गोवा के सियासी गलियारे में इन दिनों यह आम चर्चा है कि मनोहर पर्रिकर की जगह कौन लेगा। इसे लेकर जाति के आधार पर भी गुटबाजी शुरू हो गई है। गुटबाजी का आलम यह है कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने अपने तीन पर्यवेक्षकों की एक टीम को बीते 17 सितंबर को भेजा, लेकिन वह भी आम राय बनाने में असफल रही।
बताते चलें कि मनोहर पर्रिकर इन दिनों अमेरिका में कैंसर का इलाज करा रहे हैं। उन्हें पैंक्रिएटिक कैंसर है और वे इस वर्ष फरवरी माह से ही इलाजरत हैं। पिछले महीने ही, जब उन्हें इलाज के लिए दिल्ली के एम्स ले जाया गया, तब उन्होंने मुख्यमंत्री पद छोड़ने की इच्छा भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से की थी।
इसके बाद ही सूबे में यह कयासबाजी शुरू हो गई कि मनोहर पर्रिकर के बाद मुख्यमंत्री कौन होगा? इसकी एक वजह यह भी रही कि उनके बीमार होने के बाद राज्य सरकार की सारी परियोजनाआें और नीतियों पर विराम लगा हुआ है।
खैर, मनोहर पर्रिकर के स्थान पर जिस नेता की सबसे अधिक चर्चा और विरोध दोनों का दाैर चल रहा है, उनमें सबसे आगे श्रीपद नाइक हैं; जो केंद्र सरकार में मंत्री भी हैं। उनकी राह में राेड़ा भाजपा के नेतागण ही बन रहे हैं और इसकी वजह यह है कि नाइक ओबीसी समाज से आते हैं, जबकि मनोहर पर्रिकर ब्राह्मण हैं। जिन दो अन्य नामाें पर चर्चा की जा रही है, उनमें एक महाराष्ट्र गोमंतक पार्टी के सुदीन धावलीकर हैं और दूसरे गोवा फारवर्ड पार्टी के विजय सरदेसाई हैं। ये दोनों भी ब्राह्मण हैं।
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की चिंता का सबब यह भी है कि गोवा में पर्रिकर सरकार महाराष्ट्र गोमंतक पार्टी, गोवा फारवर्ड पार्टी और तीन निर्दलीय विधायकों की बैसाखी पर टिकी है।
बताते चलें कि 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के पहले मनोहर पर्रिकर केंद्र सरकार में रक्षा मंत्री थे। उनके नेतृत्व में भाजपा 13 सीटों पर चुनाव जीतने में कामयाब हुई, जबकि कांग्रेस को सबसे अधिक 17 सीटें मिली थीं। परंतु, मनोहर पर्रिकर ने महाराष्ट्र गोमंतक पार्टी (तीन सीटें), गोवा फारवर्ड पार्टी (तीन सीटें) और तीन निर्दलीय विधायकों के सहयोग से सरकार का गठन कर लिया।
श्रीपद नाइक की उम्मीदवारी का विरोध भाजपा के नेताओं द्वारा किया जा रहा है। हालांकि, पार्टी के स्तर पर अधिकारिक तौर पर कोई बात नहीं कही जा रही है। लेकिन, पर्रिकर सरकार में मंत्री रोहन खौंटे ने श्रीपद नाइक की सीएम के रूप में उम्मीदवारी को खारिज करते हुए बयान दिया है कि मनोहर पर्रिकर प्रांत के मुख्यमंत्री हैं और वे ही मुख्यमंत्री रहेंगे। मुख्यमंत्री पद के लिए कोई वैकेंसी नहीं है।
इस प्रकार प्रदेश भाजपा में दो गुट साफतौर पर सक्रिय हो गए हैं। एक गुट चाहता है कि श्रीपद नाइक सूबे की कमान संभालें, तो दूसरा गुट उनके विरोध में खड़ा है। तर्क दिया जा रहा है कि छह महीने के अंदर उन्हें विधानसभा की सदस्यता लेनी होगी और इसके लिए उन्हें चुनाव लड़ना होगा। वर्तमान हालात में इस बात की गारंटी नहीं दी जा सकती है कि वे चुनाव जीत ही लेंगे।
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बहरहाल, श्रीपद नाइक के बाद सुदीन धावलीकर की दावेदारी को सबसे पुख्ता माना जा रहा है। इसकी एक वजह यह भी है कि वे ब्राह्मण हैं और विवादास्पद सनातन संस्था के प्रति सहानुभूति रखते हैं। हालांकि, इस कारण उनकी दावेदारी पर प्रश्न चिह्न भी लग रहे हैं कि गोवा में 32 फीसदी अल्पसंख्यक हैं, जिनमें 25 फीसदी ईसाई और सात फीसदी मुसलमान शामिल हैं, वे उनका विरोध कर सकते हैं।
सुदीन धावलीकर के नाम पर भाजपा को विरोध का सामना तब करना पड़ा, जब पर्रिकर सरकार को अपना समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायक गोविंद गौंडे ने साफ कहा कि उन्होंने मनोहर पर्रिकर को अपना समर्थन दिया था। वे धावलीकर को समर्थन नहीं देंगे। भाजपा को ऐसे व्यक्ति को सामने लाना चाहिए, जो उनके (मनोहर पर्रिकर) जैसा व्यक्तित्व वाला हो।
(कॉपी संपादन : प्रेम/एफपी डेस्क)
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