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मध्य प्रदेश में आदिवासियों का जोरदार शक्ति प्रदर्शन, चुनावी बिगुल भी फूंका

जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन ने करीब 35 दिन की अधिकार यात्रा के जरिए आदिवासियों में चेतना की नई अलख जगाई। अभियान के समापन पर हुई महारैली में कई राज्य के आदिवासी नेता और हजारों कार्यकर्ता जुटे। संगठन ने शिवराज सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए प्रदेश में 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया। फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :

जयस की महारैली में शिवराज सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान

‘अबकी बार आदिवासी सरकार’ के नारों की गूंज के साथ धार का कुछी तहसील ऐसी आवाज का गवाह बना जो ना सिर्फ ऐतिहासिक है बल्कि चुनावी लोकतंत्र में आदिवासियों की बड़ी दस्तक की आहट देता है। 2 सितंबर को यहां आदिवासी अधिकार महारैली के समापन हुआ। आयोजकों का दावा है कि इसमें लगभग 25 हजार से अधिक लोग शामिल हुए। जयस के युवा नेता हीरा लाल अलावा ने आदिवासी समुदाय से कहा कि वो किसी बहकावे में ना आएं। कांग्रेस और बीजेपी ने आदिवासी समुदाय को उनके हाल पर छोड़ दिया है और वह राज्य की आदिवासी बहुल 80 सीटों पर प्रत्याशी खड़े करेंगे। वहीं अन्य सीटों पर ओबीसी, दलित और अन्य समुदाय के लोगों, गरीबों, किसानों और समाज के आखिरी पंक्ति में खड़े हर व्यक्ति से संपर्क करने की बात की गई। डॉ हीरा लाल अलावा जयस के राष्ट्रीय संरक्षक हैं।

मध्य प्रदेश में आदिवासियों की आबादी 21 प्रतिशत से अधिक है। राज्य विधानसभा की कुल 230 सीटों में से 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। इसके अलावा करीब 30 सीटें ऐसी मानी जाती हैं, जहां पर्याप्त संख्या में आदिवासी आबादी है। 2013 के विधानसभा चुनाव में आदिवासियों के लिए आरक्षित 47 सीटों में से बीजेपी को 32 और कांग्रेस को 15 सीटें मिली थीं। दोनों दलों में इस महासभा में लिए फैसले के बाद स्वाभाविक तौर पर घबराहट बढ़ गई है। आदिवासी वोट खिसकने से जहां बीजेपी बेचैन है तो वहीं सरकार बनाने के सपने देखने वाली कांग्रेस के सपने भी चूर हो सकते हैं।

जयस महारैली के मंच पर बैठे आदिवासी युवा समुदाय के नेता

आदिवासियों ने सरकार के खिलाफ रोष व्यक्त करते हुए पांच महीने में शिवराज सरकार की विदाई के नारे लगाए। बताते चलें कि मध्यप्रदेश में आगामी तीन महीनों के अंदर विधानसभा चुनाव संभावित हैं।

जयस के संरक्षक डॉ हीरालाल अलावा ने युवाओं से आदिवासियों से वादा किया कि आने वाले 5 महीने बाद मध्य प्रदेश से बीजेपी और कांग्रेस की जमानत जब्त करा देंगे। उन्होंने कहा कि आज की रैली कई मायनों में ऐतिहासिक है क्योंकि पहली बार ऐसा हुआ जब आदिवासी अपने दम पर इतना बड़ा आयोजन करने में कामयाब हुए।

डॉ अलावा ने शिवराज सरकार पर आदिवासियों को धोखे में रखने आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि शिवराज कंस मामा है, जो अभी तक सो रहा था। अभी तक संविधान की पांचवीं अनुसूची, पेसा कानून और वनाधिकार कानून का पालन न करके आदिवासियों को 70 साल पीछे धकेल दिया। डॉ अलावा ने वादा किया कि हमारी सरकार बनने के बाद 6 महीने के अंदर अंदर इन सभी नियमों का पालन कर आदिवासियों का उद्धार करेंगे। हमारी सरकार आदिवासी ओबीसी दलित और समाज के आखिरी पंक्ति में खड़े हर व्यक्ति के साथ हैं। जयस सभी की आवाज है और यह यह पुरानी तानाशाहों वाली राजनीति का खात्मा कर नए युवा नेतृत्व को पैदा करेगा जो प्रदेश का चौमुखी विकास करेंगी।

जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन की महारैली को संबोधित करते राष्ट्रीय संयोजक डॉ हीरा लाल अलावा

मध्यप्रदेश के पूर्व एडवोकेट जनरल आनंद मोहन माथुर ने कहा कि अब समय आ गया है कि इस सरकार की विदाई कर दी जाए। इस सरकार ने आदिवासियों के जल, जंगल, जमीनों को लूटा है, तबाह किया। अब इस सरकार की विदाई का समय आ गया है।

व्यापम घोटाले का पर्दाफाश करने वाले डॉक्टर आनंद राय ने अबकी बार आदिवासी सरकार का नारा लगाते हुए प्रदेश के सभी आदिवासी, ओबीसी, दलित और हर गरीब किसान मजदूर को एकजुट होने का आह्वान किया।

झारखंड के जयस प्रभारी संजय पहान ने कहा कि हमारे देश में हमारा शासन चलेगा। अबुआ दिशुम अबुआ राज का नारा देते हुए पहान ने अबकी बार आदिवासी सरकार बनाने का आवाहन किया। उन्होंने आदिवासियों के पुराने कानून व्यवस्था को विस्तार से समझाया और पांचवीं अनुसूची को सख्ती से लागू करने के लिए प्रदेश की शिवराज सरकार को विदा करने का आह्वान किया।

तेलंगाना के जयस प्रभारी नरसिंहाराव कत्राम ने बीजेपी और कांग्रेस को आदिवासी विरोधी बताया। उन्होंने कहा कि पूरे देश में बीजेपी और कांग्रेस ने मिलीभगत करके आदिवासियों की जल जंगल जमीन लूट ली और नक्सलवादी के नाम पर मार रहे हैं। यह अब नहीं चलेगा। इन दोनों को पूरे देश से ही खत्म करने की जरूरत है। ये दोनों पार्टी जब तक रहेंगे आदिवासियों के लिए, ओबीसी के लिए, दलित के लिए, गरीबों के लिए किसानों के लिए मजदूरों के लिए समाज के आखिरी पंक्ति में खड़े हर आदमी के लिए खतरा बने रहेंगे। अतः एकजुट होकर इस सरकार को विदा कर दें क्योंकि अबकी बार आदिवासी सरकार बननी चाहिए और पांचवीं अनुसूची, पेसा कानून, वनाधिकार कानून एवं संविधान के हर प्रावधानों का सख्ती से पालन होना चाहिए। सरकार संविधान की धज्जियां उड़ा रही है।

वक्ताओं ने कहा कि आदिवासी अधिकार महारैली के माध्यम से वे मध्यप्रदेश के 20 जिलों में आदिवासियो के गांव-गांव में जाकर उनके ज़मीनी मुद्दे– शिक्षा, स्वास्थ्य, कुपोषण, बेरोजगारी, पलायन, बिजली और खराब सड़के जैसे मुलभूत मुद्दों को समझने में सफल रहे और जिन पर व्यापर चर्चा की गई। आदिवासियों की सरकार बनने पर इन सभी मुलभूत मुद्दों पर ईमानदारी से अमल लाया जाएगा।

गौरतलब है कि आदिवासियों में राजनीतिक-सामाजिक चेतना के विकास एवं नये युवा आदिवासी नेतृत्व पैदा करने के उद्देश्य से निकाली गयी ‘आदिवासी अधिकार महारैली’ का 31 अगस्त, 2018 को जबलपुर में सफलतापूर्वक संपन्न करके एक नया इतिहास रचा गया। अब तक के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब आदिवासी बहुल 20 जिलों के गाँव-जंगल होते हुए इतने बड़े भूभाग में कोई महारैली निकली। महारैली में आत्मसम्मान एवं संवैधानिक अधिकार के मुद्दे पर आदिवासियों को एकजुट होने का आह्वान किया गया।

