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झारखंड के आदिम जनजाति के किसान फसल बर्बाद होने से पलायन को मजबूर

झारखंड के गुमला जिले के विशुनपुर प्रखंड के गांवों में आदिम जनजातियों के लोग रहते हैं। बरसात नहीं होने के कारण खेती पर प्रतिकूल असर पड़ा है। हालत यह हो गई है कि भुखमरी के शिकार इन जनजातियों के लोग अब पलायन करने को मजबूर हैं

झारखंड के गुमला जिला के तहत आने वाले विशुनपुर प्रखंड में धान एवं रबी की 80 प्रतिशत फसल बर्बाद हो चुकी है और इस वजह से असुर और परहिया जैसे आदिम जनजातियों के किसानों के समक्ष भुखमरी का संकट पैदा हो गया है। हालत यह है कि यहां के 40 प्रतिशत किसान झारखंड से बाहर असम, पंजाब, हरियाणा रोजी-रोटी के लिए पलायन कर चुके हैं। मनरेगा का भी यहां बुरा हाल है।


इलाके के नाराज किसानों ने प्रशासन की तरफ से किसी भी तरह की सुविधा नहीं मिलने पर बीते सात दिसम्बर को विशुनपुर प्रखंड कार्यालय परिसर में एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन किया और प्रखंड विकास पदाधिकारी के जरिए राज्यपाल द्रौपदी मूर्मू को पत्र भेजकर पूरे इलाके को सूखा क्षेत्र घोषित करने की मांग की है। साथ ही प्रखंड के जनजातीय व आदिम जनजातियों के 60 वर्ष आयु वाले सभी महिला व पुरुष को दस हजार रुपए प्रति माह पेंशन दिए जाने की भी मांग की गई। इसके अलावा राज्यपाल से पिछले साल और इस साल का फसल बीमा का भुगतान अविलंब किए जाने के साथ-साथ विशुनपुर प्रखंड को अकाल क्षेत्र घोषित कर किसानों का कर्ज माफ करने की मांग की गई है

  • इलाके की 80 प्रतिशत धान व रबी की फसल बर्बाद

  • राज्यपाल से सुखा क्षेत्र घोषित करने की मांग

प्रखंड कार्यालय परिसर में किसानों के धरना, प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले सीपीआई नेता अनिल असुर के मुताबिक विशुनपुर प्रखंड में धान व रबी की 80 प्रतिशत फसल बर्बाद हो चुकी है। धान के बदले पुआल ही खेतों में दिखाई दे रहा है लेकिन प्रशासन इस हालत के बावजूद मुंह फेरे हुए है।

विशुनपुर प्रखंड कार्यालय परिसर में धरना देते आदिम जनजातियों के किसान

उन्होंने बताया कि गुमला, लोहरदग्गा जिले को कृषि विभाग की सर्वे रिपोर्ट में दिखाया ही नहीं गया है। ऐसे में अगर केंद्रीय टीम सूखा क्षेत्र का दौरा करने आती भी है तो सर्वे रिपोर्ट में नाम दर्ज नहीं होने से वह टीम इन जिलों की तरफ आएगी ही नहीं। इसलिए प्रखंड के जनजातीय व आदिम जनजाति के किसानों ने फैसला लिया है कि वे लोग अगली कड़ी में विरोधस्वरूप गुमला जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन करेंगे ताकि राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों को विशुनपुर प्रखंड की स्थिति के बारे में सही-सही जानकारी मिल सके और सर्वे रिपोर्ट में इसे शामिल किया जा सके।

(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)


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लेखक के बारे में

कुमार समीर

कुमार समीर वरिष्ठ पत्रकार हैं। उन्होंने राष्ट्रीय सहारा समेत विभिन्न समाचार पत्रों में काम किया है तथा हिंदी दैनिक 'नेशनल दुनिया' के दिल्ली संस्करण के स्थानीय संपादक रहे हैं

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