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डीयू : यौन उत्पीड़न के खिलाफ भूख हड़ताल पर बैठी छात्राएं, फारवर्ड प्रेस के पत्रकार से डीन ने की अभद्रता

दिल्ली विश्वविद्यालय के गणित विभाग के छात्र-छात्राएं 14 फरवरी से धरने पर बैठे हैं। 19 फरवरी से उन्होंने भूख हड़ताल शुरू कर दी है। इसकी प्रमुख वजह 80 फीसदी विद्यार्थियों को फेल किया जाना और छात्राओं का सेक्सुअल हेरेसमेंट है। खबर कवर करने पर फारवर्ड प्रेस के पत्रकार सुशील मानव से परीक्षा विभाग के डीन प्रो. पी.सी. झा ने की अभद्रता

दिल्ली विश्वाद्यालय (डीयू) में शिक्षकों और विद्यार्थियों के बीच आए दिन मतभेद होते रहते हैं। इसको लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन से शिकायतों के साथ-साथ धरना-प्रदर्शन भी होते हैं। लेकिन, इस बार गणित विभाग के छात्र छात्राएं कुछ अलग और गंभीर मसले पर धरने पर बैठे हैं। इधर, डीयू प्रशासन उनकी बात सुनने और उसका समाधान निकालने की बजाय उन्हें, खासकर छात्राओं को शिक्षकों और पुलिस से तंग करवा रहा है। इतना ही नहीं धरनारत छात्राओं को धमकियां भी दी जा रही हैं। फिलहाल, विश्वविद्यालय के गणित विभाग के छात्र-छात्राएं 14 फरवरी से लगातार धरने पर बैठे हैं और 19 फरवरी से उन्होंने भूख हड़ताल भी शुरू कर दी है।

महिला शौचालय में प्रशासन ने जड़ा ताला, एसएचओ ने दी धमकी

14 फरवरी से धरने पर बैठी छात्राओं को परेशान करने के लिए प्रशासन ने गणित विभाग के महिला शौचालय में ताला लगा दिया है। डिप्टी प्रॉक्टर नीता सहगल ने छात्राओं को धमकी देकर कहा है कि, “ये सब नहीं चलेगा। रातों रात सब क्लीन होगा।” इसके अलावा छात्राओं को पुलिस बुलाकर धमकाया जाता है। मौरिस नगर पुलिस थाने के इंचार्ज (एसएचओ) राम अवतार त्यागी ने कहा है कि- ‘‘आप लोग 100 मीटर के दायर के अंदर धरना नहीं दे सकते। मैं सबको खींचकर बाहर ले जाऊंगा। केस दर्ज कर लिया, तो तुम लोगों का भविष्य खराब हो जाएगा। कहीं नौकरी नहीं मिलेगी।’’ 

गणित विभाम का महिला शौचालय, जिसमें प्रशासन ने जड़ रखा है ताला

80 फीसदी विद्यार्थियों को कर दिया जाता है फेल

छात्र-छात्राओं का आरोप है कि, ‘‘उन्हें जानबूझकर फेल कर दिया जाता है।’’ द्वितीय वर्ष की छात्रा नेहा बताती हैं कि ‘‘मेजर एंड इंटिग्रेशन थ्योरी’ में एमएससी प्रथम वर्ष के 150 विद्यार्थी फेल हैं; जबकि ‘फिल थ्योरी’ के पेपर में भी 150 विद्यार्थी फेल हैं।’’

‘‘डीयू में एमएससी के लिए 300 सीटें हैं। पिछले साल 300 विद्यार्थियों ने दाखिला लिया था, लेकिन उनमें से सिर्फ 192 विद्यार्थी ही पास होकर एमएससी सेकेंड ईयर में पहुंचे। सामान्यता दो साल की कोर्स-अवधि के बाद सिर्फ 20 फीसदी विद्यार्थी ही पास हो पाते हैं, जबकि 80 फीसदी फेल हो जाते हैं।’’


