आंबेडकर जयंती पर ‘आरएसएस और बहुजन चिंतन’ का हुआ विमोचन
14 अप्रैल 2019 को संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर की 128वीं जयंती के मौके पर दलित लेखक व विचारक कंवल भारती की नवीनतम पुस्तक ‘आरएसएस और बहुजन चिंतन” का विमोचन हुआ। इस किताब का प्रकाशन फारवर्ड प्रेस द्वारा किया गया है। इस अवसर पर इस ‘आंबेडकरवाद : बढ़ते कदम आजादी की ओर’ विषय पर गोष्ठी भी हुई।
गोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता डॉ. अलख निरंजन ने कहा कि इस समय पूरे देश मेंं ब्राह्मणवाद और आंबेडकर के बीच संघर्ष चल रहा है। ब्राह्मणवाद की रक्षा के लिए आरएसएस पूरा जोर लगाए हुए हैं। उसे आंबेडकर के विचारों और आंबेडकरवादियों से कड़ी चुनौती मिल रही है। कंवल भारती की किताब आरएसएस और बहुजन चिंतन आरएसएस का फुले,पेरियार और आंबेडकर के विचारों के आलोक में विश्लेषण करती है। यह किताब बताती है कि आरएसएस का मुख्य लक्ष्य इस देश में द्विज जातियों के वर्चस्व को कायम रखना है। यह किताब अध्याय दर अध्याय तथ्यों के साथ यह बताती है कि किस तरह संघ दलित-बहुजनों को बरगलाने की कोशिश में लगा है। उन्होंने आह्वान किया कि हमें यह किताब जरूर पढना चाहिए, ताकि हम दलित-बहुजनों के लिए कितना खतरनाक है यह जान सकें और उसका प्रतिरोध कर सकें।

मेरठ कॉलेज के प्रो. सतीश प्रकाश ने कहा कि डॉ. आंबेडकर का चिंतन स्वतंत्रता, समता और भाईचारे का चिंतन है। उनके विचार हमें हर तरह की बेडियों से मुक्त करते हैं।

सभा को उत्तराखंड में वरीय अधिकारी रहे बौद्धाचार्य रघुवीर सिंह, अखलाक इदीरीशी, हाजी मुबीन अहमद, माता कॉलोनी की सभासद नीतू सिंह, पूर्व डीआईजी देशराज सिंह, करनलाल अशोक और डा. चरण सिंह सहित अनेक अन्य लोगों ने संबोधित किया। सभा का संचालन वीर सिंह ने किया।
(कॉपी संपादन : नवल)
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