आदिवासी महारैली में 25 हजार से ज्यादा कार्यकर्ता जुटे

दरअसल, आदिवासी अधिकार महारैली के प्रथम चरण की शुरुआत 29 जुलाई, 2018 को मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के सातरुण्डा से शुरू हुई थी, जो झाबुआ, आलीराजपुर, धार, बड़वानी, खरगोन, बुरहानपुर, खंडवा, देवास होते हुए हरदा तक कुल 10 जिलों में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई थी। दूसरा चरण 16 अगस्त, 2018 को होशंगाबाद से शुरू होकर बैतूल होते हुए रायसेन के अब्दुल्लागंज में 18 अगस्त, 2018 को सफलतापूर्वक संपन्न हुई। इसका तीसरा चरण 28 अगस्त, 2018 को शहडोल जिले से शुरू होकर अनूपपुर, सीधी, उमरिया, डिंडोरी, मंडला होते हुए 31 अगस्त, 2018 को जबलपुर में संपन्न हुई और एक इतिहास रच दिया।

आदिवासी अधिकार महारैली समापन कार्यक्रम में धार जिला जयस अध्यक्ष अंतिम मुझालदा, जयस के धार महासचिव गेंदालाल रणदा,इंदौर जयस अध्यक्ष रविराज बघेल, मध्यप्रदेश जयस प्रवक्ता राहुल बामनिया,रतलाम जयस संरक्षक डॉ अभय ओहरी, झाबुआ जयस संरक्षक कन्हैया लाल मेडा, बड़वानी जयस संरक्षक रामु दयाल बड़ोले, खरगोन जयस संरक्षक राजेन्द्र पंवार, अलीराजपुर जयस संरक्षक सज्जन सिंह,धार जयस संरक्षक नाहर सिंह अलावा, राहुल डावर, जयन्त मुझालदा, देवास जयस प्रभारी सूरज डावर, सैलाना जयस संरक्षक कमलेश्वर डोडियार,जयस के राष्ट्रीय प्रचारक साहेब सिंह कलेम शामिल हुए।

इनके अलावा झाबुआ जयस प्रभारी बाबूभाई डामोर, मनावर जयस प्रभारी लालसिंह वर्मन, गंधवानी जयस संरक्षक धूमसिंह गणावा, हरदा जयस प्रभारी पुरुषोत्तम कलाम, हरदा जयस संरक्षक ध्रुव चौहान, बैतूल जयस संरक्षक समर सरियाम, अलीराजपुर जयस प्रभारी अरविंद कनेस, मुकेश अजनार, बदनावर जयस संरक्षक जगदीश महावी, पीथमपुर जयस संरक्षक दिनेश जमरे, खरगोन जयस संरक्षक राजेंद्र पवार, डॉ हितेश मुझाल्दा, सेंधवा जयस संरक्षक जितेंद्र मौर्य, गेंदालाल रणदा, अंतिम मुजाल्दे, रमेश मंडलोई, मुकाम सिंह बघेल, बसंत कन्नौज , जयंत मुजाल्दे, ।सचिन बामनिया, बाबा तढ़वाल, दिलीप जामोद, सुनील किराडे, जीतू मोरी, हरिओम बघेल, शिवपाल, कमल बामनिया, अर्जुन बामनिया, शुभम सोलंकी , शेरू मंडलोई रविंद्र मंडलोई, प्रणव भारद्वाज समेत हजारों जयस युवा कार्यकर्ता यहां दल बल के साथ पहुंचे थे।

जयस की 10 बड़ी मांगें :