द्वितीय वर्ष की छात्रा नेहा बताती हैं कि, ‘‘यहां दाखिला लेने वाले विद्यार्थी अच्छी यूनिवर्सिटी या कॉलेज के टॉपर होते हैं और यहां भी प्रवेश परीक्षा पास करके ही दाखिला लेते हैं। उन पर ये आरोप लगाकार मामले को नहीं टाला जा सकता कि विद्यार्थी पढ़ते ही नहीं हैं, इसलिए फेल होते हैं। कई बच्चों को 70 में से 3 नंबर मिलते हैं और वे जब पुनर्मूल्यांकन के लिए जाते हैं, तो 3 को 30 में बदलकर उन्हें पास कर दिया जाता है। जब फेल हैं, तो पुनर्मूल्यांकन के बाद कैसे पास हो जाते हैं? और उन्हें पासिंग मार्क्स ही क्यों दिए जाते हैं? क्या वे इससे ज्यादा नंबर लाने लायक नहीं होते? इतना ही नहीं, पुनर्मूल्यांकन के लिए विद्यार्थियों से 1000 रुपए फीस भी वसूली जाती है।’’

एमएससी अंतिम वर्ष के छात्र विवेक चौधरी का आरोप है कि, ‘‘उन्होंने दिसंबर 2018 में तीसरे सेमेस्टर के सभी चारों पेपरों की परीक्षा दी थी, लेकिन रिजल्ट में उन्हें चारों पेपरों में अनुपस्थित दिखाया गया है।’’ ऐसा ही आरोप कई और विद्यार्थियों ने भी लगाया है।

छात्राओं का सेक्सुअल हैरेसमेंट

छात्राओं का आरोप है कि, ‘‘उनके विभाग में एंटी-सेक्सुसअल हैरेसमेंट सेल तक नहीं है। जिसका फायदा उठाते हुए कई शिक्षक छात्राओं पर बेहद अश्लील टिप्पणियां तक करते हैं।’’ धरने पर बैठे छात्र-छात्राओं ने बताया कि,

‘‘डिफरेंशियल इक्वेशन्स मैथेमैटिक्स’ के एक शिक्षक पर छात्राओं से अश्लीलता करने के कई आरोप हैं। पर, न तो कभी उनके खिलाफ कोई जांच समिति गठित की गई और न ही उनके खिलाफ कोई कार्रवाई हुई। जबकि, वह अपनी भाषा और व्यवहार में पूरी तरह महिला विरोधी हैं।’’

एमएससी की ही एक और छात्रा का आरोप है कि ‘‘अगर हम उन शिक्षक से क्लास में कोई सवाल या डाउट पूछते हैं, तो वह अपने केबिन में बुलाते हैं। वहीं, मैथ विभाग में ‘थ्योरी ऑफ फ्रेम्स’ के शिक्षक लगातार एक लड़की पर पूरी क्लास के सामने गंदी टिप्पणियां करते हुए अश्लील बाते करते हैं। जैसे कि उस छात्रा के क्लास में आने पर वह शिक्षक  कहते हैं- ‘आप आए बहार आई।’ या कहते हैं कि ‘हमारी तरफ ऐसे नहीं, जरा प्यार से देखिए।’ इससे आजिज आकर उस लड़की ने उनकी क्लास में आना ही छोड़ दिया है। वह शिक्षक धरना देने वाली छात्राओं से कहते हैं- ‘तुम लोग धरना देकर विभाग को बदनाम कर रही हो।”

अपनी परेशानी बताते हुए एमएससी की छात्रा सृजनी

पढ़ाने से कतराते हैं शिक्षक, करते हैं हतोत्साहित

कोलकाता के लेडी ब्रेबोर्न कॉलेज से गणित से बीएससी करके आई छात्रा सृजनी डीयू से एमएससी (मैथ) की पढ़ाई कर रही हैं। वह कहती हैं- ‘‘मैं मैथ को क्रिएटिव तरीके से पढ़ना चाहती थी। इसीलिए, मैंने डीयू में दाखिला लिया था। पर, यहां तो रट्टाफिकेशन कल्चर चलता है। यहां अध्यापक मैथ पढ़ाते नहीं रटाते हैं। मैं मैथ से पीएचडी करना चाहती थी, लेकिन अब मैं इतनी निराश और नकरात्मक हो चुकी हूं कि डीयू छोड़ना चाहती हूं।’’

