दलित-बहुजन अपनी सांस्कृतिक अस्मिता की लड़ाई पूरे देश में लड़ रहे हैं। द्विजों की वर्चस्ववादी परंपराओं काे त्यागकर वे अपने पुरखों का स्मरण कर रहे हैं। बीते 28 अक्टूबर 2018 को बिहार के बक्सर जिले में बड़ी संख्या में बहुजन महिषासुर शहादत दिवस समारोह मनाने पहुंचे। लेकिन, द्विज समुदाय के कुछ असामाजिक तत्वों ने पुलिस की मदद से आयोजन में खलल डालने की कोशिश की। इसके विरोध सैकड़ों दलित-बहुजन कार्यकर्ताओं ने भी जबरदस्त नारेबाजी की। घंटों चले हंगामे के दौरान द्विजवादियों ने महिषासुर दिवस के प्रमुख अायोजक पेरियार संतोष यादव पर हमला किया। इस दौरान पुलिस ने हमला करने वाले तीन लोगों- गिट्टू तिवारी, सौरभ तिवारी और राहुल को हिरासत में लिया। इस मामले में स्थानीय कांग्रेस विधायक और भाजपा के स्थानीय नेता एक साथ हो गये और उनके दबाव में एक मुकदमा दायर कर कार्यक्रम के आयोजक पेरियार संतोष को भी गिरफ्तार कर लिया।
इस घटना के बाद बक्सर में बहुजनों और द्विजवादियों के बीच तनातनी का माहौल है। शहर में तनाव में देखते हुए कल पुलिस मार्च का आयोजन किया गया तथा गश्त बढा दी गई है।

असुर वीरांगना तारका से है बक्सर का संबंध
गौरतलब है कि बक्सर का उल्लेख द्विजों के ग्रंथ रामायण में मिलता है। इसके मुताबिक यहां असुर वीरांगना तारका का राज था, जिनकी हत्या राम ने अपने गुरु विश्वामित्र के कहने पर कर दी थी। स्थानीय निवासी सोनू यादव ‘महिष’ का कहना है कि बक्सर की पहचान बहुजन वीरांगना तारका से रही है। हम मूलनिवासी हैं और हमारे ही आदर्शों को द्विज नकारात्मक तरीके से प्रदर्शित करते हैं। महिषासुर भी हम मूलनिवासियों के आदर्श थे, जिनकी हत्या छल से दुर्गा द्वारा की गई।
बहुजन संगठनों की संयुक्त कमेटी ने किया था अायोजन
महिषासुर शहादत दिवस समारोह का आयोजन कई संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था। इनमें गोंडवाना स्टूडेंट्स यूनियन, जनहित अभियान, दलित अधिकार मंच, सत्य शोधक संघ, अखिल भारतीय यादव महासभा, पिछड़ा वर्ग विकास मंच शामिल थे। इन संगठनों द्वारा आयोजन को लेकर एक संयुक्त कमेटी का गठन किया गया था, जिसे ‘महिषासुर शहादत आयोजन समिति’ नाम दिया गया। इस समिति के सचिव शिव प्रसाद सिंह ने बताया कि उन लोगों ने 21 अक्टूबर को ही स्थानीय प्रशासन को आयोजन के संबंध में सूचना दी थी और सुरक्षा प्रबंध करने का अनुरोध किया था।

सुरक्षा के नाम पर पुलिस की घेराबंदी
