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अति पिछड़ा वर्ग के लोगों ने कहा, हमारे लिये भी बने एससी-एसटी के जैसे कानून

बीते 25 सितंबर 2018 को दिल्ली के जंतर-मंतर पर अति पिछड़ा वर्ग के लोग बड़ी संख्या में जुटे थे। वे अपने वर्ग के लिए एससी और एसटी के जैसे कानूनों की मांग कर रहे थे। उनका कहना था कि अति पिछड़ा वर्ग की हालत एससी और एसटी से भी बदतर है। फारवर्ड प्रेस की खबर :

चाहे वह दलित हों या आदिवासी या फिर सवर्ण सभी अपने अधिकारों को लेकर जागरूक हो चुके हैं। अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर वे विभिन्न राजनीतिक दलों पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इस क्रम में अब अति पिछड़ा वर्ग के लोगों ने भी अपने अधिकार मांगा है। उनकी मुख्य मांगों में एक मांग तो यह है कि जैसे एससी और एसटी वर्ग के लोगों के लिए अत्याचार निरोधक कानून है, वैसे ही उनके लिए भी कानून बनाया जाय। इसी प्रकार जैसे एससी और एसटी वर्ग के स्पेशल कंपोनेंट प्लान का प्रावधान है, अति पिछड़ा वर्ग के लिए भी स्पेशल कंपोनेंट प्लान बनाये जायें। साथ ही अति पिछड़ा वर्ग के लिए पृथक विभाग की मांग भी की गयी।

अपनी मांगों को लेकर अति पिछड़ा वर्ग के लोगों ने दलित-शोषित पिछड़ा वर्ग अधिकार दल के बैनर तले बीते 25 सितंबर 2018 को दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दिया। धरना के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नाम एक ज्ञापन अधिकारियों को सौंपा गया। प्रदर्शन में विभिन्न प्रदेशों से आये लोग शामिल थे।

इस मौके पर राष्ट्रीय अध्यक्ष नेपाल सिंह ने कहा कि अति पिछड़ों को संसद व विधानसभा में बीस प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए। साथ ही एससी-एसटी वर्ग के छात्रों की भांति अति पिछड़े वर्ग के छात्रों को भी शत-प्रतिशत स्कॉलरशिप दी जाय।  

उन्होंने कहा कि आज देश में अति पिछड़े वर्ग की हालत दलितों और आदिवासियों के जैसा ही है। कई मायनों में तो यह वर्ग उनसे भी अधिक पिछड़ा है। सरकारी सेवाओं में हिस्सेदारी न्यून है। वहीं भूमिहीनता का सवाल भी सबसे अधिक इस वर्ग के लोगों के पास है। साथ ही रोजगार के पारंपरिक साधन खत्म होने की वजह से इस वर्ग के युवा सबसे अधिक बेरोजगार हैं।

दिल्ली के जंतर-मंतर पर अति पिछड़ा वर्ग के लोगों द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन को संबोधित करते वक्ता

उन्होंने रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट को शीघ्र लागू कर केन्द्रीय स्तर पर ओबीसी का तीन हिस्सों में वर्गीकरण करने की मांग की। साथ ही यह भी कहा कि कई राज्यों में ओबीसी का वर्गीकरण नहीं किया गया है। इसे जल्द सभी राज्यों में लागू करने की दिशा में केंद्र सरकार पहल करे। इन राज्यों में राजस्थान और महाराष्ट्र भी शामिल है। उन्होंने मांग किया कि मध्य प्रदेश में ओबीसी के आरक्षण को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत हो।




अपने संबोधन में कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष वी.डी.ओ. सहाय ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा दलित शोषित वेलफेयर सोसायटी की याचिका संख्या 51409/2016 में पारित लिबर्टी आदेश का अनुपालन कराते हुए शिल्पकार अनुसूचित जाति की उपजाति कुम्हार को मूल कुम्हार जाति के रूप में अनुसूचित जाति के रूप में अधिसूचित की जाय।  साथ ही यह मांग भी पुरजोर तरीके से रखी गयी कि केन्द्रीय स्तर पर माटी कला एवं रूरल टेकनोलोजी बोर्ड गठित कर अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम की भांति संचालित किया जाय।

यह भी पढ़ें : एससी-एसटी के तर्ज पर ओबीसी को भी मिले पदोन्नति में आरक्षण : जस्टिस ईश्वरैया

प्रदर्शन के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा खत्म किये गये पेंशन योजना को फिर से बहाल करने की मांग गयी। वहीं अति पिछड़ा वर्ग के भूमिहीनों के लिए विशेष योजना बनायी जाय।

इस अवसर पर दलित-शोषित पिछड़ा वर्ग अधिकार दल के राष्ट्रीय महासचिव किरन कुमार पांचाल व मुख्य राष्ट्रीय महासचिव नीरज प्रजापति सहित अनेक वक्ताओं ने अपने विचारों को व्यक्त किया।   

(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)


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