वहीं, एक छात्र रवीन्द्र का कहना है कि, ‘‘पार्शियल डिफरेंशियल इक्वेशन नॉनलीनियर वेव्स’ के अध्यापक तो क्लास में आते हैं और मैथ रीड करके चले जाते हैं। ब्लैक बोर्ड पर कुछ लिखना तक वह जरूरी नहीं समझते। हम लोगों को मैथ रटाया जा रहा है।’’

एक और छात्र का आरोप है कि, ‘‘एक टीचर ने अपने प्रश्न-पत्र का आधा पाठ्यक्रम मात्र तीन दिन में खत्म कर दिया। उन्होंने छात्रों को किताब में टिक लगवा करके कहा कि ये-ये सवाल पढ़ लेना और आधा चैप्टर खत्म।’’

उज्ज्वल नामक छात्र का आरोप है कि, ‘‘कोई छात्र-छात्रा कहीं बाहर किसी अच्छे विश्वविद्यालय या कॉलेज में पढ़ने जाना चाहे, तो गणित विभाग से उसे रिकमेंडेशन लेटर तक नहीं दिया जाता।’’

वहीं, कुछ छात्रों ने कहा कि, ‘‘कुछ शिक्षक विद्यार्थियों को हतोत्साहित करते हैं। वे उनसे पूछते हैं कि किस विषय पर रिसर्च करना चाहते हो और जब विद्यार्थी बताता है कि फलां विषय पर। तो हतोत्साहित करते हुए कहते हैं कि तुम नहीं कर सकते। वह बहुत टफ चीज है, तुम्हारे बस की नहीं।’’

परीक्षा विभाग के डीन पी.सी. झा ने पत्रकार सुशील मानव से की अभद्रता

इस पूरे मामले को जब फारवर्ड प्रेस के पत्रकार सुशील मानव कवर कर रहे थे, तभी धरना स्थल पर परीक्षा विभाग के डीन प्रो. पी.सी. झा भी पहुंच गए। उन्होंने पत्रकार सुशील मानव से अभद्रता की। पहले तो उन्होंने नाराज होते हुए कहा कि आप बिना किसी के इजाजत के कैंपस में आ कैसे गए? फिर उनका विरोध और इशारा पाकर उनके सुरक्षा प्रहरी सुशील मानव से धक्का-मुक्की करने लगा और धक्का देकर उन्हें बाहर कर दिया। शिक्षक पक्ष को जानने तथा इसकी तह में जाने के लिए सुशील मानव ने गणित विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. ललिता को भी कई बार फोन लगाया, लेकिन उन्होंने कॉल ही नहीं रिसीव की।

परीक्षा विभाग के डीन प्रो. पी.सी. झा

धरने पर बैठे छात्र-छात्राओं को दूसरे विद्यार्थियों से मिल रहा समर्थन

मैथ विभाग के छात्र-छात्राओं को अन्य कई विभागों के विद्यार्थियों का समर्थन मिल रहा है। उन्हें समर्थन देने वालों में दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ, भगत सिंह छात्र एकल मंच, फिजिक्स, कमेस्ट्री, पंजाबी, जर्नलिज्म, इतिहास और लॉ फैकल्टी के विद्यार्थी आदि हैं। विद्यार्थी बताते हैं कि दूसरे विभाग के छात्रों को डांट-फटकारकर भगा दिया जाता है। उनसे कहा जाता है कि यह उनका मसला नहीं है, इसलिए वे अपने विभागों में जाएं। इतना ही नहीं शाम को दूसरे विभागों के बच्चों को बाहर निकालकर कैंपस में ताला बाहर से लगा देते हैं। पहले दिन तो रात भर धरने पर बैठे छात्र-छात्राओं को बिना कंबल और खाने के ही रहना पड़ा।

छात्र-छात्राओं को धमकाया डीन ने

गणित विभाग के विद्यार्थी आंदोलन के समर्थन में आई पंजाबी विभाग की एक छात्रा को धमकाते हुए परीक्षा विभाग के डीन प्रो. पी.सी. झा कहते हैं- “तुम राजनीति कर रही हो। गणित विभाग के सारे बच्चों को तूने ही भड़काया है। तेरी हिस्ट्री तो मैं निकालूंगा।’’ और फिर शाम को देखने की धमकी देकर चले जाते हैं।

