कर्नाटक सरकार में बसपा कोटे के मंत्री रहे एन. महेश ने बीते 11 अक्टूबर 2018 को मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे को लेकर तमाम तरह के कयासबाजियों का दौर शुरू हो गया। किसी ने इसे कुमारास्वामी सरकार के बुरे दिनों की शुरुआत की संज्ञा दी तो किसी ने बसपा में अंदरूनी कलह की बात कही। फारवर्ड प्रेस के साथ खास बातचीत में उन्होंने साफ कहा कि न तो उन्हें मायावती से परहेज है और न ही कुमारास्वामी सरकार के प्रति कोई अविश्वास। प्रस्तुत है इस बातचीत का संपादित अंश :
एफपी : आप अचानक ही कर्नाटक सरकार से अलग हो गए। वह भी ऐसे समय में अलग हुए जब कि पार्टी की अध्यक्ष मायावती मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में (चुनावों में) कांग्रेस से दूरी बना चुकी थीं या उससे दूरी बनाए रखने के संकेत दे रही थीं। क्या आपसे मायावती ने कुछ कहा कि सरकार से अलग हो जाओ?
एन. महेश: मेरे इस्तीफे में ना तो सरकार ओर से और ना ही बहनजी से किसी भी तरह का दबाव था। यह मेरा फैसला था। मैं अपना पूरा समय पार्टी को देना चाहता था, पार्टी की मेरे ऊपर कई तरह की जिम्मेदारियां हैं। बीएसपी का 5 लाख लोगों का कर्नाटक राज्य का कैडर तैयार किया जा रहा है। हम संगठन के लिए ज्यादा से ज्यादा समय दे रहे हैं। संसदीय चुनाव अब क्योंकि जल्द होने हैं आप समझ सकते हैं कि संगठन के स्तर पर काम किया जाना जरूरी है। मैंने अपने को पूरी तरह से संसदीय चुनाव की रणनीति और तैयारी पर खुद को एकाग्र किया है। यह पहली बात है। दूसरी बात ये है कि मुझे अपने विधानसभा क्षेत्र और संसदीय क्षेत्र में संगठन के लिए कई काम करने हैं। इन दो प्रमुख वजहों से मैंने कर्नाटक सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा दिया।
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