गत 9 मार्च 2019 को, जानेमाने लेखक, चिन्तक और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. राम पुनियानी के मुंबई स्थित निवास में तीन संदिग्ध व्यक्ति पहुंच गए। उन्होंने डॉ. पुनियानी, जो उस समय घर पर मौजूद थे, से कहा कि वे पुलिसकर्मी हैं और उनके पते की जांच लिए आये हैं। डॉ. पुनियानी के यह पूछने पर कि उनके पते की जाँच क्यों की जा रही है, उनमें से एक ने कहा कि वे पासपोर्ट के उनके आवेदन के सिलसिले में यह जांच कर रहे हैं। जवाब में डॉ. पुनियानी ने उन्हें बताया कि उन्होंने पासपोर्ट के लिए कोई आवेदन नहीं किया है और उनके पास कई दशकों से पासपोर्ट है।
इसके बाद वे तीनों वहां से चले गए। डॉ. पुनियानी को बाद में पता चला कि वे लोग पुलिसकर्मी नहीं थे। उन्होंने फारवर्ड प्रेस को बताया कि उन लोगों ने उनके साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं किया और ना ही उन्हें कोई धमकी दी। घटना की रिपोर्ट पुलिस में कर दी गयी है और इसकी जांच जारी है। संदिग्धों की अब तक पहचान नहीं हो सकी है। उन्होंने कहा कि “मैं डरा हुआ नहीं हूँ परन्तु एहतियात बरत रहा हूँ।”

बताते चलें कि डॉ. पुनियानी आईआईटी मुंबई में प्राध्यापक थे और वहां की नौकरी से समय-पूर्व सेवानिवृत्ति लेकर पिछले कई दशकों से सांप्रदायिक, प्रतिगामी और संकीर्ण सामाजिक व राजनैतिक ताकतों के खिलाफ अपनी पैनी कलम चला रहे हैं। उनके लेख देश भर की पत्रिकाओं, अख़बारों और वेबसाइटों पर नियमित रूप से प्रकशित होते रहते हैं। उनके कई लेख फारवर्ड प्रेस में भी समय-समय पर प्रकाशित हुए हैं। साथ ही वे डॉ पुनियानी देश भर में विचार गोष्ठियों, सम्मेलनों आदि में भी शिरकत कर, अपने विचार निर्भीकता और साफगोई से अभिव्यक्त करते रहते हैं।
(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)
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