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लोकेश सोरी : कैंसर और तंगहाली से लड़ रहा दलित सपूत

बीमारी के इलाज में हो रहे खर्च के कारण आर्थिक तंगी के बावजूद लोकेश अब निराशा के धुंध से निकल अपने लिए योजनायें बना रहे हैं। पूछने पर कहते हैं कि यदि कैंसर ने उन्हें पांच साल और मौका दे दिया तब वे कम से कम पचास लोकेश सोरी तैयार कर देंगे जो ब्राह्मणवादियों की शोषणकारी व्यवस्था व उनकी परंपराओं से लोहा ले सकेंगे। फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :

लोकेश सोरी का नाम सुर्खियों में 27 सितंबर 2017 को तब आया जब वे छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के पखांजूर थाने पहुंचे। मामला किसी की हत्या, चोरी या घर जलाने अथवा मारपीट का नहीं था। मामला सुनकर तब थाने में मौजूद दारोगा धीरेंद्रनाथ दूबे भड़क गया और उसने लोकेश सोरी को भद्दी-भद्दी गालियां दी। उसके भड़कने के मूल में वह मामला था जिसे लेकर लोकेश सोरी थाना पहुंचे थे। यह मामला उनकी सांस्कृतिक अस्मिता से जुड़ा था। उन्होंने दुर्गा पूजा के आयोजकों के खिलाफ शिकायत की थी कि वे (आयोजक) दुर्गा के हाथों महिषासुर का वध प्रदर्शित कर उनके पुरखे का अपमान कर रहे हैं। भारत के इतिहास में संभवत: यह पहला मौका था जब द्विज वर्चस्व वाले समाज में किसी ने द्विज परंपरा के खिलाफ थाना जाकर मामला दर्ज कराने का साहस किया था।

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एफपी डेस्‍क

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