19 नवंबर को बिजनौर के बाद 21 नवंबर को पटना में भीम आर्मी की रैली
भीम आर्मी पूरे देश में बहुजन समाज को एकजुट करने के लिए रैलियों का आयोजन करने जा रही है। शुरुआत आगामी 19 नवंबर 2018 को उत्तर प्रदेश के बिजनौर से होगी। दूसरी रैली का आयोजन 21 नवंबर 2018 को बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में हाेगा और तीसरी रैली आगामी 26 नवंबर 2018 को आगरा में की जाएगी। इस आशय की घोषणा भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर रावण ने फेसबुक के जरिये अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए की है।
उन्होंने कहा कि, ‘‘आज पूरे देश में बहुजनों को टुकड़ों में बांट दिया गया है। उनकी शक्ति को क्षीण कर दिया गया है। इसलिए हम लोगों ने बहुजन समाज बनाओ का आह्वान किया है और इसलिए रैली का नाम भी यही रखा है। उन्होंने कहा कि कई ऐसे भी हैं, जो हमारे इस प्रयास का विरोध कर रहे हैं। वे दलितों के हितैषी नहीं, बल्कि भाजपा के समर्थक हैं। बहुजनों में एकता बने, वे चाहते ही नहीं हैं। लेकिन, हम उन्हें बता देना चाहते हैं कि बहुजन अब उनके झांसे में आने वाले नहीं हैं।’’
गौरतलब है कि भीम आर्मी की इस रैली का बहुजन समाज पार्टी ने विरोध किया है और अपने समर्थकों से इस रैली का बहिष्कार करने को कहा है।

इस बीच भीम आर्मी रैलियों के आयोजन के लिए जोर-शोर से जुट गई है। आगामी 19 नवंबर को यह रैली बिजनौर के नुमाइश ग्राउंड में सुबह 11ः00 बजे शुरू होगी। चंद्रशेखर रावण ने कहा कि बहुजन समाज को तोड़ने की कोशिशें की जा रही हैं। लेकिन, बहुजन समाज के लोग यह दिखा देंगे कि यह रैली नहीं, बल्कि बहुजनों का नीला सैलाब साबित होगा।
वहीं आगामी 21 नवंबर को पटना में होने वाली रैली के संबंध में भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रतन सिंह और प्रदेश अध्यक्ष अमर आजाद ने कहा कि बहुजन एकता के लिए रैली का आयोजन किया जा रहा है। बिहार में दलित, मुसलमान और पिछड़ों के खिलाफ उत्पीड़न की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। प्रदेश में दलितों के खिलाफ औसतन हर दिन 126 उत्पीड़न की घटनाएं हो रही हैं। उन्होंने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में संविधान और आरक्षण विरोधी ताकतों का पराजित करना है और उन्हें सत्ता में नहीं आने देना है। बहुजनों को अपने अधिकार और आत्मसम्मान के लिए जागृत करना है।
उन्होंने कहा कि हमारी मुख्य मांगों में न्यायिक सेवा में आरक्षण, जातिगत जनगणना की रिपोर्ट जारी करने, जनसंख्या के अनुपात में संसाधनों का बंटवारा, निजी क्षेत्रों में आरक्षण, समान और सस्ती शिक्षा, शिक्षा का निजीकरण और बाजारीकरण बंद करने की मांग शामिल है।
(इनपुट : वीरेंद्र यादव)
(कॉपी संपादन : प्रेम/एफपी डेस्क)
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