में रिपोर्ट मांगी गई है। इसके बाद ही मामले में कोई कार्रवाई की जाएगी।‘
वहीं भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने टिटौली में हुए धार्मिक गुंडागर्दी पर चिंता जाहिर की है। माकपा के रोहतक जिला सचिव विनोद ने कहा कि देश के संविधान और संस्कृति में ऐसे भेदभाव की कोई परंपरा नहीं है। यह एक समुदाय पर दूसरे बहुसंख्यक समाज द्वारा किया गया भेदभाव है, जो लोकतंत्र और संवैधानिक मुल्यों के लिए घातक है। पार्टी ने ग्रामीण समुदाय व ग्राम पंचायत के निर्वाचित प्रतिनिधियों से अपील की है कि इन कथित घोषणाओं का प्रतिवाद करते हुए आपसी भाईचारे को मजबूत करें।

इस फैसले को मुस्लिम विरोधी तुगलकी फरमान और हिंदू तालिबानीकरण की ओर बढ़ता भारत कहते हुए चंडीगढ़ हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील और स्वराज अभियान के हरियाणा प्रदेशाध्यक्ष राजीव गोदारा कहते हैं, ‘संविधान के अनुसार हमारा देश लोकतांत्रिक, सेक्युलर, बहुलतावाद में विश्वास करने वाला है, जहां हर नागरिक को आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक न्याय मिलना सुनिश्चित किया जाता है। मगर इस घटना के बाद यह सवाल और गहरा गया है कि क्या व्यवहार में ये न्यायप्रिय सिद्धान्त लागू हो पा रहे हैं? किसी भी तरह की पंचायत द्वारा लिये गए गैरकानूनी फैसले से समाज के हिस्से में डर का भाव पैदा होता है तब वह वर्ग अपनी सुरक्षा के लिए किसी भी असंवैधानिक व गैरकानूनी निर्णय को मानने की बात कहकर सुरक्षित होने की राह खोजता है। रोहतक में भी यही हुआ है और यह शासन—प्रशासन की असफलता को ही उजागर करता है।‘राजीव आगे कहते हैं, ‘जिस समाज पर शर्तें थोपकर उनके संवैधानिक अधिकारों को छीनने की कोशिश की गई है, यदि वह पूरा समाज भी इस फैसले को स्वीकार कर ले तब भी इस तरह के अमानवीय व गैर संवैधानिक फैसले को लागू करने की छूट नहीं दी जा सकती, बल्कि फैसला करने वालों के खिलाफ तुरन्त फौजदारी कार्रवाई की जानी बनती है।‘

वहीं सुप्रीम कोर्ट में वकील और गांधी ग्लोबल फैमिली के महासचिव राममोहन राय कहते हैं, ‘टिटौली गांव जहां की यह घटना है वहां पंचायतों का इस तरह का फैसला अपवाद नहीं है। वहां जो मुस्लिम रहते हैं खासतौर पर पिछड़े तबके के वो डरे—सहमे हैं। वहां पहले भी एक विवाद सामने आया था, जबकि उस चबूतरे को उखाड़ फेंका गया था जहां मुस्लिम नमाज अदा करते थे। हालिया मामले में एक मुस्लिम जब अपने बछड़े को मार रहा था तो वह मर गया। उस दिन ईद थी, तो हिंदू समाज ने वहां पर यह प्रचारित किया कि ईद के दिन बछड़े का कत्ल कर दिया। उसे बतौर सजा जेल भेज दिया गया, मगर इस मामले में पूरे गांव के धोबी मुस्लिम समुदाय को प्रताड़ित करना ये जाहिर तौर पर तालिबानी हुकुम है। पहले हरियाणा में मुस्लिम हिंदुओं की तरह नाम रखते थे, मगर अब लोग मुस्लिम नाम रखने लगे थे, मगर इस घटना के बाद सख्त निर्देश दे दिए गए कि कोई भी मुस्लिम नाम नहीं रख सकता। धोबी समुदाय के डरे हुए लोगों ने इस फैसले को स्वीकार कर लिया और बतौर दंड 11 हजार रुपए पंचायत में गौशाला खोलने के लिए दिए।‘
राममोहन राय आगे कहते हैं, ‘यह सब दबाव में हुआ है। वहां आरएसएस और उसकी जकड़न में फंसी आर्य प्रतिनिधि सभा, जिसमें रामपाल शामिल है उसके ग्रुप ने यह धंधा करवाया है। वहां लिबरल लोग भी हैं, स्वामी अग्निवेश का आश्रम भी है टिटौली गांव में। पंचायत द्वारा हरियाणा में बने गौरक्षक दलों और जो समानांतर पुलिस गठित की गई है, उसके द्वारा यह सब किया गया। इसके पीछे पूरी साजिश है हरियाणा में खासतौर पर रोहतक और हिसार में जो पिछड़ी जातियों के मुस्लिम हैं उन्हें डराने—धमकाने के लिए, और यह मुस्लिमों का हिंदुकरण करने का एक बड़ा प्रयास भी है। इस पर हमारा संगठन सचेत है, जिस पर हम लगातार बैठकें कर रहे हैं, ताकि लोग डर—सहमकर ऐसे तुगलकी फरमानों को मानने के लिए मजबूर न हों।‘
(कॉपी संपादन- सिद्धार्थ)
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