बीते दिनों आईआईटी, रूड़की में पीएचडी कर रही दलित छात्रा के साथ तीन प्रोफेसरों द्वारा यौन शोषण किए जाने का मामला प्रकाश में आया। पीड़िता की शिकायत पर हरिद्वार पुलिस ने तीनों प्रोफेसरों के खिलाफ यौन उत्पीड़न और जातिगत भेदभाव की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। पीड़िता ने आरोप लगाया था कि उसका शारीरिक और मानसिक शोषण किया गया। मामले की जांच के लिए पुलिस ने स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया है। हरिद्वार पुलिस की शुरुआती पड़ताल में आरोप सही पाए गए थे। हालांकि बाद में पुलिस अधिकारियों द्वारा बयान दिया गया कि पीड़िता के सारे आरोप सही नहीं हैं, लेकिन आरोपियों के खिलाफ मामला बनता है।
अब पीड़िता के समर्थन में भीम आर्मी और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के नेता और कार्यकर्ता भी सड़क पर उतर आए हैं। वे आरोपियों की जल्द से जल्द गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं।
बताते चलें कि आईआईटी, रूड़की के नैनो टेक्नॉलजी सेंटर की एक दलित स्कॉलर ने तीन सीनियर फैकल्टी मेंबरों पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। आरोप के मुताबिक आरोपितों ने पीएचडी गाइड होने के नाते पहले दलित स्कॉलर का यौन शोषण किया और फिर उसे जातिसूचक शब्द भी कहे।

इस संबंध में हरिद्वार के एसएसपी ऋद्धिम अग्रवाल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि कनखल उपाधीक्षक की अगुवाई में एसआईटी की गठन किया गया था। एसआईटी ने पीड़िता के अलावा छात्र-छात्राओं, प्रोफेसरों और अन्य कर्मियों से पूछताछ की। इस जांच में यह बात सामने आई कि छात्रा के सभी आरोप सही नहीं हैं। पीड़ित छात्रा के खराब व्यवहार की शिकायत भी की गई थी। इसके बाद उसने माफी भी मांग ली थी।
पुलिस पर लेटलतीफी का आरोप
पूरे मामले के बाद आईआईटी प्रशासन में हड़कंप है। छात्रा से छेड़छाड़ के मामले की जांच दल द्वारा पुष्टि किए जाने के बाद सिविल लाइन कोतवाली में मामला दर्ज हुआ। कुछ अन्य आरोपों में सच्चाई पाई गई तो प्रोफेसरों की मुश्किल बढ़नी तय है। छात्रा का कहना है कि हैरानी की बात है कि रिपोर्ट दर्ज कराने के बावजूद पुलिस ने अब तक आरोपियों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की है। पुलिस की जांच में सब बातें साफ हो चुकी हैं कि उसे सबके सामने जातिसूचक शब्द और अन्य आपत्तिजनक बातें कहकर प्रताड़ित किया गया। बावजूद इसके अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। पीड़िता छात्रा ने गत 14 दिसंबर को आईआईटी के दो प्रोफेसर और 6 अन्य के खिलाफ तहरीर दी थी। इसके अालोक में एसएसपी ऋद्धिम अग्रवाल ने एसआईटी गठित कर जांच के आदेश दिए थे।

इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई न होते देख बीते 17 दिसंबर 2018 को पीड़िता और उसके परिजन पुलिस के पास फिर गुहार लेकर पहुंचे। छात्रा के समर्थन में भीम आर्मी कार्यकर्ता भी सिविल लाइंस कोतवाली पहुंच गए। उन्होंने इंस्पेक्टर अमरजीत सिंह सिंह से मामले में तत्काल एससी-एसटी और अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर आरोपी प्रोफेसरों की गिरफ्तारी की मांग की। उनका कहना था कि नियमों के अनुसार दलित उत्पीड़न में तत्काल मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। इंस्पेक्टर ने एसआईटी जांच होने की बात कही। वहीं भीम आर्मी ने चेतावनी दी है कि आरोपियों की पुलिस ने जल्द गिरफ्तारी नहीं की तो पूरी रुड़की जाम कर दी जाएगी और इसके लिए पुलिस प्रशासन जिम्मेदार होगा।
(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)
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