“किसी बहुत प्रतिष्ठित समाचार पत्र (पत्रिका, जर्नल) में क्या स्टोरी (रिपोर्ट, शोध, खबर) प्रकाशित हुई है, इससे यह पता नहीं चलता कि वह स्टोरी भी बहुत अच्छी है। एक कमरे में बैठकर 87 पत्रिकाएं प्रकाशित की जा रही हैं, असली स्टोरी यही है। हम इससे निपट रहे हैं। हम विश्वविद्यालयों से पूछ रहे हैं कि किस जर्नल, पत्रिका को यूजीसी मान्यता दें, इसके बारे में अपनी सिफारिशें भेजें। वे 30 अगस्त तक समीक्षा करेंगे और अंतिम सिफारिश देंगे…। हम इन चीजों को सुधार रहे हैं। हम नहीं चाहते हैं कि छद्म और नकली पत्रिकाएं निकलें और उनको मान्यता मिले।” (प्रकाश जावड़ेकर, मानव संसाधन मंत्री, 23 जुलाई 2018, लोकसभा में दिया गया वक्तव्य)
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