अयोध्या में मंदिर बने या मस्जिद, यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। अब यह मांग भी तेज हो चुकी है कि मंदिर या मस्जिद के बजाय बौद्ध धर्म स्थल बनाया जाए। अब तो केंद्र में सत्तासीन भाजपा और उसके सहयोगी दलों के नेताओं ने भी यह मांग करनी शुरू कर दी है। इस कड़ी में पहले केंद्रीय मंत्री व रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के प्रमुख रामदास आठवले ने मांग की। अब भाजपा की ही एक सांसद सावित्री बाई फुले ने यह मांग उठाकर सरकार पर दबाव बनाया है।
उनकी यह मांग इसलिए भी सियासी गलियारे में खलबली मचा रही है कि विश्व हिंदू परिषद वहां मंदिर निर्माण के लिए संसद में अध्यादेश (आर्डिनेंस) पास कर रास्ता साफ करने की मांग कर रहा है। नरेंद्र मोदी सरकार पर इसको लेकर दबाव भी है, लेकिन इस सबके बीच यह मांग भी उठनी शुरू हो गई है कि विवादास्पद जगह पर बौद्ध स्मारक था। इसलिए, वहां न तो मंदिर बने और न ही मस्जिद; बल्कि वहां भगवान बुद्ध की प्रतिमा लगे।
इस संबंध में कहा जा रहा है कि चूंकि वहां बौद्ध शिक्षा विहार था और उस समय अयोध्या काे साकेत के रूप में जाना जाता था। प्रश्न तो विहारों और अन्य बौद्ध स्मारकों को नष्ट किए जाने का है। केंद्रीय मंत्री रामदास अाठवले ने भी दावा किया है कि अयोध्या में विवादित भूमि असल में एक बौद्ध धर्म स्थल है। वहां खुदाई करने पर बुद्ध की प्रतिमा और बुद्ध मंदिर के अवशेष मिलेंगे। वहीं, उत्तर प्रदेश के बहराइच से भाजपा सांसद तो एक कदम आगे बढ़ते हुए दावा करती हैं कि अयोध्या में जब विवादित स्थल पर खुदाई की गई थी, तब वहां तथागत (भगवान बुद्ध) से जुड़े अवशेष निकले थे। इसलिए अयोध्या में तथागत बुद्ध की ही प्रतिमा स्थापित होनी चाहिए। उनके मुताबिक, बुद्ध का भारत था और इसलिए अयोध्या बुद्ध का स्थान है। भाजपा सांसद के मुताबिक, अयोध्या बुद्ध की कर्मस्थली रही है।
जबकि संघ के प्रचारक और भाजपा के राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा द्वारा राम मंदिर निर्माण के पक्ष में एक निजी विधेयक लाए जाने संबंधी सवाल पर सावित्री बाई फुले का कहना है कि भारत का संविधान धर्मनिरपेक्ष है, जिसमें सभी धर्मों की सुरक्षा की गारंटी दी गई है। संविधान के तहत ही देश चलना चाहिए और ऐसे में सांसद हों या विधायक, उन्हें भी संविधान के तहत ही चलना चाहिए। इस बाबत महान इतिहासकार और दार्शनिक राहुल सांकृत्यायन का जिक्र करते हुए भाजपा सांसद ने कहा है कि इतिहास के अनुसार बौद्ध इलाकों में शिक्षा को अधिक महत्व दिया गया। इसी उद्देश्य से विभिन्न मठों और विश्वविद्यालयों का निर्माण किया गया। अशोक के समय में विहार, मठ और शिक्षा के अन्य स्थलों का निर्माण किया गया; जिसके प्रमाण भी उपलब्ध हैं।
(काॅपी संपादन : प्रेम/एफपी डेस्क)
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