रमणिका फाउंडेशन, युद्धरत आम आदमी और ऑल इंडिया ट्राइबल लिटरेरी फोरम के संयोजन में बीती 9 फरवरी को डिफेंस कॉलोनी में मासिक गोष्ठी आयोजित की गई। प्रसिद्ध लेखिका रमणिका गुप्ता की अध्यक्षता में हुई इस मासिक गोष्ठी में लेखकों ने अपनी कहानियां प्रस्तुत कीं।

इनमें लक्ष्मीकमल गीडम ने ‘ओट’ कहानी सुनाई, जिसमें निम्न वर्ग की महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों और उनकी परेशानियों का मार्मिक वर्णन किया गया है; अभय कुमार ने अपनी कहानी ‘सार्वजनिक सोच’ में जमींदारी प्रथा और निम्न स्तर के लोगों को गुलामी से न निकलने देने के षड्यंत्र का सजीव चित्रण किया; वहीं, अरुणा सब्बरवाल ने ‘और आस्थाएं छिटक गईं’ के माध्यम से एक स्त्री के स्वयं को पाने की लालसा और जीवन की जद्दोजहद पर कहानी कही। इस तरह तीनों ही कहानीकारों ने अपनी-अपनी कहानियों के माध्यम से अलग-अलग जीवन पहलुओं और युगबोध के दृश्यों को उकेरकर श्रोताओं का मन मोहते हुए समां बांधा।

गोष्ठी की आयोजक रमणिका गुप्ता अपनी बीमारी का इलाज कराकर अस्पताल से लौंटी, फिर भी लगातार श्रोताओं की तरह अंत तक कार्यक्रम में उपस्थित रहीं और अंत में उन्होंने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।

इस मासिक गोष्ठी का संचालन पंकज शर्मा ने किया; जिसमें मोनिका, खालिद हसन, पिंकी कुमारी, सविता, सरिता मारवाह, मृदुला नरुला, बालकीर्ति, जया, पंकज इंकलाबी, अशोक कुमार और मोहम्मद आसिफ की गरिमामयी उपस्थिति रही।
(कॉपी संपादन -प्रेम)
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