विदेशों से काला धन लाने के वादे का क्या हुआ?
बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि यह सरकार सिर्फ वादा करने वाली सरकार बनकर रह गई है। वह अपने वादाें पर अमल नहीं करती। सत्ता में आने से पहले के विदेशों से काला धन लाने के वादे काे वह भूल चुकी है। इसी तरह नोटबंदी के रूप में अघाेषित आर्थिक इमरजेंसी लाकर भी कुछ नहीं हासिल हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी को इस सबके लिए जनता से माफी मांगनी चाहिए।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख के हवाले से प्रेस रिलीज जारी कर यह सवाल भी किए हैं कि उनके अच्छे दिन लाने के सुनहरे सपने का क्या हुआ? कहां गए गरीब परिवार के प्रत्येक सदस्य को 15-15 लाख रुपए बैंक खातों में ट्रांसफर करने के वादे? क्या आम जनता से किए गए वादे शिगूफा बनकर रह गए?

बसपा प्रमुख ने कहा है कि अच्छे दिन लाने का सुनहरा सपना दिखाकर वोटों के स्वार्थ की राजनीति करने वाली भाजपा ने जनहित और जनकल्याण का ऐसा कोई भी काम नहीं किया है, जिससे लोगों का जीवन बेहतर हो पाया हो। बल्कि गरीब, मजदूर व किसान विरोधी नीतियों, गलत कार्य प्रणाली और अहंकारी रवैये से समाज के हर वर्ग का जीवन पहले से कहीं ज्यादा दुश्वार हुआ है। आम जनता खुद काे ठगा-सा महसूस कर रही है। बसपा प्रमुख की आेर से कहा गया है कि जनता भाजपा सरकार से नाराज है और यह लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत है।

- वादाखिलाफी की सरकार बनकर रह गई है केंद्र सरकार
- आर्थिक इमरजेंसी (नोटबंदी) लाकर कुछ भी नहीं हुआ हासिल
- नोटबंदी पर गलती स्वीकार करके माफी मांगें प्रधानमंत्री
मायावती ने माेदी का नाम लिए बगैर कहा है कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में जिस तरह आर्थिक इमरजेंसी के रूप में नोटबंदी एक व्यक्ति की अपनी मनमानी व अहंकार का नतीजा थी। तथ्य व आंकड़ाें से आज यह सच दुनिया के सामने आ चुका है और इसका खामियाजा तो उसे भुगतना ही पड़ेगा। भारतीय रिजर्व बैंक सहित आर्थिक सलाहकारों तक ने यह कदम नहीं उठाने की सलाह दी थी, लेकिन नहीं मानी और मनमानी कर गए। आम जनता पर नोटबंदी के रूप में थोपी गई आर्थिक इमरजेंसी के लिए सरकार व प्रधानमंत्री को जनता से माफी मांगनी चाहिए।

बसपा प्रमुख ने भाजपा व उसके नेताओं से हठ छोड़ने की अपील करते हुए कहा है कि जो नुकसान हुआ है सरकार उसमें सुधार के लिए प्रयास करे, ताकि आगे नुकसान न हाे और हालात सुधर सकें। नोटबंदी के दो साल हो चुके हैं लेकिन उसका असर आज भी है। इसलिए सुधार की दिशा में कदम बढ़ाए जाएं। प्रधानमंत्री और सरकार गलतियां छुपाने की बजाय उन्हें स्वीकार करके सुधार करें, ताकि आम जनता को राहत मिल सके। मायावती ने भाजपा की केंद्र सरकार से लोकतांत्रिक, संवैधानिक व स्वायत्तशासी संस्थाओं से अनावश्यक टकराव के हठीले रवैये काे भी छोड़ने की अपील की है।
बसपा प्रमुख ने अंत में कहा है कि जो काम विपक्ष को करना था, वह काम खुद भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार खुद-ब-खुद कर रही है। देश में लोकसभा चुनाव छह महीने बाद होने हैं और भाजपा सरकार अपनी गलत नीतियों के कारण से सुर्खियां बटोरे हुए है। ऐसे में भाजपा का बेचैन होना स्वभाविक है।
(काॅपी संपादन : प्रेम)
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