1. धार जिले के पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र मनावर, गंधवानी तहसली के 32 गांवों के प्रस्तावित विस्थापन प्रक्रिया,बड़वानी खरगोन और खंडवा के 44 गांवो को वाइल्ड लाइफ प्रोजेक्ट सेंचुरी, होशंगाबाद जिले के तिलक सिंदूर इलाके के 27 आदिवासी गांवो को टाइगर रिजर्व के नाम पर प्रस्तावित विस्तान प्रक्रिया को रद्द करना व धामनोद के 12 गांव का विस्थापन रद्द कर उचित कार्यवाही करना

2. धार जिले के पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र में सरदार सरोवर परियोजना से प्रभावित सभी किसानों, आदिवासियों, मछुआरों, पीड़ितों एवं गंधवानी तहसील के बैल बाबा डेम से प्रभावित 12 आदिवासी गांवों के किसानों को स्थायी पट्टा देकर उनको पर्याप्त पुनर्वास एवं उचित मुआवजा की व्यवस्था करना।

3. संविधान की पांचवीं अनुसूची, पेसा कानून, वन अधिकार कानून 2006 के सभी प्रावधानों को सख्ती से अविलम्ब धरातल पर लागू करना।

4. प्रदेश में रिक्त सभी विभागों के बैकलॉग पदों पर चुनावी आचार संहिता से पहले अतिशीघ्र भर्ती करना।

5. संविधान की पांचवीं अनुसूची के अंतर्गत जनजातीय सलाहकार परिषद (टीएसी) का मुखिया/ अध्यक्ष और राज्य के राज्यपाल पद पर आदिवासी समुदाय के व्यक्ति की नियुक्ति। जनजातीय सलाहकार परिषद के सभी सदस्य आदिवासी समुदाय से हों।

6. प्रदेश के सभी 89 ट्राइबल ब्लाकों में बनकर तैयार लेकिन बंद पड़े छात्रावासों को शीघ्र चालू करवाना। ब्लाक स्तर पर 200 छात्र-छात्राओं, तहसील स्तर पर 400 छात्र-छात्राओं, जिला स्तर पर 1000 छात्र-छात्राओं एवं संभाग स्तर पर 2000 छात्र-छात्राओं के लिए नये छात्रावास बनवाना जिसमें लाइब्रेरी, मेस, वाइफाई की सुविधा हो। मेधावी एवं असंगठित श्रमिक कर्मकार लाभ आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों को भी आवास योजना व छात्रवृत्ति के साथ दिया जाए।

7. संविधान की पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र धार, झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी, खरगोन, बैतूल, जबलपुर, मंडला, रायसेन, उमरिया, सीधी, खंडवा, शहडोल और होशंगाबाद में मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, एग्रीकल्चर कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज, आईटीआई कॉलेज खोलना तथा सरकार द्वारा सीबीएससी स्तर के आवासीय स्कूल खोलना।

8. प्रदेश के सभी एसटी-एससी कर्मचारी अधिकारियों के प्रमोशन में आरक्षण का लाभ देने के लिए नई नियमावली जल्द से जल्द बनाकर प्रदेश के सभी विभागों में पदस्थ कर्मचारी अधिकारियों का प्रमोशन में आरक्षण का लाभ दिया जाना।

9. प्रदेश के आदिवासियों की संस्कृति, भाषा, रीति-रिवाजों, परंपराओं को संरक्षित करने के लिए सभी 89 ट्राइबल ब्लाकों में आदिवासी संग्रहालय खोलना एवं आदिवासी हाट लगाने की व्यवस्था करना।

10. प्रदेश की शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए संविदा शिक्षकों के स्थान पर स्थायी/ नियमित शिक्षकों की भर्ती कर एसटी, एससी के छात्र-छात्राओं की भर्ती प्रक्रिया के दौरान बीएड, डीएड में छूट देना एवं अनुसूचित क्षेत्र में प्रोफेसर के रिक्त पड़े पदों की भर्ती करना।

(कॉपी संपादन : एफपी)


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लेखक के बारे में

कमल चंद्रवंशी

लेखक दिल्ली के एक प्रमुख मीडिया संस्थान में कार्यरत टीवी पत्रकार हैं।

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