छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के पाली प्रखंड के परसदा गांव के सुरेश जगत राज्य के गठन के 18 वर्षों के बाद पहले आदिवासी हैं, जो आईएएस बने हैं। 2018 बैच के आईएएस के रूप में उन्हें पश्चिम बंगाल का कैडर मिला है। फिलहाल वे मसूरी प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान में 180 प्रशिक्षु आईएएस अधिकारियों के साथ प्रशिक्षण ले रहे हैं। सुरेश के पहले अजीत जोगी आईएएस अफसर बने थे, हालांकि तब छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश का हिस्सा था। बाद में अजीत जोगी मुख्यमंत्री भी बने।
करीब 28 वर्ष के सुरेश जगत ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा में 556वीं रैंक हासिल की थी। हालांकि, इससे पहले भी उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल की थी, परंतु उनका चयन 2016 में इंडियन रेलवे ट्रैफिक सर्विस में हुआ था। सुरेश ने हार नहीं मानी। उन्होंने दोबारा यूपीएससी की परीक्षा में भाग लिया और सफल हुए।

सुरेश अपनी सफलता के लिए अपने पिता राम कुमार जगत को देते हैं, जो एक गरीब किसान हैं। अपने माता-पिता की आखिरी संतान सुरेश जगत की प्राथमिक शिक्षा गांव के ही प्राइमरी स्कूल में हुई। गांव में ही जनभागीदारी स्कूल से 10वीं की परीक्षा पास करके उन्होंने बिलासपुर के भारत माता हिंदी मीडियम स्कूल से 12वीं की परीक्षा पास की। इस परीक्षा में उन्हें सूबे के टॉप टेन में पांचवां स्थान प्राप्त हुआ था।
उनकी लगन और प्रतिभा को देखते हुए उनके पिता ने हौसला दिया। इंजीनियरिंग की पढ़ाई उन्होंने एनआईटी, रायपुर से पूरी की। बीटेक के अंतिम वर्ष में ही उनका चयन एनएसजी के लिए हो गया। लेकिन सुरेश आईएएस बनना चाहते थे। इसलिए उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी। वर्ष 2012 में उड़ीसा के कनिहार अवस्थित एनटीपीसी में सहायक प्रबंधक के रूप में उनका चयन हुआ। तीन वर्ष तक नौकरी करने के बाद उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया और आईएएस की तैयारी में जुट गए।

बहरहाल, छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी के बाद कोई आदिवासी युवा आईएएस नहीं बना था। अजीत जोगी जब आईएएस बने थे, तब छत्तीसगढ़ भी मध्य प्रदेश में था। अजीत जोगी के बाद से कोई भी एसटी वर्ग से युवा आईएएस के इम्तिहान में कामयाबी का परचम नहीं लहरा सका था। लेकिन इस बार आदिवासी वर्ग से एक नहीं दो युवाओं ने आईएएस बनकर छत्तीसगढ़ को गौरवान्वित कर दिया है।
(कॉपी संपादन : प्रेम/एफपी डेस्क)
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