दिल्ली में रहने वाले अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लोगों के लिए बड़ी खबर। अरविंद केजरीवाल सरकार ने उस बाध्यता को खत्म करने का निर्णय लिया है जिसके कारण दिल्ली में दूसरे प्रदेशों से आने वाले ओबीसी वर्ग के लोगों को ओबीसी का प्रमाण पत्र नहीं बन पाता था। इस कारण वे दिल्ली सरकार की नौकरियों में आरक्षण का लाभ नहीं ले पाते थे। इसका कारण यह था कि दिल्ली सरकार ने केवल उन्हें ही ओबीसी प्रमाण पत्र निर्गत किये जाने का प्रावधान रखा था जो 1993 के पहले दिल्ली आये थे।
ग़ौरतलब है कि फारवर्ड प्रेस द्वारा इस संबंध कई आलेख व रिपोर्टें प्रकाशित की जाती रही हैं कि किस तरह ओबीसी का प्रमाण पत्र नहीं रहने के कारण दिल्ली में रहने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस संबंध में हाल ही में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग के पूर्व अध्यक्ष जस्टिस वी. ईश्वरैया ने भी फारवर्ड प्रेस के साथ बातचीत में यह सवाल उठाया था और मांग की थी कि दिल्ली सरकार 1993 के पहले का मूलनिवासी होने के शर्त को या तो खत्म करे या फिर इसे आगे बढ़ाये। उनका विचार था कि दिल्ली देश की राजधानी है और यहां पूरे देश के लोग रहते हैं।
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खैर, लंबे समय से उठ रही इस मांग पर बीते 28 सितंबर 2018 को दिल्ली सरकार ने चर्चा की। राज्य सरकार में समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने इस संबंध में एक उच्च स्तरीय बैठक की। उन्होंने बैठक में कहा कि राज्य सरकार ओबीसी पर लगे इस शर्त को समाप्त करने के पक्ष में है। दिल्ली में रहने वाले ओबीसी वर्ग के लोगों का प्रमाण निर्गत किया जाय। फिर वे 1993 के बाद ही आकर यहां क्यों न बसे हों।

चूंकि यह मामला केंद्र सरकार से भी जुड़ा है। लिहाजा राजेंद्र पाल गौतम ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया कि वे भारत सरकार के अधिकारियों के साथ समन्वय कर इस मामले का समाधान निकालें ताकि दिल्ली में ओबीसी प्रमाण पत्र के लिए 1993 के पहले का मूलनिवासी दस्तावेज होना अनिवार्य न रहे। उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट में भी विचाराधीन है। लिहाजा उन्होंने ओबीसी वर्ग के लोगों का आह्वान भी किया कि वे उपयुक्त मंचों, संगठनों के जरिए इस मांग को उठायें। दिल्ली सरकार उनके साथ है।
बहरहाल, दिल्ली सरकार के इस निर्णय के दूरगामी असर होंगे। यदि यह फैसला अमल में लाया जाता है तब निश्चित तौर पर उन लोगों को लाभ मिलेगा जो अन्य प्रदेशों से रोजी-रोटी की तलाश में दिल्ली आये और यहीं के होकर रह गये। वर्तमान में दिल्ली में ओबीसी वर्ग को प्रमाण पत्र के लिए यह दस्तावेज देना पड़ता है कि वे 1993 के पहले दिल्ली आये थे।
(कॉपी संपादन : राजन)
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