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उत्पादन के सभी संसाधनों पर हो बहुजनों की हिस्सेदारी

सुविधाभाेगी वर्ग अर्थनीति को हथियार बनाकर आरक्षण को लगभग पूरी तरह कागजों की शोभा बनाने के बाद मंडल उत्तरकाल में संगठित वर्ग-संघर्ष में अपनी विजय की पताका फहरा चुका है। इसी के खिलाफ हमें लड़ना है। यह आह्वान बीते 13वें बहुजन डायवर्सिटी-डे समारोह के मौके पर किया गया। फारवर्ड प्रेस की खबर :

तेरहवां डायवर्सिटी-डे समारोह आयोजित

बीते 4 नवंबर 2018 को उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के पालिका कम्युनिटी सभागार में 13वां डायवर्सिटी-डे समारोह आयोजित किया गया। इस मौके पर संबोधन में बहुजन डायवर्सिटी मिशन के अध्यक्ष एच.एल. दुसाध ने मिशन के बारे में विस्तार से चर्चा की।

मंडल कमीशन का लागू होना ऐतिहासिक मोड़

उन्होंने कहा, “जिस वर्ण-व्यवस्था द्वारा भारतीय समाज सदियों से संचालित होता रहा है, उसमें बुनियादी तौर पर अजीब-सी आरक्षण की व्यवस्था रही है; जिसमें उत्पादन के सभी साधन ब्राह्मणाें, क्षत्रियाें और वैश्यों से युक्त सवर्णों के लिए आरक्षित रहे। इस आरक्षण में ही अपनी हिस्सेदारी के लिए वंचित बहुजन सदियों से संघर्षरत रहा। आरक्षण पर इस संघर्ष में 7 अगस्त,1990 को तब एक नया ऐतिहासिक मोड़ आया, जब पिछड़ों को मंडल रिपोर्ट के जरिये नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण मिला। तब इस आरक्षण के खात्मे के लिए वर्ण-व्यवस्था का सुविधाभोगी वर्ग नए सिरे से उठ खड़ा हुआ। उसने आरक्षण के खात्मे के लिए तरह–तरह के उपाय किए, जिनमें से एक 24 जुलाई ,1991 से देश में लागू नव उदारवादी अर्थनीति रही। आज इस अर्थनीति को हथियार बनाकर वह आरक्षण को लगभग पूरी तरह कागजों की शोभा बनाने के बाद मंडल उत्तरकाल में संगठित वर्ग-संघर्ष में अपनी विजय का पताका फहरा चुका है। आज इसी के खिलाफ हमें लड़ना है। यह तभी संभव है, जब बहुजन समाज इसे एक मिशन के रूप में ले और उत्पादन के सभी प्रकार के संसाधनों में अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित करे।”

13वें बहुजन डायवर्सिटी-डे समारोह के मौके पर पुस्तकों का विमोचन करते अतिथि

वहीं चर्चा के विषय ‘धन-दौलत के न्यायपूर्ण बंटवारे की रणनीति’ पर विचार रखते हुए पीजी कॉलेज के डॉ. कौलेश्वर प्रियदर्शी  ने कहा, “नौकरियों में आरक्षण से आगे बढ़कर संपूर्ण भागीदारी का सवाल खड़ा करना आज की सबसे बड़ी जरूरत है और ‘बहुजन डायवर्सिटी मिशन’ पूरे देश में यह काम कर रहा है।”  

बहुजन विमर्श को विस्तार देतीं फारवर्ड प्रेस की पुस्तकें

धन का न्यायपूर्ण बंटवारा सबसे बड़ा सवाल

बलिया से आए आर.के .यादव ने धन के न्यायपूर्ण बंटवारे का आंदाेलन चलाने के लिए बहुजन डायवर्सिटी मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एच. दुसाध को साधुवाद देते हुए कहा, “आज धन का न्यायपूर्ण बंटवारा सबसे बड़ा सवाल है। इसके लिए दलित, आदिवासी, पिछड़े और धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों को नए सिरे से संगठित होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जो आरक्षण दलितों की उन्नति और बचे रहने का आधार था, आज वह लगभग नहीं के बराबर रह गया है। इसलिए, यह जरूरी है कि अतीत के अनुभवों से सबक लेते हुए हम बाकी चीजें भूलकर संपदा और संसाधनों में भागीदारी के लिए ताकत लगाएं।”

कार्यक्रम के दौरान उपस्थित गणमान्य

मुख्य अतिथि विद्या गौतम ने कहा, “आरक्षण बचाने की लड़ाई धोखा साबित हुई है। आज जरूरत इस बात की है कि बहुजनों के बच्चे, बूढ़े, जवान, औरतें और मर्द उसी शिद्दत के साथ डायवर्सिटी की लड़ाई लड़ें, जैसे अंग्रेजाें के खिलाफ राजनीतिक आजादी की लड़ाई लड़ी गई थी।”

चार किताबों का हुआ विमोचन

इस अवसर पर ‘डायवर्सिटी मैन ऑफ इंडिया’ के रूप में विख्यात बहुजन डायवर्सिटी मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एच.एल. दुसाध की डायवर्सिटी ईयर बुक : 2018-19, हकमार वर्ग (विशेष संदर्भ : आरक्षण का वर्गीकरण), धन के न्यायपूर्ण बंटवारे के लिए सर्वव्यापी आरक्षण की जरूरत (विशेष सन्दर्भ : अमेरिकी और दक्षिण अफ्रीकी आरक्षण) तथा ‘21वीं सदी में कोरेगांव’ चार किताबों का विमोचन हुआ। पुस्तक विमोचन के बाद ‘डायवर्सिटी मैन ऑफ द इयर’ सम्मान सुप्रसिद्ध पत्रकार-लेखक महेंद्र नारायण सिंह यादव, अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चित्रकार डॉ. लाल रत्नाकर तथा वरिष्ठ पत्रकार सत्येन्द्र प्रताप सिंह को दिया गया।

समारोह में दयानाथ निगम, चंद्रभूषण सिंह यादव, केसी भारती, हरिवंश प्रसाद, डॉ. राहुल राज, इकबाल अंसारी, वसीम अख्तर, लालचंद राम, राजीव रंजन, मुंद्रिका बौद्ध सहित बड़ी संख्या में गणमान्य लोगों ने भाग लिया। मंच संचालन डॉ. राम बिलास भारती ने किया।

(कॉपी संपादन : प्रेम/एफपी डेस्क)


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महिषासुर एक जननायक

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उपेंद्र कुमार चौधरी

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