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रिसर्च स्कालर्स की दूसरी डेडलाइन भी खत्म, देश भर में निकाला कैंडल मार्च

देश भर के रिसर्च स्कॉलर्स फेलोशिप की राशि में वृद्धि को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। उनके द्वारा दो बार डेडलाइन दिए जाने के बाद भी केंद्र सरकार द्वारा कोई पहल नहीं की गयी है

बीते 21 दिसंबर को फेलोशिप की राशि में बढ़ोतरी को लेकर रिसर्च स्कॉलर्स द्वारा भारत सरकार को दी गयी दूसरी डेडलाइन भी खत्म हो गई। लेकिन अभी तक इस दिशा में कुछ खास नहीं हुआ है सिवाय आश्वासनों के। भारत सरकार के इस रवैये को देखते हुए रिसर्च स्कॉलरों ने अब आर या पार आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी है। इस क्रम में देश भर के विभिन्न संस्थाओं से जुड़े रिसर्च स्कॉलरों ने अपने-अपने संस्थानों में कैंडल मार्च निकाला।

इस संबंध में सोसाइटी ऑफ यंग साइंटिस्ट, एम्स के संयोजक लालचंद्र विश्वकर्मा ने फारवर्ड प्रेस को जानकारी दी कि उनलोगों ने केंद्र सरकार को दूसरी डेडलाइन 21 दिसम्बर शाम तक की दी थी। परंतु सरकार ने उनकी मांगों पर कोई पहल नहीं किया है। अब वे लोग बड़े आंदोलन के लिए मजबूर हैं। वे इसकी तैयारी कर रहे हैं।

आईआईटी, रूड़की में प्रदर्शन करते रिसर्च स्कालर्स

उन्होंने कहा कि उनका संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक फैलोशिप बढ़ोतरी पर फैसला नहीं ले लिया जाता है। वे लोग अपनी मांगों हर चार साल पर बढ़ोतरी के लिए प्रदर्शन नहीं करने के लिए ऑटो बढ़ोतरी व्यवस्था, जेआरएफ की फैलोशिप राशि 25 हजार से 50 हजार किए जाने पर अडिग हैं।

बता दें कि रिसर्च स्कॉलर्स फैलोशिप बढ़ोतरी को लेकर सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए लगातार सोशल मीडिया का सहारा लेते आ रहे हैं। ट्विटर अभियान के साथ-साथ देश भर के सभी रिसर्च स्कॉलर्स से अपील की गई थी कि वे लोग व्यक्तिगत रूप से संबंधित सभी मंत्रालयों व सचिवालयों में मेल करें ताकि वहां बैठे मंत्रियों व अधिकारियों को हम सबों की एकजुटता का अहसास हो सके। इसके लिए वॉयस फॉर रिसर्च स्कॉलर्स की तरफ से ई-मेल आईडी तक जारी की गई थी ताकि देश भर के रिसर्च स्कॉलर्स आसानी से अपनी-अपनी बातें संबंधित मंत्रालयों व अधिकारियों के पास भेज सकें।

एम्स, दिल्ली के परिसर में कैंडिल मार्च करते रिसर्च स्कालर्स


लालचंद्र विश्वकर्मा ने बताया कि यह स्थिति तब है जब गत 20 नवम्बर को फेलोशिप वृद्धि को लेकर वे लोग भारत सरकार के प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर के. विजय राघवन से मिल चुके हैं। उन्होंने ट्विट कर यह भी कहा था कि सरकार सकारात्मक पहल करने जा रही है। परंतु, उनका यह ट्विट महज आश्वासन निकला। बाद में केंद्रीय विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव प्रो. आशुतोष शर्मा ने भी ट्विट कर आश्वासन दिया।

विश्वकर्मा ने बताया कि आगामी 25 दिसंबर तक वे लोग एक बैठक करेंगे जिसमें देश भर के रिसर्च स्कॉलर्स आगे की रणनीति तय करेंगे। यह पूछने पर कि क्या वे लोग सरकार को तीसरी बार डेडलाइन भी देंगे, विश्वकर्मा ने साफ कहा कि अब डेडलाइन का मामला नहीं रह गया है। अब देश भर में आर या पार का आंदोलन किया जाएगा।

बताते चलें कि बीते चार वर्षों से नेट, गेट उत्तीर्ण करने वाले रिसर्च स्कॉलरों की फेलोशिप की राशि नहीं बढ़ी है जबकि हर चार साल में फेलोशिप राशि बढ़ायी जाती रही है। इस बार चार साल पूरा हुए छह महीने से अधिक हो चुका है। हालांकि यह पहला मौका मौका नहीं है जब देश भर के लाखों जूनियर रिसर्च फेलो व सीनियर रिसर्च फेलो फेलोशिप बढ़ाने के लिए इस तरह अपनी आवाज बुलंद कर रहे हों। इससे पहले फेलोशिप राशि व भत्ता बढ़ाने के लिए 2014 में भी इसी तरह हजारों रिसर्च फेलो को आंदोलन करना पड़ा था।

(काॅपी संपादन : एफपी डेस्क)


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लेखक के बारे में

कुमार समीर

कुमार समीर वरिष्ठ पत्रकार हैं। उन्होंने राष्ट्रीय सहारा समेत विभिन्न समाचार पत्रों में काम किया है तथा हिंदी दैनिक 'नेशनल दुनिया' के दिल्ली संस्करण के स्थानीय संपादक रहे हैं

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