विभागवार रोस्टर सिस्टम के विरोध में 11 फरवरी को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के विश्वनाथ मंदिर से मुख्य द्वार (लंका) तक विश्वविद्यालय के शिक्षकों, छात्र-छात्राओं तथा स्थानीय लोगों ने शांतिपूर्ण बंद के आह्वान के साथ आक्रोश मार्च का आयोजन किया। आयोजन में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के साथ विभिन्न संबद्ध महाविद्यालयों के शिक्षक तथा छात्र-छात्राएं भी शामिल हुए।

आंदोलन के मुख्य मुद्दे 13 प्वाइंट रोस्टर का विरोध और एससी, एसटी तथा ओबीसी के लोगों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में यूनिवर्सिटी, कॉलेजों और सरकार द्वारा वित्त पोषित शिक्षण संस्थानों में सुनिश्चित संवैधानिक प्रतिनिधित्व देने की मांग रहे। आक्रोश रैली निकालकर आंदोलनकारियों ने शांतिपूर्ण तरीके से विश्वविद्यालय का मुख्य द्वार बंद करके उसके सामने आक्रोश सभा का आयोजन किया। सभा में आंदोलनकारियों ने ‘ओबीसी, एससी, एसटी जिंदाबाद’, ‘यूजीसी होश में आओ, एमएचआरडी होश में आओ’, ‘जय भीम! हूल जोहार!’, ‘जय मंडल’, ‘लड़ेंगे, जीतेंगे’ जैसे नारे लगाकर सरकार को आरक्षित वर्ग की शक्ति का एहसास कराया। इस सभा को बीएचयू के बहुजन चिंतक तथा शिक्षकगणों ने संबोधित किया।

सभा का संचालक रविन्द्र प्रकाश भारतीय ने किया तथा केंद्र सरकार से की गई इस आंदोलन की मांगों को सभी के समक्ष रखा, जो कि निम्नवत हैं-
- उच्च शिक्षण संस्थानों में विभागवार आरक्षण को रद्द करके इन संस्थाओं को एक इकाई मानते हुए कुल स्वीकृत पदों के अनुपात में अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्गों का समुचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने हेतु बिना देरी किए संसद में बिल लाया जाए।
- देश की समस्त शिक्षण संस्थाओं के सभी पदों अर्थात- प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर एससी, एसटी, ओबीसी का समुचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए।
- सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षित वर्ग के बैकलॉग के पदों को चिह्नित करके विशेष भर्ती अभियान के माध्यम से भरा जाए।
- कुलपति, निदेशक, प्राचार्य आदि पदों पर आरक्षित वर्गों को चक्रानुक्रम में समानुपातिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए।
- उच्च शिक्षा संस्थानों की कार्यकारिणी/परिषद/बोर्ड/कोर्ट आदि में आरक्षित वर्गों का समुचित प्रतिनिधित्व अनिवार्य रूप से सुनिश्चित किया जाए।
इन मांगों के साथ उन्होंने बंद तथा आक्रोश सभा का समापन किया। सभा में यह भी सुनिश्चित किया गया कि जब तक बहुजनों का प्रतिनिधित्व उनकी संख्या के आधार पर सुनिश्चित नहीं किया जाएगा, तब तक इसी तरह आंदोलन किए जाते रहेंगे।
(कॉपी संपादन : प्रेम)
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