खनिज संपदाओं के लिए प्रसिद्ध झारखंड में खुदकुशी की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है। बीते दो दिनों के अंदर दो आदिवासी युवतियों ने खुदकुशी कर ली है। इनमें से एक विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुकी असुर जनजाति की है जो झारखंड में आदिम जनजाति की श्रेणी में आता है। वहीं दूसरी युवती त्रिपुरा की है जिसकी दो साल पहले शादी हुई थी। ये दोनों घटनाएं गुमला जिले के घाघरा थाना क्षेत्र के एक ही मुहल्ले की हैं। इन दोनों घटनाओं के बारे में पुलिस के हाथ खाली हैं। जबकि स्थानीय लोग दोनों मामलों को संदिग्ध बता रहे हैं।
पहली घटना बीते 3 अक्टूबर 2018 की है। मृतका का नाम सुनीता कुमारी उर्फ संगम असुर है। वह दसवीं कक्षा की छात्रा थी। इस संबंध में घाघरा थाना प्रभारी उपेंद्र महतो ने फारवर्ड प्रेस को बताया कि ग्रामीणों ने एक युवती की खुदकुशी के बारे में जानकारी दी। मृतका के पिता बंधु असुर नेतरहाट रोड स्थित कॉलेज रोड के इलाके में शिक्षक हैं। जबकि मृतका गीता कुजाम नामक गांव में अपने भाई के घर में रहकर पढ़ती थी।

बताते चलें कि बंधु असुर और जत्ती असुर की छह संतानों में चार बेटियां और दो बेटे हैं। इनमें से दो बेटियां और एक बेटा तीन साल पहले झारखंड सरकार द्वारा बनाये गये स्पेशल पुलिस बटालियन के सदस्य हैं। यह बटालियन नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात की जाती है। मृतका के बारे में स्थानीय लोगों का कहना है कि वह पढ़ने-लिखने में काफी तेज थी। उसकी खुदकुशी को लेकर तमाम तरह के कयासबाजियों का दौर जारी है।
पुलिस के मुताबिक खुदकुशी की जानकारी सबसे पहले मृतका की भाभी गुलाब असुर को मिली जब वह सुबह में ब्रश करने बाहर निकली। उसने देखा कि सुनीता कुमार उर्फ संगम असुर की लाश घर के बाहरी हिस्से में बने हॉल में फंदे से लटक रही है। दरवाजा अंदर से बंद था। हालांकि थाना प्रभारी उपेंद्र महतो ने बताया कि मृतका के पांव जमीन को छू रहे थे। इसके बावजूद वे इस मामले को संदिग्ध नहीं मानते हैं। उन्होंने कहा कि परिजनों एवं आसपास के लोगों से पूछने पर ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली है जिससे यह साबित हो कि यह मामला हत्या का हो। उन्होंने यह भी कहा कि मृतका के शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गयी है। रिपोर्ट में शरीर पर किसी तरह के निशान नहीं मिले हैं।
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वहीं स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता अनिल असुर जो असुर जनजाति के सवालों को लेकर हमेशा सक्रिय रहते हैं, ने फारवर्ड प्रेस को जानकारी दी कि यह मामला पूरी तरह संदिग्ध है। वे सवाल उठाते हैं कि यदि यह मामला खुदकुशी का होता तो मृतका के पांव जमीन से कैसे लगा था। हालांकि इस संबंध में मृतका की भाभी गुलाब असुर ने पुलिस को दिये अपने बयान में इसे खुदकुशी करार दिया है। उसके मुताबिक मृतका अक्सर अपने माता-पिता के घर सोने चली जाती थी। घटना के दिन भी वह जब नहीं लौटी तब उन लोगों ने सोचा कि वह अपने अपने माता-पिता के घर सोने चली गयी है, लेकिन सुबह में उसकी लाश घर में ही मिली।
अभी सुनीता कुमारी उर्फ संगम असुर की खुदकुशी का मामला ठंढा भी नहीं हुआ था कि उसी मुहल्ले में एक और युवती के द्वारा खुदकुशी का मामला 4 अक्टूबर 2018 को प्रकाश में आया। अनिता देवी नामक महिला ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। इस संबंध में घाघरा थाना प्रभारी उपेंद्र महतो ने बताया कि मृतका मूल रूप से त्रिपुरा की रहने वाली थी। दो साल पहले तरैंगदाग(लोहरदग्गा जिला) के निवासी विष्णु उरांव के साथ उसकी शादी हुई थी। विष्णु उरांव इलाके में बॉक्साइट के खनन में लगे ट्रक का चालक है। उपेंद्र महतो ने बताया कि अनीता देवी के शरीर पर भी कोई निशान नहीं है। खुदकुशी की वजह पूछने पर उन्होंने बताया कि इस संबंध में उन्हें कोई जानकारी नहीं मिल सकी है। वे इस मामले की जांच कर रहे हैं।
(कॉपी संपादन : सिद्धार्थ)
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