उच्च शिक्षा में दलितों और आदिवासियों का प्रतिनिधित्व न्यून
केरल के तीन विश्वविद्यालयों के लिए कुलपतियों का चुनाव किया जाना है और इसकी जिम्मेदारी सर्च कमेटी को सौंपी गई है। कुलपतियों के चयन की यह सामान्य प्रक्रिया है लेकिन केरल में इसको लेकर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। आपत्ति दलित समुदाय की तरफ से की जा रही है। अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्र ‘डेक्कन क्रॉनिकल ’ में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक केरल के जिन तीन विश्वविद्यालयों में कुलपतियों के चयन किए जाने हैं, उनकी स्थापना हुए 62 साल से अधिक का समय बीत चुका है लेकिन अभी तक एक भी दलित कुलपति की नियुक्ति इन तीनों यूनिवर्सिटी में से कहीं भी नहीं हुई है। अब देखने वाली बात है कि इस बार भी दलित समुदाय से किसी का नम्बर आता है या नहीं?
हालांकि पूर्व राष्ट्रपति के. आर. नारायणन इसके अपवाद रहे हैं। राष्ट्रपति बनने से पहले वह जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के कुलपति रहे। उनका कार्यकाल लगभग पौने दो साल ( 3 जनवरी 1979 – 14 अक्टूबर 1980) का रहा। वह मलयाली दलित समुदाय से थे। इसके अलावा केरल के दलित समुदाय से आने वाले एन वीरामानिकंदन को प्रतिकुलपति बनने का सौभाग्य मिला लेकिन कुलपति की कुर्सी तक वो भी नहीं पहुंच पाए। दलित समुदाय की तरफ से कहा जाता है कि बराबरी का दर्जा व विकास का दावा आधा सच व आधा झूठ है और इस पर सबसे बड़ा धब्बा उच्च शिक्षण संस्थानों के पदों से दलितों को दूर रखने की कवायद है। आजादी के 70 साल पूरे होने के बावजूद उच्च शैक्षणिक संस्थाओं सहित ज्यादातर संस्थाओं में दलितों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर है।
- 90 फीसदी वीसी पदों पर काबिज हैं सवर्ण
- केरल के तीन यूनिवर्सिटी में 62 से एक भी दलित वीसी नहीं
- उच्च शिक्षण संस्थानों के उच्च पदों पर दलितों का प्रतिनिधित्व नगण्य
- देश में कुल 496 कुलपतियों में से केवल 6 एससी, 6 एसटी और 36 ओबीसी
इस बात की तस्दीक एक आरटीआई के तहत प्राप्त जवाब से भी होती है जिसमें पूछा गया था कि देशभर के विश्वविद्यालयों में कुल कितने कुलपति हैं और इनमें एससी, एसटी, ओबीसी और सामान्य की हिस्सेदारी कितनी-कितनी है? आरटीआई से मिले जवाब के मुताबिक देशभर में कुल 496 कुलपति हैं। इन 496 में से केवल 6 एससी, 6 एसटी और 36 ओबीसी कुलपति (वीसी) हैं। शेष 448 कुलपति सवर्ण हैं।

आरटीआई के इस जवाब से बराबरी के दावे पर प्रश्नचिन्ह लगता है कि 89 फीसदी आबादी वाले समुदाय (एससी,एसटी और ओबीसी) से कुल 48 वीसी और 11 फीसदी आबादी ( सवर्ण) से 448 कुलपति। ये कैसी बराबरी?
वर्ग | आरक्षण | वर्तमान में संख्या | आरक्षण के अनुसार प्रतिनिधित्व | स्थिति |
---|---|---|---|---|
एससी | 15 प्रतिशत | 6 | 74 | - 68 |
एसटी | 7.5 प्रतिशत | 6 | 37 | -31 |
ओबीसी | 27 प्रतिशत | 36 | 134 | -98 |
जबकि उच्च शिक्षा में भी एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण का प्रावधान है। इसके मुताबिक एसटी वर्ग को 7.5 प्रतिशत, एससी वर्ग को 15 प्रतिशत और ओबीसी को 27 प्रतिशत यानी कुल मिलाकर 49.5 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए। इस आधार पर 496 कुलपतियाें में आरक्षित वर्ग के कम से कम 246 कुलपति होने चाहिए।
(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)
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