पूर्व से निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार समारोह का आयोजन सुबह 11 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक होना था। तय समय के पहले ही बड़ी संख्या में बहुजन समाज के लोग महिषासुर शहादत समारोह स्थल पर पहुंच चुके थे। यह आयोजन बक्सर के कोइरपुरवा इलाके के ज्योति चौक पर होना था। चूंकि आयोजन की सूचना पूर्व में ही आयोजकों द्वारा स्थानीय अधिकारियों को दे दी गई थी और यह अनुरोध भी किया गया था कि स्थानीय प्रशासन आयोजन स्थल पर सुरक्षा का प्रबंध करे। इसलिए स्थानीय प्रशासन के द्वारा एसडीओ के.के. उपाध्याय के नेतृत्व में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात था।

अभी कार्यक्रम के आयोजन की औपचारिक शुरुआत होने ही वाली थी कि बक्सर नगर थाना प्रभारी दयानंद सिंह अपने दल-बल के साथ पहुंचे और आयोजन बंद करने को कहा। इस बात को लेकर पुलिस और आयोजकों के बीच तीखी नोक-झोंक हुई। इस बीच पेरियार संतोष यादव भी पहुंचे। लेकिन, हंगामा रुकने के बजाय बढ़ता गया। मौके पर मौजूद द्विजवादियों ने पुलिस की मौजूदगी में पेरियार संतोष यादव पर हमला बोल दिया। यह एक तरह से पुलिस की आंखों के सामने मॉब लिंचिंग करने का प्रयास था।
राजनीतिक दबाव में पुलिस
फारवर्ड प्रेस से बातचीत में थाना प्रभारी दयानंद सिंह ने कहा कि यह आयोजन ही गलत था। उन्होंने कहा, “कोई देवी-देवता का अपमान कैसे कर सकता है, वह भी सार्वजनिक रूप से? इस आयोजन को लेकर शहर में भारी बवाल हाेने का अंदेशा था। बड़ी संख्या में लोग आयोजन स्थल की ओर बढ़ रहे थे। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए हम लोगों ने कार्रवाई की।”

पेरियार संतोष यादव की गिरफ्तारी का सबब पूछने पर थाना प्रभारी ने कहा, “28 अक्टूबर को जिस दिन आयोजन होना था, उसी दिन सुबह-सुबह दो लोगों ने थाने आकर इस बात की शिकायत दर्ज कराई कि पेरियार संतोष यादव ने फेसबुक पर दुर्गा-महिषासुर के संबंध में आपत्तिजनक टिप्पणियां की हैं और इस कारण उनकी भावनाएं आहत हुई हैं।”
अदालत में पेरियार संतोष यादव की जमानत के लिए पैरवी करने वाले अधिवक्ता गणपति मंडल ने बताया कि इस घटना को लेकर दो एफआईआर दर्ज कराई गई हैं। इनमें से एक एफआईआर पेरियार संतोष यादव के खिलाफ और दूसरी एफआईआर उनके ऊपर हमला बोलने वालों के खिलाफ। इसमें पेरियार संतोष यादव पर तीन धाराएं लगाई गई हैं। इनमें 153ए, 295ए और 66ए (आईटी एक्ट) शामिल हैं। जबकि हमलावरों पर मारपीट करने की धारा 323 लगाई गई।
जिन लोगों के ऊपर पेरियार संतोष यादव एवं अन्य आयोजकों के साथ मारपीट का मामला दर्ज कराया गया था, उन्हें गिरफ्तार कर कोर्ट के सामने ले जाया गया, जहां उन्हें जमानत दे दी गई। जबकि पेरियार संतोष यादव पर अनावश्यक धाराएं लाद दिए जाने के कारण कोर्ट ने अभी उन्हें जमानत नहीं दी है।
कौन हैं पेरियार संतोष यादव?