विद्यार्थियों का आरोप है कि वह अपनी जाति बताते हुए कहते हैं- ‘‘वैसे तो मैं ब्राह्मण हूं, पर लोग मुझे हरियाणा का जाट कहते हैं। कभी वह छात्रों से कहते हैं कि मेरे घर पर चार मजदूर काम कर रहे हैं। बहुत-सी मिट्टी फैली है; मैं पहले से परेशान हूं और तुम लोग यहां बैठकर परेशान कर रहे हो। फिर वह कहते हैं कि मेरी पत्नी आत्महत्या करने वाली है। कभी कहते हैं कि तुम लोग मुझसे क्वेश्चन पूछने वाले कौन हो?’’

अपनी मांग लेकर उनसे बात करने गई चार प्रतिनिधि लड़कियों से वो कहते हैं- “तुम लोग काली माँ की तरह चढ़कर आ गई बात करने। लेकिन तुम लोगों के पास दिमाग तो है नहीं।”

इतना ही नहीं, प्रो. पी.सी. तकरीबन 20-25 मिनट तक विद्यार्थियों से झगड़ा भी करते हैं, जिसका वीडियो भी है।

छात्रों का समर्थन करने पहुंचे जस्टिस काटजू

वहीं, हाई कोर्ट के पूर्व जज मार्कडेंय काटजू भी 16 फरवरी को धरनारत विद्यार्थियों का समर्थन करने पहुंचे थे। उन्होंने कहा था कि आपकी की समस्याएं बहुत गंभीर हैं और इन समस्याओं को डीयू प्रशासन द्वारा जल्द-से-जल्द दूर किया जाना चाहिए। उन्होंने छात्रों को आश्वासन दिया कि वह अपने स्तर पर डीयू के प्रॉक्टर और दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से बात करेंगे।

वहीं, प्रो. अनिल सद्गोपाल भी छात्र-छात्राओं के समर्थन के लिए धरना स्थल पर पहुंचे और हुंकार रैली के मंच पर आकर अपनी समस्याएं रखने के लिए उन्हें आमंत्रित किया।

धरने पर बैठे छात्र-छात्राओं की मांगें

इधर, धरने पर बैठे छात्र-छात्राओं ने डीयू प्रशासन और गणित विभाग के सामने अपनी कुछ मांगें रखी हैं। इनमें से कुछ प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं-

  1. विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिका को बिना शुल्क लिए ही पारदर्शी तरीके से पुनर्मूल्यांकित करने के लिए 15 दिन के अंदर एक स्वतंत्र जांच समिति का गठन किया जाए।
  2. हर विद्यार्थी को उसकी उत्तर पुस्तिका दिखाई जाए; चाहे वह इंटरनल परीक्षा हो, हाउस परीक्षा हो या सेमेस्टर परीक्षा हो।
  3. वैकल्पिक विषय का चुनाव विद्यार्थियों को उनकी पसंद के आधार पर करने दिया जाए। मार्क्स के आधार पर नहीं। यह डीयू के राजनीति विज्ञान और राजनीति विभाग में लागू है।
  4. जांच समिति में जो भी शिक्षक दोषी पाए जाएं, डीयू प्रशासन द्वारा उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए।
  5. जिन विद्यार्थियों के बैकलॉग आए हैं, उनकी पुनर्परीक्षा हर सेमेस्टर परीक्षा के दो महीने के अंदर संपन्न करवाई जाए।
  6. हर महीने विद्यार्थियों को शिक्षकों का फीडबैक फार्म भरने की अवसर दिया जाए, ताकि शिक्षक और छात्रों के संबंध में पारदर्शिता बनी रहे।

(कॉपी संपादन : प्रेम बरेलवी)

परिवर्धित : 19 फरवरी, 2019, 11 PM


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लेखक के बारे में

सुशील मानव

सुशील मानव स्वतंत्र पत्रकार और साहित्यकार हैं। वह दिल्ली-एनसीआर के मजदूरों के साथ मिलकर सामाजिक-राजनैतिक कार्य करते हैं

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