पेरियार संतोष यादव बक्सर के सामाजिक कार्यकर्ता हैं। सोशल मीडिया पर भी वे सक्रिय रहे हैं और लंबे समय से बहुजन विचारों को पोस्ट करते रहते हैं। इसके अलावा वे सामाजिक आयोजनों, खासकर ऐसे आयोजन जिनका मकसद द्विज वर्चस्व को तोड़ना, बहुजनों के हक-हुकूक और पाखंड का विरोध होता है, में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। स्थानीय लोगों में भी पेरियार संतोष यादव अपने विचारों को लेकर चर्चा में रहते हैं।
पेरियार संतोष यादव के खिलाफ कार्रवाई के पीछे पेंच
पुलिस ने पेरियार संतोष यादव को गिरफ्तार ऐसे समय किया, जब समारोह की शुरुआत होने ही वाली थी। ऐसे में सवाल उठता है कि उनके खिलाफ कब मुकदमा दर्ज कराया गया और कितनी देर में कार्रवाई की गई? इस सवाल का जवाब भी थाना प्रभारी दयानंद सिंह ने दिया। उनके अनुसार, 28 अक्टूबर को सुबह में पेरियार संतोष यादव के खिलाफ शिकायत दो लोगों द्वारा दर्ज कराई गई। सूत्रों के अनुसार, शिकायत दर्ज करवाने के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने विशेष तौर अपने एक कार्यकर्ता को चुना, जो यादव जाति से आता है। जबकि दूसरा कार्यकर्ता ब्राह्मण है।
हालांकि, दयानंद सिंह ने यह नहीं बताया कि द्विजवादियों की शिकायती सूचना को कब एफआईआर के रूप में दर्ज किया गया और इतने आनन-फानन में एक्शन क्यों लिया गया?
महिषासुर शहादत दिवस समारोह समिति से जुड़े जनार्दन सिंह के मुताबिक, पुलिस ने यह सब कुछ दबाव के तहत किया, ताकि आयोजन को बाधित किया जा सके।
द्विजवादियों के पक्ष में उतरे भाजपा और कांग्रेस के नेता
महिषासुर शहादत समारोह के आयोजन के संबंध में भाजपा और कांग्रेस के द्विज नेताओं ने विरोध व्यक्त किया है। बताते चलें कि बक्सर के सांसद अश्विनी कुमार चौबे केंद्र स्वास्थ्य राज्यमंत्री हैं और इन्हें कट्टर ब्राह्मणवादी के रूप में जाना जाता है। वहीं जिस इलाके में यह घटना घटित हुई, वह इलाका बक्सर सदर विधानसभा क्षेत्र में आता है, जहां से कांग्रेस के संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी विधायक हैं।
स्थानीय सूत्रों की मानें तो महिषासुर शहादत दिवस का आयोजन न हो, इसके लिए संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी भी स्थानीय प्रशासन पर दबाव बना रहे थे। हालांकि इसकी अधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है। फारवर्ड प्रेस ने तिवारी से दूरभाष पर संपर्क करने का प्रयास किया, परंतु उनसे बात नहीं हो सकी। उनके निजी सहायक ने बताया कि ‘साहब मीटिंग में हैं’।
अधिकारिक तौर पर भाजपा के जिलाघ्यक्ष राणा प्रताप सिंह ने 28 अक्टूबर को ही संवाददाता सम्मेलन बुलाकर अपना विरोध व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि महिषासुर शहादत दिवस के बहाने हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करने वालों के खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए। वहीं, कांग्रेस की ओर से टी.एन. चौबे ने आयोजकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की।
आक्रोशित हैं बहुजन
बहरहाल, इस घटना को लेकर बक्सर में बहुजन आक्रोशित हैं। सोनू यादव ‘महिष’ के अनुसार, एक अतिवादी हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं ने महिषासुर शहादत दिवस समारोह को पुलिस प्रशासन द्वारा स्थगित कराए जाने के बाद शहर में द्विज समुदाय के लोगों ने एक विजय जुलूस निकाला था। इस दौरान वे ‘हिंदू एकता जिंदाबाद’ और ‘अधर्म के ऊपर धर्म की जीत’ के नारे लगा रहे थे। सोनू ने बताया, “हम लोग अभी पेरियार संतोष यादव की जमानत को लेकर प्रयासरत हैं। जैसे ही उन्हें जमानत मिल जाएगी, हम बहुजन समाज के लोग भी शहर में जुलूस निकालेंगे।”
(कॉपी संपादन : प्रेम/ रंजन)
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